Move to Jagran APP

बिहारः एक-दो नहीं इस घर के 13 लोग थे संक्रमित, जानें किस गुरुमंत्र से परिवार ने कोरोना को कर दिया निगेटिव

पटना के अगमकुआं थाना क्षेत्र के कांटी फैक्ट्री रोड में रहने वाले 14 सदस्यों के परिवार में 13 संक्रमित हो गए थे। परिवार के मुखिया इकलौते ऐसे सदस्य थे जो पॉजिटिव नहीं थे। पूरा परिवार लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहा और मिल-जुल कर कोरोना को मात दे दी।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 08:51 PM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 08:51 PM (IST)
बिहारः एक-दो नहीं इस घर के 13 लोग थे संक्रमित, जानें किस गुरुमंत्र से परिवार ने कोरोना को कर दिया निगेटिव
अगमकुआं थाना क्षेत्र के कांटी फैक्ट्री रोड में रहने वाले राजेश कुमार राज के परिवार के सदस्य।

अनिल कुमार, पटना सिटी: कोरोना की दूसरी लहर महामारी के रूप में सामने आई तो कई ऐसे भी परिवार हैं जिन्होंने घर में रहते हुए साथ मिलकर न सिर्फ संक्रमण को मात दी बल्कि दूसरे के लिए भी मिसाल बने। पटना के अगमकुआं थाना क्षेत्र के कांटी फैक्ट्री रोड में रहने वाला ऐसा ही एक 14 सदस्यों का परिवार है, जिनके 13 सदस्य कोरोना से संक्रमित हो गए। परिवार के मुखिया जिलाधिकारी के गोपनीय शाखा में कार्यरत राजेश कुमार राज इकलौते ऐसे सदस्य थे जो संक्रमित नहीं थे। कुछ सदस्यों के तबीयत बिगड़ने के बावजूद, पूरा परिवार लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहा और मिल-जुल कर हंसते-खेलते कोरोना को मात दे दी।

loksabha election banner

एक मकान में रहता है 14 लोगों का परिवार

परिवार की बुजुर्ग सदस्य और गृहस्वामी की सास बसंती सिन्हा ने सोमवार को बताया कि एक ही मकान में उनके बेटी-दामाद, बेटी के देवर और ननद का 14 लोगों का परिवार रहता है। 15 अप्रैल को जब यहां कोरोना का कहर शुरू हुआ तभी परिवार के कुछ सदस्य बीमार पड़े। दो दिन से ज्यादा बुखार होने पर उन लोगों ने जांच कराई तो वे लोग संक्रमित निकले। इसके बाद पूरे परिवार की जांच हुई और केवल गोपनीय शाखा में कार्यरत उनके दामाद को छोड़कर सभी लोग संक्रमित पाए गए।

वीडियो  कॉल और चैटिंग से बना रखा था संपर्क

पूरे परिवार के संक्रमित होने से वे लोग घबरा गए, लेकिन परिवार के वरिष्ठ सदस्य के रूप में उन्होंने और उनकी समधन ने सभी हौसला बढ़ाया। घर बड़ा है और परिवार के सभी संक्रमित सदस्य अलग-अलग कमरे में शिफ्ट हो गए। दामाद जी को ऑफिस से 14 दिनों की छुट्टी मिल गई और उन्होंने ही सबकी देखभाल की। परिवार के लोग घर में आइसोलेट रहने के दौरान एक दूसरे के कमरे में नहीं गए। कोई बात भी करनी होती थी तो वीडियो कॉल और चैटिंग का सहारा लेते थे।

भजन सुनते और एक दूसरे का हौसला बढ़ाते

राजेश कुमार पर सभी लोगों के लिए खाना बनाने और उनके लिए दवा का इंतजाम करने की जिम्मेदारी थी। बसंती सिन्हा बताती हैं कि स्पीकर के माध्यम से सुबह शाम भजन और गाने वे लोग सुनते थे और एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते थे। डॉक्टर की सलाह पर वे लोग दवा लेते रहे और तुलसी की चाय और काढ़ा का नियमित इस्तेमाल करते रहे। धीरे-धीरे वे लोग ठीक होने लगे और आठ मई को आरटीपीसीआर जांच में सभी का कोरोना टेस्ट निगेटिव आया। स्वजनों का कहना है कि उन लोगों ने महसूस किया कि मानसिक रूप से मजबूत रहने पर कोरोना को हराना कोई मुश्किल काम नहीं है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.