पीएम मोदी ने परीक्षा पर चर्चा के दौरान पटना के अभिभावक को ऐसा जवाब दिया कि वे झेंप गए
पीएम नरेंद्र मोदी से नमो एप के जरिए पटना के एक अभिभावकने खराब जमाने की शिकायत करते हुए बच्चों के परवरिश की टिप्स पूछीं। पीएम ने कुछ ऐसा जवाब दिया कि वे झेंप गए। फिर मोदी ने बच्चों में अच्छी आदतों और व्यवहार के लिए विस्तार से समझाया
पटना, जागरण संवाददाता। नमो ऐप के जरिए प्रधानमंत्री से बुधवार को परीक्षा पर चर्चा के दौरान पटना के एक अभिभावक ने सवाल पूछा। पटना के प्रवीण कुमार ने सवाल किया कि सर, आज मां-बाप के लिए बच्चों को बड़ा करना मुश्किल हो गया है। कारण है - आज का जमाना और आज के बच्चे। ऐसे में हम कैसे सुनिश्चित करें कि हमारे बच्चे के व्यवहार, आदतें और चरित्र अच्छा हो।
इसपर पीएम मोदी ने पहले तो जवाब दिया कि आप यह जागरूक पिता के रूप में शायद पूछ रहे है। पहले आप यह बताइए कि आपके घर में सफाईवाले , रिक्शा चालक, स्कूल छोड़ने वाले ड्राइवर या अन्य सेवक से कभी उनके घर व उनके परिवार के बारे में पूछा, उनके सुख-दुख की चर्चा की।। कभी उनसे जानकारी ली कि उनके परिवार में कोई कोरोना पॉजिटिव तो नहीं हुए हो। यदि आप ऐसा करते तो आपको अपने बच्चों कभी मूल्य नहीं सीखाने पड़ते। हम आप पर सवाल नहीं खड़ा करते है। एक सामान्य व्यवहार की बात कर रहे हैं। इसपर अभिभावक कुछ झेंप से गए।
बच्चों के निर्णय को समझें
इसके बाद पीएम ने समझाते हुए कहा कि पहले तो आप स्वयं आत्म चिंतन करें कि जीवन जीने का जो तरीका आपने चुना है, आप चाहते है वैसे ही जिंदगी आपके बच्चे भी चुनें। यदि थोड़ा सा भी बदलाव आता है तो लगता है कि पतन हो रहा है, वैल्यूज का ह्रास हो रहा है। मुझे बराबर याद है एक बार स्टार्टअप से जुड़े हुए नौजवानों से जुड़े सवाल किया। तो एक बंगाल की बेटी ने अपना अनुभव बताया। मैं नौकरी छोड़ कर स्टार्टअप की जानकारी घर वाले को बताया तो काफी परेशान हो गए सब। सभी सर्वनाश होने की बात कहीं।
आप जो कर रहे बच्चे देख रहे
प्रधानमंत्री ने कहा कि आपके घर में बच्चे के बर्थ डे होता है तो आप घर में मदद करनेवाले अपने सेवकों के स्वजन को बुलाने के बजाय उन्हें काम पर जल्दी आने की बात कहते हैं। उनसे सही व्यवहार से बात करें। बच्चे जो देखेंगे वहीं सीखेंगे। एक और उदहारण देते हुए कहा कि बेटा-बेटी एक समान। हमारे देव रूप की जो कल्पना की गई है उसमें बेटी को उच्च स्थान दिया गया है। लेकिन हमारे घर के वातावरण में जाने अनजाने में नारी समानता में कुछ न कुछ कमी की संभावना बन ही जाती है। घर के संस्कार यदि अच्छे होते है तो बच्चों पर बुराईयां हावी नहीं होती, लेकिन 19-20 का अंतर हो जाता है। मूल्यों को कभी भी थोपने का प्रयास नहीं करें, मूल्याें को जी कर बताने का प्रयास करें। आप जो कर रहे है वह उसे देख रहा है, वह उसे दोहराने को ललायित रहता है।