ओपीडी बंद रहने से मरीज परेशान, इमरजेंसी रहीं चालू
भासा एवं आइएमए के तत्वावधान में बंद का किया गया था आह्वान।
पटना । बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ (भासा) एवं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के तत्वावधान में बुधवार को ओपीडी बंद का आह्वान किया गया। दोनों के आह्वान का पीएमसीएच पर तो कोई असर नहीं पड़ा लेकिन राजधानी के न्यू गार्डिनर, राजवंशीनगर एवं गर्दनीबाग अस्पताल में ओपीडी प्रभावित हुई। भासा ने गुरुवार को भी ओपीडी बंद रखने की घोषणा की है। हालांकि इन अस्पतालों में आने वाले मरीजों को इमरजेंसी में देखा गया। सरकारी अवकाश होने के कारण पटना एम्स एवं आइजीआइएमएस में बुधवार को ओपीडी बंद रहा।
पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) में बुधवार को ओपीडी में दिखाने के लिए सुबह छह बजे से ही मरीजों की लाइन लग गई थी। दिन चढ़ने के साथ यहां पर मरीजों की भीड़ बढ़ती गई। यहां पर सामान्य दिनों की तरह ओपीडी मे 1980 मरीजों का इलाज किया गया। इमरजेंसी में 485 मरीजों को देखा गया।
पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि सूबे के कोने-कोने से आने वाले मरीजों का पूर्व की भांति इलाज किया गया। यहां पर काफी संख्या में मरीज राजधानी एवं शहर के बाहर से भी आए। इन मरीजों का इलाज किया गया।
शहर के आयकर गोलंबर के पास स्थित न्यू गार्डिनर अस्पताल में ओपीडी प्रभावित हुई। यहां पर 50 फीसद ही मरीजों का इलाज किया गया। यहां पर सामान्यत: 600 से 700 मरीजों का इलाज किया जाता है। लेकिन बुधवार को लगभग 300 मरीजों का इलाज किया गया। अस्पताल के निदेशक डॉ. मनोज कुमार सिन्हा के अनुसार ओपीडी बंद रहने के कारण मरीजों को थोड़ी परेशानी हुई, लेकिन गंभीर मरीजों का इलाज इमरजेंसी में किया गया।
राजवंशीनगर अस्पताल में भी बंद का असर दिखा। यहां पर ओपीडी लगभग ठप रहा लेकिन इमरजेंसी में इलाज जारी रहा। यहां पर अधिकांश मरीजों का इलाज इमरजेंसी में किया गया। इमरजेंसी में बैठे डॉ. सरसीज ने कहा कि राज्य के कोने-कोने से आने वाले गंभीर मरीजों को लौटना ठीक नहीं, इसलिए सभी मरीजों को इमरजेंसी में ही देखने का प्रयास किया जा रहा है।
: भर्ती होने के लिए भटकते रहे मरीज :
डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से कई मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। खगड़िया से आए विनोद कुमार की पत्नी का पैर एक सप्ताह पहले टूट गया था। वे स्थानीय अस्पताल में एक सप्ताह से इलाज करा रहे थे लेकिन बुधवार को डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के लिए राजधानी के राजवंशीनगर अस्पताल में भेज दिया। यहां लेकर आए तो डॉक्टरों ने ओपीडी में देखने से इंकार कर दिया। वे काफी देर तक पत्नी को लेकर एंबुलेंस में पड़े रहे। कभी उन्हें इमरजेंसी में भेजा जा रहा था तो कभी ओपीडी में लेकिन देर रात तक उसे भर्ती नहीं किया गया। अंत में रात्रि में अस्पताल के बरामदे में गुजारने का निर्णय लिया। अब गुरुवार को एक बार फिर अस्पताल में भर्ती कराने की कोशिश करेंगे। इसी तरह की स्थिति राजधानी के अन्य अस्पतालों में भी देखी गई।