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Bihar Election 2020: कोरोना वायरस में ही अपनी जीत-हार देख रहे हैं बिहार के चुनावी सितारे

Bihar Election 2020 विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्ष की सुस्ती और सत्तारूढ़ गठबंधन की फुर्ती के केंद्र में भी कोरोना है। दोनों पक्ष कोरोना के वायरस में ही जीत की संभावना देख रहे हैं।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 04:11 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 09:34 PM (IST)
Bihar Election 2020: कोरोना वायरस में ही अपनी जीत-हार देख रहे हैं बिहार के चुनावी सितारे
Bihar Election 2020: कोरोना वायरस में ही अपनी जीत-हार देख रहे हैं बिहार के चुनावी सितारे

पटना, अरुण अशेष। विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्ष की सुस्ती और सत्तारूढ़ गठबंधन की फुर्ती के केंद्र में भी कोरोना है। दोनों पक्ष कोरोना के वायरस में ही जीत की संभावना देख रहे हैं। सत्तारूढ़ दल इसमें विपक्ष की हार की गुंजाइश देख रहा है। बचाव और राहत के उपायों का श्रेय एनडीए के खाते में है। विपक्ष इन उपायों में खामियों की तलाश कर रहा है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव अचानक सृजन और शेल्टर होम कांड की जगह स्वास्थ्य विभाग की खामियों को उजागर कर रहे हैं। उनके मुताबिक राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरे देश में सबसे कमजोर है। तेजस्वी ने पहली बार सरकारी के आंकड़े के आधार पर ही स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों को उजागर किया।

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कोरोना राहत से विपक्ष को खतरा

कोरोना के नाम पर चल रहे राहत कार्यों से विपक्ष को खतरा भी महसूस हो रहा है। यह कि लोग राहत से इस हद तक न अहसानमंद हो जाएं कि उन्हें सरकार की वह खामियां नजर ही न आएं, जिनकी फेहरिश्त चुनाव प्रचार के लिए बनाकर रखी गई हैं। मसलन, रोजगार, रिश्वतखोरी और अपराध की घटनाओं में वृद्धि का सवाल। विपक्ष इन मुद्दों पर अभी काफी मुखर है। अपराध में बढ़ोत्तरी और रोजगार में कमी के आंकड़े जुटाए जा रहे हैं।

तब विपक्ष का खाता मुश्किल से खुला

उधर सत्तारूढ़ दल इन आरोपों से बेखबर जनता को फौरी तौर पर राहत देने की योजना बना रहा है। विपक्ष के पास राहत वितरण का बहुत ही खराब अनुभव है। 2005-10 के बीच उत्तर बिहार में बाढ़ के बाद सरकारी राहत का वितरण इस स्तर पर किया गया था कि 2009 के लोकसभा और 2010 के विधानसभा चुनाव में विपक्ष का खाता बड़ी मुश्किल से खुल पाया। विपक्ष उसकी पुनरावृति की आशंका से उबर नहीं पा रहा है।

एनडीए के हक में हैं ये काम

क्वारंटाइन पर साढ़े आठ हजार खर्च, राशनकार्ड धारियों को एक एक हजार रुपया, सामाजिक सुरक्षा एवं छात्रवृति की राशि का तीन महीने का अग्रिम भुगतान, बिहारियों के टे्रन से घर आने का खर्च, 25 लाख से अधिक परिवारों को नया राशन कार्ड। स्थानीय स्तर पर रोजगार देने के लिए नए कारखानों की स्थापना की कोशिश। इसके लिए औद्योगिक नीति में संशोधन। गरीबों को पांच किलो अनाज दिया जा रहा है।  इसे नवम्बर तक विस्तृत किया गया है। उज्जवला योजना के तहत रसोई गैस। 

विपक्ष क्या कह रहा है

कोरोना संकट शुरू होते ही विपक्ष ने दूसरे राज्यों में रहने वाले बिहारियों को वापस बुलाने की मांग की थी। उस समय राज्य सरकार ने संक्रमण का हवाला देकर मना कर दिया था। उसके बाद राज्य सरकार की पहल से लोग घर लौटे। विपक्ष घर वापसी की पीड़ा की याद दिलाकर सहानुभूति हासिल करने की योजना बना रहा है। स्थानीय स्तर पर रोजगार की कमी और फिर से श्रमिकों के पुराने कार्यस्थल पर लौटने की मजबूरी को भी मुद्दा बना रहा है। 


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