चैती छठ: उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य के साथ चैती छठ संपन्न
लोक आस्था का महापर्व छठ शनिवार को उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न हो गया। इस दौरान बिहार के विभिन्न नदी घाटों व तालाबों पर आस्था का जन सैलाब उमड़ पड़ा।
By Amit AlokEdited By: Published: Sat, 24 Mar 2018 08:13 AM (IST)Updated: Sat, 24 Mar 2018 09:36 PM (IST)
style="text-align: justify;">पटना [जागरण टीम]। लोक आस्था के पावन पर्व चैती छठ का शनिवार को प्रात:कालीन अर्घ्य के साथ समापन हो गया। इसके पहले शुक्रवार की शाम व्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। पूजा के लिए राजधानी के विभिन्न घाटों पर स्थानीय लोगों एवं प्रशासन की ओर से व्यवस्था की गई थी। पटना के गंगा घाटों के अलावा काफी संख्या में व्रतियों ने पूरे राज्य में नदियों-तालाबों एवं अपने घरों की छतों पर भी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया।
शुक्रवार को दिनभर निर्जला उपवास के बाद व्रतियों ने भगवान भास्कर की पूजा की। इसके बाद शनिवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। काफी संख्या में व्रती सांध्यकालीन अर्घ्य के बाद घाटों पर ही रुक गए थे। वे सुबह का अर्घ्य देकर घरों को लौटे। अन्य व्रतियों के घाटों पर आने का सिलसिला अहले सुबह से शुरू हो गया था। धीरे-धीरे घाटों पर व्रतियों की संख्या बढ़ती चली गई।
पटना में गंगा किनारे काफी संख्या में लोग पैदल आते दिखे। अर्घ्य के समय गंगा के तट छठी माई के गीतों से गूंज उठा। सुबह सूर्योदय के साथ ही अर्घ्य देने का सिलसिला शुरू हो गया। अधिकांश व्रती घर से ही दउरा सजाकर लाए थे। गाय के दूध एवं गंगा के जल से व्रतियों के परिजनों ने अर्घ्य दिलाया।
पटना में सर्वाधिक भीड़ गंगा के दीघा घाट पर दिखी। गंगा के अलावा चिडिय़ाघर की झील के किनारे भी काफी संख्या में व्रतियों ने अर्घ्य दिया। शहर के मानिक चंद तालाब एवं सरिस्ताबाद तालाब के किनारे भी व्रतियों ने अर्घ्य अर्पित किए। बोरिंग केनाल रोड स्थित पंचमुखी महावीर मंदिर एवं कंकड़बाग स्थित साईं मंदिर में बने तालाब में भी काफी संख्या में व्रतियों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया।
बिहार में अन्य जगहों पर भी यही नजारा रहा। इसके बाद व्रतियों ने पारण कर इस चार दिवसीय अनुष्ठान का समापन कर दिया।
शुक्रवार को दिनभर निर्जला उपवास के बाद व्रतियों ने भगवान भास्कर की पूजा की। इसके बाद शनिवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। काफी संख्या में व्रती सांध्यकालीन अर्घ्य के बाद घाटों पर ही रुक गए थे। वे सुबह का अर्घ्य देकर घरों को लौटे। अन्य व्रतियों के घाटों पर आने का सिलसिला अहले सुबह से शुरू हो गया था। धीरे-धीरे घाटों पर व्रतियों की संख्या बढ़ती चली गई।
पटना में गंगा किनारे काफी संख्या में लोग पैदल आते दिखे। अर्घ्य के समय गंगा के तट छठी माई के गीतों से गूंज उठा। सुबह सूर्योदय के साथ ही अर्घ्य देने का सिलसिला शुरू हो गया। अधिकांश व्रती घर से ही दउरा सजाकर लाए थे। गाय के दूध एवं गंगा के जल से व्रतियों के परिजनों ने अर्घ्य दिलाया।
पटना में सर्वाधिक भीड़ गंगा के दीघा घाट पर दिखी। गंगा के अलावा चिडिय़ाघर की झील के किनारे भी काफी संख्या में व्रतियों ने अर्घ्य दिया। शहर के मानिक चंद तालाब एवं सरिस्ताबाद तालाब के किनारे भी व्रतियों ने अर्घ्य अर्पित किए। बोरिंग केनाल रोड स्थित पंचमुखी महावीर मंदिर एवं कंकड़बाग स्थित साईं मंदिर में बने तालाब में भी काफी संख्या में व्रतियों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया।
बिहार में अन्य जगहों पर भी यही नजारा रहा। इसके बाद व्रतियों ने पारण कर इस चार दिवसीय अनुष्ठान का समापन कर दिया।
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