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सत्त्ता संग्राम: जगन्‍नाथ मिश्र के क्षेत्र रहे झंझारपुर में आमने-सामने होंगे भाजपा-राजद

बिहार का झंझारपुर लोकसभा सीट पूर्व मुख्‍यमंत्री डॉ. जगन्‍नाथ मिश्र का क्षेत्र रहा है। यहां आगामी चुनाव में भाजपा व राजद आमने-सामने होंगे, यह तय लग रहा है।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 03 Jul 2018 08:08 PM (IST)Updated: Tue, 03 Jul 2018 09:05 PM (IST)
सत्त्ता संग्राम: जगन्‍नाथ मिश्र के क्षेत्र रहे झंझारपुर में आमने-सामने होंगे भाजपा-राजद
सत्त्ता संग्राम: जगन्‍नाथ मिश्र के क्षेत्र रहे झंझारपुर में आमने-सामने होंगे भाजपा-राजद

पटना [अरविंद शर्मा]। चंदेल राजपूत सरदार जूझार सिंह के नाम पर बसा झंझारपुर अपनी पहचान-प्रतिष्ठा के लिए दशकों से जूझ रहा है। अभी यह न गांव है, न शहर। अनुमंडल का परिचय लेकर आजादी के बाद से ही जिला बनने के लिए बेताब है। कई सियासतदां आए-गए। वादा किया और तोड़ा, लेकिन कोसी-कमला की गोद में अपेक्षा-उपेक्षा के बीच झूलते झंझारपुर संसदीय क्षेत्र की किस्मत वहीं की वहीं है।

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पांच बार सांसद और केंद्र में मंत्री बनने वाले देवेंद्र प्रसाद यादव के समय जो तस्वीर थी, वही आज भी है। धनिक लाल से मंगनी लाल तक मौके आते-जाते रहे, किंतु बदला कुछ भी नहीं। पब्लिक ने 2014 में पहली बार भाजपा को भी आजमा कर देखा, लेकिन जिला बनने का इंतजार अभी जारी है। सांसद वीरेंद्र कुमार चौधरी के पांचवे साल से उम्मीदें अभी बाकी है।

मिथिला की राजनीति का प्रमुख केंद्र

भूगोल में झंझारपुर का कद बड़ा नहीं है, किंतु सियासत में बड़ी हनक है। मिथिला की राजनीति का यह प्रमुख केंद्र रहा है। वीरेंद्र चौधरी से पहले यहां की राजनीति में श्यामनंदन मिश्र, भोगेंद्र झा, जगन्नाथ मिश्र, धनिक लाल मंडल एवं गौरीशंकर राजहंस जैसे नेता सक्रिय रहे हैं।

समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र प्रसाद तो पांच बार लोकसभा पहुंचे और देवेगोड़ा सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने, किंतु किसी ने बाढ़ से बचाव का उपाय नहीं किया। बेरोजगारी, पलायन और पिछड़ेपन आज भी झंझारपुर का पर्याय है। जिला भी नहीं बना और अब तो अलग मिथिला राज्य की मांग भी जोर पकडऩे लगी है।

धुरंधरों को अपनों से खतरा

लोकसभा चुनाव 10 महीने दूर हैं, लेकिन दावेदारी अभी से शुरू है। वीरेंद्र चौधरी के जरिए भाजपा ने पहली बार इंट्री मारी है। इसलिए उनकी दावेदारी पर किंतु-परंतु नहीं। फिर भी पूर्व मंत्री नीतीश मिश्र हाथ-पांव मार रहे हैं। स्थानीय मुद्दों पर सोशल मीडिया में सक्रियता में उनकी दावेदारी की झलक भी मिल जाती है।

महागठबंधन में दावेदारी को लेकर अंदर-अंदर महाभारत है। सवाल पहले सीट का है। मंगनी लाल के लिए यह राजद के खाते में रहती है या लालू प्रसाद रिश्तेदारी निभाते हुए अखिलेश यादव के बिहारी सिपहसालार देवेंद्र यादव को भेंट कर देते हैं। अभी तय नहीं है, किंतु कोशिश दोनों ओर से जारी हैं। देवेंद्र क्षेत्र में सक्रिय हैं और मंगनी लाल पटना में। कामयाबी किसे मिलती है, वक्त बताएगा। वैसे जदयू-राजद में दोनों का आना-जाना लगा रहा है। देवेंद्र दोनों दल से एमपी बन चुके हैं तो मंगनी भी दोनों घर देख आए हैं। अबकी भी सबकुछ हालात पर निर्भर करेगा।

जिला बनाने के लिए धरना भी देंगे

सांसद वीरेंद्र चौधरी झंझारपुर को जिला बनाने के लिए संकल्पित हैं। इसके लिए उन्हें धरना-प्रदर्शन भी करना पड़े तो परहेज नहीं। चार सालों में क्षेत्र की बहुप्रतीक्षित जरूरतें पूरी की। इनके प्रयासों से एनएच-104 एवं 105 पर काम चल रहा है। संकरी से निर्मली और झंझारपुर से लौकहा तक छोटी लाइन पर दिसंबर तक ट्रेन दौडऩे की उम्मीद है। छोटी-बड़ी 157 सड़कों का काम पूरा किया। अपने कोष का भी पूरा इस्तेमाल किया। मधेपुर-कोसी बेल्ट की सात पंचायतों के सभी गांवों को सड़कों से जोड़ा। गांव-घर तक बिजली पहुंचाई। अब हर खेत में पानी पहुंचाने का प्रयास है।

झंझारपुर संसदीय सीट

(2014 के महारथी और वोट)

बीरेंद्र कुमार चौधरी : भाजपा : 335481

मंगनीलाल मंडल : राजद : 280073

देवेंद्र प्रसाद यादव : जदयू : 183598

पवन कुमार : निर्दलीय : 17790

मनीलाल साहू : बसपा : 14190

विधानसभा क्षेत्र

खजौली, बाबूबरही, राजनगर, झंझारपुर, फूलपरास, लौकहा


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