देसी गायों के संरक्षण से मजबूत होगी अर्थव्यवस्था: राज्यपाल
देश के कृषि एवं पशु वैज्ञानिकों को देसी गायों के नस्ल में सुधार के लिए काम करने की जरूरत है।
पटना । देश के कृषि एवं पशु वैज्ञानिकों को देसी गायों के नस्ल में सुधार के लिए काम करने की जरूरत है। कृषि व पशुपालन देश की अर्थव्यवस्था का आधार है। देसी गायों की नस्ल से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। ये बातें सोमवार को बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय एवं भारतीय पशु पोषण संघ के तत्वावधान में आयोजित वैज्ञानिक संगोष्ठी में राज्यपाल लालजी टंडन ने कही।
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में कृषि का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। आज भी हमारी अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। ऐसे में देसी पशुओं के नस्ल में सुधार बहुत जरूरी है। देसी पशुओं के संरक्षण से ही पशुपालकों को बचाया जा सकता है। राज्य में देसी गायों के संरक्षण के लिए गोकुल ग्राम योजना शुरू की गई है। बिहार के डुमरांव में गोकुल ग्राम योजना चलाई जा रही है। विदेशी नस्ल के पशुओं से सूबे के पशुपालकों का काफी नुकसान हो रहा है। अब समय आ गया है कि देसी पशुओं के संरक्षण के लिए व्यापक अभियान चलाया जाए। उन्होंने कहा कि शहरीकरण के कारण पशुओं के लिए चारा का अभाव होते जा रहा है, यह हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय है।
मौके पर मौजूद पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा कि पशुपालन विभाग काफी बेहतर काम कर रहा है। विभाग ने पिछले वर्ष देश का सर्वोच्च पुरस्कार हासिल किया था।
मौके पर आए अतिथियों का स्वागत करते हुए पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामेश्वर सिंह ने कहा कि सूबे में पशुओं के स्वास्थ्य के सुधार के लिए निरंतर काम किया जा रहा है। वैज्ञानिक संगोष्ठी में उड़ीसा कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. के. प्रधान ने कहा कि पशुपालन के क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है। युवा काफी तेजी से पशुपालन के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। इस अवसर पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार निदेशक डॉ. आरके सोहाने सहित कई वैज्ञानिकों को राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया गया। मौके पर आए अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापन आयोजन समिति के सचिव चंद्रमणि ने किया। संगोष्ठी अगले दो दिनों तक चलेगी।