बिहार में उपचुनाव से पहले चिराग-पारस को झटका, इलेक्शन कमीशन ने लगाई लोजपा के सिंबल पर रोक
चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस से झगड़े के बीच शनिवार को चुनाव आयोग ने लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) का सिंबल (बंगला) फ्रीज कर दिया है। इलेक्शन कमीशन ने दोनों ही पक्षों को अपनी ओर से हल निकालने के लिए कहा है।
राज्य ब्यूरो, पटना : बिहार विधानसभा की दो सीटों (तारापुर और कुशेश्वरस्थान) पर उपचुनाव से पहले चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारसा को चुनाव आयोग से बड़ा झटका लगा है। इलेक्शन कमीशन ने लोजपा का चुनाव चिन्ह बंगला को फ्रीज करते हुए इसका इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। अब दोनों पक्षों को पार्टी के नये नाम और चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ना होगा। चुनाव आयोग ने दोनों ही पक्षों को अंतिम हल निकालने के लिए कहा है। आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि चिराग या पारस, दोनों पक्ष में से किसी को भी लोजपा के प्रतीक चिह्न का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। दोनों गुट अंतरिम उपाय के रूप में नए नाम और चुनाव चिह्न अपने उम्मीदवारों को आवंटित कर सकते हैं। आयोग ने दोनों गुटों को 5 नवंबर तक अपने दावों के समर्थन में पक्ष रखने औ दस्तावेज पेश करने को कहा है।
यह है मामला
लोजपा में टूट के बाद पशुपति कुमार पारस लोकसभा में संसदीय दल का नेता घोषित होने के बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी बुलाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। तब उनके निर्वाचन को पार्टी संविधान के विरुद्ध करार देते हुएआयोग में चुनौती दी थी। हालांकि आयोग में सबसे पहले चिराग की ओर से ही नाम और चुनाव चिह्न पर दावा किया गया था। चिराग ने आयोग से कहा था कि अगर किसी की तरफ से लोजपा पर दावा किया जाता है तो उसे प्रथम दृष्टया खारिज किया जाए। अगर कोई फैसला भी करना है तो पहले चिराग पासवान का पक्ष सुना जाए।
चिराग की अध्यक्षता में बैठक के बाद बनेगी रणनीति
चिराग गुट के प्रवक्ता एके बाजपेयी ने कहा कि आगे की रणनीति के लिए चिराग पासवान की अध्यक्षता में रविवार को बैठक होगी। पांच को आयोग में पक्ष मजबूती से रखने जाएंगे। चुनाव चिन्ह पर रोक लगने से अब बिहार में हो रहे उपचुनाव में उम्मीदवारों को खड़ा करने के लिए दूसरे विकल्प पर विचार करना जरूरी होगा।
चिराग के लिए सुनामी है फैसला
पारस गुट के प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने कहा कि पशुपति कुमार पारस की ओर से लोजपा पर दावेदारी हेतु सभी दस्तावेज चुनाव आयोग को दे चुके हैं और जो भी डाक्यूमेंट चाहिए वो देंगे। फिलहाल चिराग गुट के लिए आयोग का फैसला किसी सुनामी से कम नहीं है। अब आगे के विकल्प पर जल्द ही विचार करेंगे।