Move to Jagran APP

चार दिनों में बिहार सरकार को 14 करोड़ का नुकसान, आरा और पटना के बालू माफिया खड़ा कर रहे महल

ब्रॉडसन कमोडिटीज प्राइवेट लिमिटेड के सरेंडर कर देने के बाद राज्य सरकार को हर रोज इन तीन जिलों में करीब साढे़ तीन करोड़ रुपये राजस्व का चूना लग रहा है। इस तरह पिछले चार दिनों में लगभग 14 करोड़ रुपये राजस्व की क्षति बिहार सरकार को हो चुकी है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Tue, 04 May 2021 05:29 PM (IST)Updated: Tue, 04 May 2021 05:29 PM (IST)
चार दिनों में बिहार सरकार को 14 करोड़ का नुकसान, आरा और पटना के बालू माफिया खड़ा कर रहे महल
बिहार में धड़ल्‍ले से हो रहा बालू का अवैध खनन। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

छपरा, जागरण संवाददाता। लाल बालू की काली कमाई का खेल भोजपुर से सारण तक चल रहा है। इस खेल को देखना है तो छपरा-आरा पुल और सारण के गंगा व घाघरा नदियों के तटीय इलाकों में आइये। छपरा, पटना व भोजपुर जिले में बालू घाटों पर बालू उठाव के लिए 1 मई से सरकारी चालान कटना बंद है। राजस्व चालान काटने वाली कंपनी ने सरकार के समक्ष चार दिन से हाथ खेड़े कर रखे हैं। ब्रॉडसन कमोडिटीज प्राइवेट लिमिटेड के सरेंडर कर देने के बाद राज्य सरकार को हर रोज इन तीन जिलों में करीब साढे़ तीन करोड़ रुपये राजस्व का चूना लग रहा है। इस तरह पिछले चार दिनों में लगभग 14 करोड़ रुपये राजस्व की क्षति बिहार सरकार को हो चुकी है।

loksabha election banner

बिना कर दिए बालू का बेधड़क कारोबार

हास्यास्पद स्थिति तो यह है कि वगैर राजस्व भुगतान किये लाल बालू की अवैध खनन व ब्रिकी खुलेआम हो रही है। खनन विभाग के अफसर भी यह स्वीकार कर रहे हैं कि यहां बालू का कारोबार चालू है और सरकार को एक पैसे का राजस्व नहीं मिल रहा है।

राज्य सरकार को हर दिन 3.38 करोड़ रुपये का घाटा

पटना, भोजपुर व छपरा के बालू घाटों पर सरकारी राजस्व चलान बंद होने से राज्य सरकार को प्रति दिन 3 करोड़ 38 लाख रुपये का घाटा हो रहा है। इसमें सेल्स टेक्स की राशि को जोड़ दे बिहार सरकार का यह राजस्व घाटा करीब तीन करोड़ 50 लाख रुपये पर पहुंच जाएगा। इन घाटों पर लाल बालू की खरीद-ब्रिकी का राजस्व चलान रेट तीन हजार रुपये प्रति सौ सीएफटी है।

घाट के रेट पर ही बाजार में मिल रहा बालू

सेल्स टैक्स व बालू के खनन व लोडिंग को लेकर घाटों पर बालू का रेट तकरीबन पांच हजार रुपये प्रति सौ सीएफटी से अधिक हो जाता है। बावजूद छपरा के बाजारों में बालू पांच हजार रुपये प्रति सौ सीएफटी आसानी से मिल जाता है। खुले बाजार के बालू का यह रेट ही बताता है कि सरकारी राजस्व की चोरी का धंधा यहां खुलेआम है। ऐसा नहीं होता तो खरीद व ब्रिकी रेट समान कैसे होती।

कालाबाजारियों की धौंस से ब्रॉडसन कमोडिटीज पीछे हटी

ब्रॉडसन  कमोडिटीज प्राइवेट लिमिटेड ने 1 मई को यह कहते हुए सरकार के यहां सरेंडर कर दिया कि कालाबाजारियों की धौंस से उसे घाटा हो रहा है। जानकारों की मानें तो यह सच्चाई भी थी। 90 फीसदी बालू वाले वाहन बगैर चालान कटाये बालू लेकर निकल जाते थे। कहते हैं कि इसके लिए जाली चालान का सहारा लिया जाता था, जो महज दो-ढ़ाई सौ रुपये में मिल जाया करता था। ऐसे में कंपनी के लिए कर्मचारियों का खर्च और सरकार को राजस्व देना भारी पड़ रहा था और उसने अपने हाथ खडे़ कर दिये।

भोजपुर, बिहटा और मनेर से आता है बालू

छपरा के जिला खनन पदाधिकारी मधुसूदन चतुर्वेदी ने कहा कि सारण में बालू भोजपुर, बिहटा व मनेर से खनन होकर आता हैं। अवैध खनन वाले बालू वहां नहीं रोके जाते और यहां उन्हें रोकना व पकड़ना मुश्किल हो जाता है। उनके विभाग के पास संसाधन व कर्मचारी उतने नहीं हैं कि यहां प्रतिदिन आने वाले हजारों वाहनों की जांच की जा सके। बावजूद जांच होती है और वाहन पकड़े जाते हैं। पुलिस की अपेक्षाकृत सहयोग मिले तो इस अवैध कारोबार पर लगाम लग सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.