बिहार में ईडी की बड़ी कार्रवाई, आरा के शराब तस्कर की सवा करोड़ रुपए की संपत्ति हुई सीज
Bihar Crime इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट यानी प्रवर्त्तन निदेशालय ने बिहार के एक शराब तस्कर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। आरा के इस शराब तस्कर की सवा करोड़ रुपए की संपत्ति सीज कर ली गई है। जहरीली शराब मामले में आरा के संजय प्रताप की संपत्ति पर ईडी का कब्जा
पटना/आरा, जागरण टीम। Bihar Crime: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने बिहार के आरा में जहरीली शराब से मौत के मामले में दोषी पाए गए शराब कारोबारी संजय प्रताप सिंह की सवा करोड़ से अधिक कीमत की करीब 15 अचल संपत्तियों पर शनिवार को कब्जा कर लिया है। उसके एक साथी गांजा तस्कर पूर्व मुखिया की संपत्ति भी जब्त करने की तैयारी में है। ईडी के सूत्रों ने बताया कि साल 2012 में आरा के अनाईठ-बाजार समिति इलाके में शराब पीने से 21 लोगों की मौत हो गई थी। इसे लेकर नवादा थाना में केस हुआ था। इसके अलावा ईडी ने आरोपित संजय प्रताप सिंह, उसकी पत्नी किरण देवी और साथी श्री कुमार के विरूद्ध जांच शुरू की थी। जांचोपरांत ईडी ने कार्रवाई शुरू की थी। धन संशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएल) के तहत यह कार्रवाई की गई है।
ईडी ने चिपका दिया कब्जे का नोटिस
ईडी के सूत्रों के अनुसार एक निर्माणाधीन इमारत, ईट का एक भट्ठा, 1.31 करोड़ रुपये के 13 के भूखंडों समेत 15 संपत्तियां इस मामले से जुड़ी हैं। इन सभी संपत्तियों को साल 2020 के फरवरी में अस्थायी रूप से जब्त किया गया था। इन संपत्तियों पर शनिवार को कब्जा कर नोटिस चस्पा दिया गया। शहर के पकड़ी सर्किट हाउस रोड स्थित एक नव निर्मित अपार्टमेंट पर भी नोटिस चस्पाया गया है।
तीन साल पहले हुई थी आजीवन कारावास की सजा
शराब कांड के बाद नवादा थाना पुलिस की जांच से पता चला था कि मृतक व्यक्तियों ने नकली शराब का सेवन किया था, जिसे संजय प्रताप सिंह और उनके सहयोगियों द्वारा अवैध रूप से बनाया और बेचा गया था। इस मामले में आरा कोर्ट के फैसले के तहत संजय प्रताप सहित 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। आईपीसी, आबकारी अधिनियम और एससी / एसटी अधिनियम के तहत अपराधों के दोषी और प्रत्येक आरोपी व्यक्ति को 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
अवैध कमाई छिपाने के लिए बनाई थी फर्म
पीएमएलए के तहत जांच से पता चला कि संजय प्रताप सिंह ने आय का निवेश किया है। अपने नाम पर और अपनी पत्नी किरण देवी के नाम पर अचल संपत्ति अर्जित करने के लिए देसी शराब के अवैध व्यापार के माध्यम से उत्पन्न अपराध, जिसकी आय का कोई स्वतंत्र स्रोत नहीं था। वर्ष 2011 में, देसी शराब से अपनी दागी आय को वैध बनाने के इरादे से , संजय प्रताप सिंह ने अपराध की आय को कम करने के लिए भोजपुर वाइन ट्रेडर्स नामक एक अपंजीकृत फर्म का गठन किया। वह फर्म में प्रमुख व्यक्ति था, जो केवल व्यावसायिक मामलों का प्रबंधन करता था। आगे की जांच से पता चलता था कि उसने अपराध की आय का उपयोग निर्माण व्यवसाय अर्थात एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में किया। अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए अवैध धन का उपयोग किया गया है।