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पटना हाईकोर्ट में हिंदी में याचिका दर्ज होगी या नहीं, फैसला 11 अप्रैल को, जानें मामला

पटना हाईकोर्ट में याचिका हिंदी में दर्ज होगी या नहीं इस पर फैसला 11 अप्रैल को आने की उम्मीद है। इस मामले में गुरुवार को सुनवाई पूरी हो गई और हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Thu, 07 Mar 2019 04:22 PM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2019 08:02 PM (IST)
पटना हाईकोर्ट में हिंदी में याचिका दर्ज होगी या नहीं, फैसला 11 अप्रैल को, जानें मामला
पटना हाईकोर्ट में हिंदी में याचिका दर्ज होगी या नहीं, फैसला 11 अप्रैल को, जानें मामला

पटना [जेएनएन]। पटना हाईकोर्ट में याचिका हिंदी में दर्ज होगी या नहीं, इस पर फैसला 11 अप्रैल को आने की उम्मीद है। इस मामले में गुरुवार को सुनवाई पूरी हो गई और हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। फैसले के बिंदु पर सुनवाई की अगली तिथि 11 अप्रैल निर्धारित की गई है। 

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इंद्रदेव कुमार की याचिका पर चीफ जस्टिस एपी शाही की पूर्ण पीठ ने गुरुवार को सुनवाई की। अभी पटना हाईकोर्ट में अंग्रेजी में ही याचिका दायर किये जाने का प्रावधान हैं। याचिकाकर्ता इंद्रदेव कुमार ने बताया कि राज्य का आम आदमी हिंदी भाषा को ही समझ सकता है, इसलिए यह जरूरी है कि हाईकोर्ट में हिंदी भाषा में ही कोई भी याचिका दर्ज करने की अनुमति व व्यवस्था की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार की ओर से इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। 

बता दें इसके पहले इसी साल 24 जनवरी को इस मामले की सुनवाई पटना हाईकोर्ट में हुई थी। इंद्रदेव ने अपनी याचिका में कहा है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 350 और 351 में स्पष्ट लिखा गया है कि हिंदी भाषा का प्रचार कर उसका विकास किया जाए। लेकिन राज्य सरकार के मंत्रिमंडल (राजभाषा) सचिवालय द्वारा 9 मई 1972 को एक अधिसूचना जारी की गई थी, जिससे याचिका दायर करनेवालों में असमंजस की स्थिति है। अधिसूचना में एक ओर यह कहा गया है कि आपराधिक और फौजदारी मामलों में हिंदी का प्रयोग किया जाए तो दूसरी ओर संविधान के अनुच्छेद 226 और 227 के तहत हाईकोर्ट में सभी मामलों को अंग्रेजी में दायर करने की बात कही गई है। इससे लोग दुविधा में पड़ जाते हैं कि हिंदी में याचिका दायर करें या अंग्रेजी में। 

इसी साल 24 जनवरी को इस मामले की सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एपी शाही, न्यायाधीश आशुतोष कुमार और न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की पूर्ण पीठ ने राज्य सरकार को 4 सप्ताह का समय दिया था। कोर्ट ने कहा था कि सराकर मंत्रिमंडल (राजभाषा) सचिवालय द्वारा 9 मई 1972 को जारी अधिसूचना के अपवाद को समाप्त कर 4 सप्ताह के अंदर कोर्ट को इससे अवगत कराए। साथ ही इस मामले की सुनवाई 7 मार्च निर्धारित की थी।


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