अभिलेखागार करा रहा दुर्लभ दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन, एक क्लिक में पढ़िए बिहार से जुड़े 17 गजेटियर
बिहार की राजनीतिक भौगोलिक ऐतिहासिक सांस्कृतिक और शैक्षणिक विरासत के दस्तावेज अब एक क्लिक पर आम लोगों के लिए उपलब्ध रहेंगे।
पटना, जेएनएन। बिहार की राजनीतिक, भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक विरासत के दस्तावेज अब एक क्लिक पर आम लोगों के लिए उपलब्ध रहेंगे। निदेशालय के पास वर्ष 1770 और इसके बाद तैयार किए गए कई दुर्लभ दस्तावेज मौजूद हैं। यहां की लाइब्रेरी में 20 हजार से अधिक किताबें, रिपोट्र्स और गजेटियर संकलित हैं। इन दस्तावेजों की डिजिटल कॉपी सरकारी वेबसाइटों पर अपलोड की जा रही है। गजेटियरों को ऑनलाइन करने का काम पूरा हो चुका है। इससे शोधार्थियों और पढऩे-लिखने के शौकीन लोगों को काफी सहूलियत होगी। डिजिटलाइजेशन से इन दस्तावेजों तक पहुंच तो आसान होगी ही, इनका संरक्षण भी हो सकेगा।
दस्तावेजों की सूची कर दी सार्वजनिक
निदेशालय की वेबसाइट पर इन दस्तावेजों को अपलोड करने की प्रकिया चल रही है। वर्ष 1917 में महात्मा गांधी की चंपारण यात्रा से जुड़े दस्तावेज इस वेबसाइट पर उपलब्ध करा दिए गए हैं। इसके साथ ही निदेशालय ने अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध दस्तावेजों की सूची भी सार्वजनिक कर दी है। इससे दस्तावेजों को ढूंढना आसान हो गया है। पुराभिलेखापाल डॉ. रश्मि ने बताया कि निदेशालय के पास गजेटियरों का वृहद संग्रह है। इसमें अंग्रेजी राज के दौरान से लेकर आजादी के बाद के गजेटियर भी शामिल हैं। ये गजेटियर अब भारत सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध करा दिए गए हैं। निदेशालय की ओर से 19 गजेटियर इस वेबसाइट पर साझा किए गए हैं। इस वेबसाइट पर और भी ढेर सारे गजेटियर और अन्य दस्तावेज, किताबें पूरी तरह मुफ्त में हर किसी को उपलब्ध हैं।
टोडरमल की डायरी का होगा अनुवाद
अभिलेखागार निदेशालय के निदेशक डॉ. महेंद्र पाल ने बताया कि मुगल सम्राट अकबर के नौ रत्नों में शामिल टोडरमल की डायरी जो कि परशियन लिपि में लिखी है, का अनुवाद कराकर वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाएगा। इस दस्तावेज के अनुवाद होने से उस समय के राजस्व व वित्त प्रशासन की महत्वपूर्ण जानकारी लोगों को मिलेगी। इसके लिए दिल्ली अभिलेखागार के विशेषज्ञ जाकिर हुसैन से इस विषय पर बात हुई है। निदेशालय परिसर में आर्ट गैलरी की स्थापना करने के साथ इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की भी योजना है।