Saran, Bihar Lok Sabha Election 2019: क्या दामाद तेज प्रताप के विरोध के बीच रूडी को मात दे पाएंगे चंद्रिका राय?
Saran Bihar Lok Sabha Election 2019 बिहार की सारण सीट पर राजद सुप्रीमो लालू की प्रतिष्ठा फंसी है। यहां उनके बेटे तेज प्रताप अपने ससुर व RJD प्रत्याशी चंद्रिका राय के खिलाफ हैं।
By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 05 May 2019 04:25 PM (IST)Updated: Mon, 06 May 2019 04:50 PM (IST)
पटना [अमित आलोक]। बिहार में लोकसभा चुनाव के पांचवे चरण में सारण लोकसभा सीट पर कांटे की टक्कर है। कहने को तो यहां 12 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राजीव प्रताप रूडी और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के चंद्रिका राय के बीच आमने-सामने का मुकाबला होता दिख रहा है। हालांकि, चंद्रिका राय को अपने दामाद व पार्टी सुप्रीमो लालू यादव के बड़े लाल तेज प्रताप यादव का विरोध का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या दामाद तेज प्रताप के विरोध के बीच चंद्रिका राय राजीव प्रातप रूडी को मात दे पाएंगे? यहां राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
सारण में जातीय गोलबंदी ही चुनाव परिणाम प्रभावित करती रही है। इस बार की लड़ाई भी जातीय समीकरणों के बीच ही आमने-सामने की है। यहां महागठबंधन की ओर से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के समधी चंद्रिका राय उम्मीदवार हैं तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के भाजपा उम्मीदवार राजीव प्रताप रूडी अपनी चौथी जीत के लिए एड़ी-चोटी एक किए हुए हैं।
राजनीतिक विरासत बचाने की जद्दोजहद
चंद्रिका राय की बात करें तो वे अपनी व लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक विरासत बचाने की कोशिश में हैं। चंद्रिका राय के पिता दारोगा प्रसाद राय बिहार के मुख्यमंत्री रहे। उनके परिवार की इलाके में पकड़ है। वहीं सारण को लालू प्रसाद यादव के परिवार की परंपरागत सीट भी माना जाता रहा है। सारण से ही लालू प्रसाद यादव सर्वाधिक चार बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। सबसे पहले 1977 में लालू इसी सीट से चुनाव जीतकर संसद गए थे। हालांकि, लालू को यहां से हार का भी सामना करना पड़ा। पहले इस संसदीय सीट का नाम छपरा था।
चंद्रिका राय का मुकाबला भाजपा के राजीव प्रताप रूडी से है। वे यहां से तीन बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं।
लालू व राजद के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न
माना जा रहा है कि इस बार लालू की संसदीय विरासत को संभालने के लिए चुनावी मैदान में उतरे राजद के चंद्रिका राय का यहां से जीतना न केवल लालू के लिए, बल्कि पूरी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है। उनके लिए पार्टी के लिए प्रचार की कमान तेजस्वी ने संभाला।
ससुर के खिलाफ तेज प्रताप के सुर
हालांकि, चंद्रिका राय को अपने दामाद व लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के विरोध का समाना करना पड़ रहा है। एक तरफ तेजस्वी यादव राजद प्रत्याशी चंद्रिका राय के लिए वोट मांगते दिखे, वहीं उनके भाई तेज प्रताप यादव विरोध करते देखे गए। सारण में अपने ही प्रत्याशी को लेकर लालू के दोनों बेटों के अलग-अलग सुर का लाभ राजग को मिले तो आश्चर्य नहीं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अपने घर में पड़ी फूट का असर चंद्रिका राय के चुनाव पर क्या पड़ता है।
इस मामले में चंद्रिका राय कहते हैं कि कहीं कोई फूट नहीं है। वे तेज प्रताप के विरोध से इनकार करते हैं। कहते हैं कि तेज प्रताप ने सबों को अप्रैल फूल बनाया। हालांकि, तेज प्रताप इसका प्रतिवाद करते हुए ससुर के खिलाफ अपने स्टैंड पर अड़े हैं।
विकास पर हावी जातीय समीकरण
सारण वैसे भी राजनीतिक रूप से काफी सजग रहा है, लेकिन यहां विकास कभी मुद्दा नहीं बन पाया। अब तक के चुनावों का रिकॉर्ड है कि जीत-हार के समीकरण जाति के दायरे में सिमट जाते हैं। इस बार जो चुनावी परिदृश्य उभर कर सामने आया है, उसमें भी स्थानीय मुद्दे गौण और जातीय समीकरण ही हावी दिख रहे हैं। रूडी के साथ भाजपा-जदयू के आधार वोटों के साथ स्वजातीय वोट जा सकते हैं। चंद्रिका राय को राजद के माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण के वोट मिल सकते हैं। इसमें उनका स्वजातीय वोट भी शामिल है।
चले जाते रहे दांव पर दांव, आश्वस्त कोई नहीं
एक बात और यह कि रूडी के खेमे के लिए नमो-नीतीश का दमदार फैक्टर है तो चंद्रिका के लिए लालू के पराक्रम-पराभव का इमोशनल कार्ड मायने रखता है। हां, इस इमोशनल कार्ड में तेज प्रताप के विरोध का पेंचभी फंसा हुआ है। अब हार-जीत का फैसला करने यहां के 16.61 लाख मतदाता 1729 मतदान केंद्रों पर कर रहे हैं।
लोकसभा चुनाव 2014, एक नजर
- राजीव प्रताप रूडी (भाजपा): 355120 वोट (विजयी)
- राबड़ी देवी (राजद): 314172 वोट
- सलीम परवेज (जदयू): 107008 वोट
लोकसभा चुनाव 2009, एक नजर
- लालू प्रसाद यादव (राजद): 274209 वोट (विजयी)
- राजीव प्रताप रूडी (भाजपा): 222394 वोट
- सलीम परवेज (बसपा): 45027 वोट
सारण में जातीय गोलबंदी ही चुनाव परिणाम प्रभावित करती रही है। इस बार की लड़ाई भी जातीय समीकरणों के बीच ही आमने-सामने की है। यहां महागठबंधन की ओर से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के समधी चंद्रिका राय उम्मीदवार हैं तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के भाजपा उम्मीदवार राजीव प्रताप रूडी अपनी चौथी जीत के लिए एड़ी-चोटी एक किए हुए हैं।
राजनीतिक विरासत बचाने की जद्दोजहद
चंद्रिका राय की बात करें तो वे अपनी व लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक विरासत बचाने की कोशिश में हैं। चंद्रिका राय के पिता दारोगा प्रसाद राय बिहार के मुख्यमंत्री रहे। उनके परिवार की इलाके में पकड़ है। वहीं सारण को लालू प्रसाद यादव के परिवार की परंपरागत सीट भी माना जाता रहा है। सारण से ही लालू प्रसाद यादव सर्वाधिक चार बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। सबसे पहले 1977 में लालू इसी सीट से चुनाव जीतकर संसद गए थे। हालांकि, लालू को यहां से हार का भी सामना करना पड़ा। पहले इस संसदीय सीट का नाम छपरा था।
चंद्रिका राय का मुकाबला भाजपा के राजीव प्रताप रूडी से है। वे यहां से तीन बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं।
लालू व राजद के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न
माना जा रहा है कि इस बार लालू की संसदीय विरासत को संभालने के लिए चुनावी मैदान में उतरे राजद के चंद्रिका राय का यहां से जीतना न केवल लालू के लिए, बल्कि पूरी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है। उनके लिए पार्टी के लिए प्रचार की कमान तेजस्वी ने संभाला।
ससुर के खिलाफ तेज प्रताप के सुर
हालांकि, चंद्रिका राय को अपने दामाद व लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के विरोध का समाना करना पड़ रहा है। एक तरफ तेजस्वी यादव राजद प्रत्याशी चंद्रिका राय के लिए वोट मांगते दिखे, वहीं उनके भाई तेज प्रताप यादव विरोध करते देखे गए। सारण में अपने ही प्रत्याशी को लेकर लालू के दोनों बेटों के अलग-अलग सुर का लाभ राजग को मिले तो आश्चर्य नहीं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अपने घर में पड़ी फूट का असर चंद्रिका राय के चुनाव पर क्या पड़ता है।
इस मामले में चंद्रिका राय कहते हैं कि कहीं कोई फूट नहीं है। वे तेज प्रताप के विरोध से इनकार करते हैं। कहते हैं कि तेज प्रताप ने सबों को अप्रैल फूल बनाया। हालांकि, तेज प्रताप इसका प्रतिवाद करते हुए ससुर के खिलाफ अपने स्टैंड पर अड़े हैं।
विकास पर हावी जातीय समीकरण
सारण वैसे भी राजनीतिक रूप से काफी सजग रहा है, लेकिन यहां विकास कभी मुद्दा नहीं बन पाया। अब तक के चुनावों का रिकॉर्ड है कि जीत-हार के समीकरण जाति के दायरे में सिमट जाते हैं। इस बार जो चुनावी परिदृश्य उभर कर सामने आया है, उसमें भी स्थानीय मुद्दे गौण और जातीय समीकरण ही हावी दिख रहे हैं। रूडी के साथ भाजपा-जदयू के आधार वोटों के साथ स्वजातीय वोट जा सकते हैं। चंद्रिका राय को राजद के माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण के वोट मिल सकते हैं। इसमें उनका स्वजातीय वोट भी शामिल है।
चले जाते रहे दांव पर दांव, आश्वस्त कोई नहीं
एक बात और यह कि रूडी के खेमे के लिए नमो-नीतीश का दमदार फैक्टर है तो चंद्रिका के लिए लालू के पराक्रम-पराभव का इमोशनल कार्ड मायने रखता है। हां, इस इमोशनल कार्ड में तेज प्रताप के विरोध का पेंचभी फंसा हुआ है। अब हार-जीत का फैसला करने यहां के 16.61 लाख मतदाता 1729 मतदान केंद्रों पर कर रहे हैं।
लोकसभा चुनाव 2014, एक नजर
- राजीव प्रताप रूडी (भाजपा): 355120 वोट (विजयी)
- राबड़ी देवी (राजद): 314172 वोट
- सलीम परवेज (जदयू): 107008 वोट
लोकसभा चुनाव 2009, एक नजर
- लालू प्रसाद यादव (राजद): 274209 वोट (विजयी)
- राजीव प्रताप रूडी (भाजपा): 222394 वोट
- सलीम परवेज (बसपा): 45027 वोट
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