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माघी पूर्णिमा पर पटना के गंगा घाटों पर उमड़े श्रद्धालु, मंदिरों में सुबह से होती रही पूजा-अर्चना

बिहार की राजधानी पटना के गंगा घाटों पर शनिवार को माघ मास के शुक्लपक्ष पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं ने गंगा नदी समेत पवित्र नदियों में स्नान करने के दौरान हर-हर गंगे के जयकारे लगाते रहे।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 12:31 PM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 12:31 PM (IST)
माघी पूर्णिमा पर पटना के गंगा घाटों पर उमड़े श्रद्धालु, मंदिरों में सुबह से होती रही पूजा-अर्चना
पटना में गाय घाट पर गंगा में स्‍नान करते श्रद्धालु। जागरण

पटना, जागरण संवाददाता। बिहार की राजधानी पटना के गंगा घाटों पर शनिवार को माघ मास के शुक्लपक्ष पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं ने गंगा नदी समेत पवित्र नदियों में स्नान करने के दौरान हर-हर गंगे के जयकारे लगाते रहे। बनारसी पंचांग के अनुसार माघी पूर्णिमा सूर्योदय से दोपहर एक बज कर 52 मिनट तक व मिथिला पंचांग के अनुसार दोपहर दो बजकर चार मिनट तक है। वहीं श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को अर्घ्‍य देकर नमन किया।

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मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की दिखी भीड़

माघी पूर्णिमा को लेकर शहर के दरभंगा हाऊस काली मंदिर, गांधी घाट, भद्र घाट, महावीर व दीघा घाट समेत अनेक घाटों पर लोगों की भीड़ उमड़ते रही। श्रद्धालुओं ने अहले सुबह विभिन्न घाटों पर गंगा में डुबकी लगाने के साथ मंदिरों में भी पूजा अर्चना कर गरीबों के बीच दान-पुण्य किया। पंडित श्रीनिवास पाठक की मानें तो माघी पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान कर दान पुण्य करने से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। वैसे तो वर्ष में 12 पूर्णिमा तिथियां होती है जिसमें पूर्ण चंद्रोदय होता है। लेकिन माघ महीने की पूर्णिमा का अपना महत्व है।

सभी मासों में उत्‍तम माना गया है माघ

विष्णु पुराण में भगवान विष्णु ने माघ मास को मासोत्तम मास की संज्ञा दी है। जो लोग पूरे माह गंगा नदी में स्नान नहीं करते वे माघी पूर्णिमा के दिन स्नान कर पुण्य प्राप्त करते हैं। ज्योतिष आचार्य राकेश झा की मानें तो माघी पूर्णिमा पर मघा नक्षत्र व सुकर्मा योग में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं ने घरों में भी भगवान नारायण की पूजा अर्चना श्रद्धा से की।

अमृत वर्षा करते हैं चंद्रमा

पंडित गजाधर झा ने कहा कि गंगा तट पर तीस दिनों तक चलने वाला कल्पवास का भी समापन माघी पूर्णिमा पर हुआ। माघी पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होने के साथ अमृत वर्षा करते हैं। मकर राशि में सूर्य का प्रवेश और कर्क राशि में चंद्रमा का प्रवेश होने से माघी पूर्णिमा को पुण्य दायक योग बनाता है।


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