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सजा पूरी होने के बावजूद बिहारशरीफ जेल में है बांग्लादेश की रिया, छोटी सी गलती पड़ रही भारी

अवैध रुप से भारत में प्रवेश करने के आरोप में बिहारशरीफ की जेल में बंद बांग्लादेश की रिया आफरीन सजा की अवधि पूरी होने के बाद भी जेल में ही है। उसकी सजा बीते 22 जनवरी को पूरी हो चुकी है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 10:51 PM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 10:51 PM (IST)
सजा पूरी होने के बावजूद बिहारशरीफ जेल में है बांग्लादेश की रिया, छोटी सी गलती पड़ रही भारी
बिहारशरीफ जेल में बंद है बांग्लादेश की रिया। प्रतीकात्मक तस्वीर।

जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ: अवैध रुप से भारत में प्रवेश करने के आरोप में बिहारशरीफ की जेल में बंद बांग्लादेश की रिया आफरीन सजा की अवधि पूरी होने के बाद भी जेल में ही है। उसकी सजा बीते 22 जनवरी को पूरी हो चुकी है। बताया गया कि 12 अक्टूबर, 2019 को नूरसराय थाना क्षेत्र में अहियापुर गांव के पास भटक रही एक महिला को पुलिस ने लोगों की शिकायत पर पकड़ा था। लोग उसकी बोली (बांग्ला) व पहनावे से सशंकित थे। पुलिस ने पूछताछ की तो उसने खुद की पहचान बांग्लादेश के खुलना जिला के खलिसपुर थाना क्षेत्र निवासी मो. शाहजहां की पत्नी रिया आफरीन के तौर पर बताई। उसके पास भारत आने संबंधी कोई दस्तावेज नहीं थे। पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया। अदालत ने अवैध रूप से दूसरे देश में प्रवेश के आरोप में उसे एक वर्ष सात दिन की सजा सुनाई। उसकी सजा बीते 22 जनवरी को पूरी हो गई। 

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दलाल के चंगुल में फंसी रिया

बताया गया कि कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में सजा पूरी होने के बाद एसपी को महिला को स्वदेश भेजने में सहयोग करने का निर्देश दिया था। बांग्लादेश के दूतावास को इस बारे में सूचित भी कर दिया गया है। लेकिन अब तक वहां से रिया के बांग्लादेश की नागरिक होने की पुष्टि संबंधी कोई संदेश नहीं आया है। वहीं इस संबंध में जेल अधीक्षक प्रभात कुमार ने बताया कि रिया ने बताया कि काम दिलवाने के नाम पर किसी दलाल के चंगुल में फंस कर वह बांग्लादेश के रास्ते भारत आ गई थी और फिर हैदराबाद व इलाहाबाद के रास्ते वह नालंदा (बिहारशरीफ) पहुंची। 

पांच हजार रुपये भी किए अर्जित

जेल अधीक्षक ने बताया कि ऐसे मामलों में रिहाई के बाद जब तक कैदी की शिनाख्त के बारे उसके देश की ओर से कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है, वैसे कैदी को डिटेंशन सेंटर में रखने का प्रावधान है। बिहार में एकमात्र पूर्णिया सेंट्रल जेल में ही डिटेंशन सेंटर है, किंतु वहां एक भी महिला नहीं होने के कारण रिया आफरीन को बिहारशरीफ जेल में ही रखा गया है। उन्होंने कहा, सजा के दौरान रिया ने बागवानी व कोरोना काल में सिलाई करके करीब पांच हजार रुपये बतौर पारिश्रमिक अर्जित कर लिए हैं। कोरोना काल में उसने काफी संख्या में मास्क तैयार किया। वह सिलाई-कटाई में भी निपुण है।


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