पटना के गंगा तट पर छठ अर्घ्य के दौरान दिखा कुछ अलग नजारा...
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही आज चार दिवसीय महापर्व छठ संपन्न हो गया। पटना के गंगा घाट पर एक ओर जहां जनसैलाब उमड़ पड़ा था, वही कुछ अद्भुत नजारे भी देखने को मिले।
पटना [जेएनएन]। बिहार में चार दिवसीय लोकआस्था का महापर्व आज सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया। पटना में गंगा के विभिन्न घाटों पर जनसैलाब उमड़ पड़ा और सूर्य की आराधना के साथ ही पारंपरिक विधि से इस पर्व का समापन हुआ। जहां एक ओर लोग अर्घ्य देने में व्यस्त थे तो बच्चे भी मस्ती में डूबे रहे।
वैसे अर्घ्य का शुभ मुहूर्त सुबह छह बजे के बाद का था, लेकिन सुबह सात बजे तक पटना में छाये कुहासे की वजह से भगवान भास्कर का दर्शन व्रतियों को नहीं हो सका। लेकिन सूर्योदय का समय होते ही अर्घ्य देने के लिए लंबी कतार लग गई। अर्घ्य देने से घंटों पहले व्रती स्त्री-पुरूष गंगा नदी में प्रवेश कर दोनों हाथ जोड़े भगवान भास्कर की आराधना करते रहे।
अर्घ्य का शुभ मुहूर्त होते ही एक-एक कर अर्घ्य के सामान से सजे सूप को हाथों में थामे व्रतियों ने पूरब की दिशा में भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया। काफी भीड़ होने की वजह से कुछ व्रतियों को असुविधा भी हो रही थी लेकिन सबने मिल जुलकर अर्घ्य दिया।
वहीं अर्घ्य देने के साथ ही व्रतियों ने अपने 36 घंटे के निर्जला उपवास को समाप्त किया और नदी किनारे ही छठ माता की बालू से प्रतिमा बनाकर उन्हें धूप-दीप दिखाया और फूल-फल अर्पण कर उनसे क्षमायाचना की। फिर उस प्रतिमा को नदी में विसर्जित किया। इसके बाद व्रतियों ने घाट पर ही थोड़ा-सा प्रसाद ग्रहण किया और व्रत संपन्न किया। फिर व्रतियों ने घाट पर मौजूद लोगों के साथ ही अपने परिजनों के बीच प्रसाद वितरित किया।
व्रती के पैर छूकर लोगों ने आशीर्वाद लिया और प्रसाद लेकर लोग घर की ओर लौट पड़े। लोगों का एक हुजूम गंगा के तट से विदा हुआ।
एक ओर जहां लोग छठ की पूजा में व्यस्त थे तो वही गंगा तट पर कुछ अलग दृश्य भी देखने को मिले। बच्चों ने गंगा में खूब डुबकी लगाई और खूब मस्ती की। तो वहीं प्रशासन की ओर से इस बार काफी अच्छी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी, जिसकी लोगों ने खूब तारीफ की।
घाट पर बीच-बीच में एनडीआरएफ की नाव भी गुजरती थी और सीटी बजाकर लोगों को आगाह कर रही थी और बच्चों की शरारत पर मुस्कुरा रही थी। घाट पर बिल्कुल मेले सा दृश्य था। तरह-तरह के सामान बिक रहे थे तो वहीं घर लौट रहे व्रतियों के लिए जगह-जगह चाय पानी की व्यवस्था की गई थी।
कहीं मुंडन संस्कार हो रहा था तो कहीं बालू में लोट रहे बच्चे अपना घर बनाने में व्यस्त थे। कुछ व्रतियों के लिए परिजनों ने घाट से दूर कुछ खाने-पीने की व्यवस्था की थी। पूरा घाट रंग-बिरंगे लाइट से जगमग कर रहा था। प्रशासन की तरफ से लोगों को सतर्कता बरतने की सलाह दी जा रही थी।