Diwali Bash: राजधानी पटना में फूटे 50 लाख से अधिक के पटाखे, हर साल होती थी पांच करोड़ से ज्यादा की बिक्री
Crackers Burst दीपावली में आतिशबाजी के कारोबार पर राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल द्वारा रोक लगाए जाने के आदेश के आलोक में अनुमंडल प्रशासन की सख्ती दिखी। दीपावली की रात इस बार पटाखों का शोर कम हुआ। इससे न केवल ध्वनि बल्कि वायु प्रदूषण भी कम दर्ज हुआ।
पटना, जेएनएन। दीपावली में आतिशबाजी के कारोबार पर राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल द्वारा रोक लगाए जाने के आदेश के आलोक में अनुमंडल प्रशासन की सख्ती दिखी। दीपावली की रात इस बार पटाखों का शोर कम हुआ। इससे न केवल ध्वनि बल्कि वायु प्रदूषण भी कम दर्ज हुआ। गली-मोहल्लों में पुलिस पेट्रोङ्क्षलग के कारण शाम सात बजे से रात दस बजे के पटाखे पिछले वर्ष की तुलना में आधा छूटे। अधिकतर स्थानों पर मध्य रात तक ही पटाखे छूटे।
मंदी का दंश झेल रहे कारोबार
खाजेकलां पटाखा थोक मंडी के कारोबारी राजेश कुमार राय ने बताया कि गत वर्षों की तुलना में इस वर्ष आधा से भी कम पटाखा की बिक्री हो सकी है। मंडी कारोबारियों की मानें तो प्रतिवर्ष तीन से पांच करोड़ तक बिकने वाला पटाखा कारोबार लगभग पचास से साठ लाख में ही सिमट कर रह गया। अस्थायी लाइसेंस नहीं मिलने के बावजूद पश्चिम दरवाजा से मच्छरहट्टा तथा आसपास के इलाकों में खुली पांच दर्जन से अधिक खुदरा पटाखा दुकानों में फैन्सी व परंपरागत पटाखों की बिक्री अंतिम दो दिन हुई। चीनी पटाखों का लोगों ने बहिष्कार किया।
आधा से अधिक पटाखे बच गए
दुकानदारों ने बताया कि बाहर से आए पटाखा दुकानदार और ग्राहक के लौटने से व्यवसाय पर काफी असर पड़ा। कोरोना संक्रमण के कारण भी कई लोग पटाखे नहीं खरीदे। अधिकतर दुकानदारों ने बताया कि प्रशासन की सख्ती की वजह से दुकानों में आधा से अधिक पटाखे बच गए। दुकानदारों की माने तो इस बार खुदरा दुकानों मे परंपरागत आइटम की बिक्री हुई। अधिकतर लोगों ने फुलझड़ी, महताबी, चरखी, अनार फैन्सी व साधारण, रॉकेट, चटाई व बीड़ी बम तथा फैन्सी आइटमों की खरीदारी की। कारोबारियों की मानें तो लॉकडाउन के कारण इस बार शिवाकाशी से बाजार में नया कोई भी आइटम नहीं आ पाया। दुकानदारों की माने तो इस बार लोगों में भी जागरूकता दिखी। लोगों ने कम प्रदूषण वाले पटाखों की खरीदारी किया।