बाढ़ आने पर बांधों की होगी मरम्मत, बड़ा सवाल- क्या इस बार भी चूहे कुतरेंगे तटबंध?
बिहार में बाढ़ आने के बाद सरकार ने बांधों की मरम्मत का पैसा जारी किया है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या पिछली बार की तरह इस बार भी चूहे तटबंध कुतरेंगे?
पटना [जेएनएन]। बिहार में बाढ़ का सालाना कहर शुरू है। नेपाल के जल ग्रहण वाले इलाकों में भारी बारिश के कारण उत्तर बिहार की नदियां ऊफनाने लगीं हैं। चंपारण से कोसी तक कई इलाकों में बाढ़ का पानी घुसने लगा है। कमजोर तटबंधों का क्षतिग्रस्त होना भी शुरू है।
विलंब से जागी सरकार
आफत सिर पर आने के बाद सरकार भी जागी है। सरकार ने जून के अंतिम सप्ताह में कैबिनेट की बैठक में बांधों की मरम्मत के लिए 275 करोड़ रुपये की राशि जारी करने का फैसला लिया है। कैबिनेट ने यह पैसा 2017 की बाढ में क्षतिग्रस्त तटबंधों की मरम्मत व सुदृढिकरण के लिए मंजूर किया है। अब बाढ़ पूर्व तैयारियों के पैसे से ऊफनाती नदियों के दबाव से टूटते तटबंधों की मरम्मत कैसे होगी, यह सवाल है।
सरकार का दावा: तैयारी संतोषजनक
हालांकि, जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह बाढ़ पूर्व तैयारियों को संतोषजनक बताते हैं। उनके अनुसार इंजीनियरों ने तटबंधों का व्यापक निरीक्षण किया है। उनकी जांच रिपोर्ट के आधार पर बाढ़ से जूझने की तैयारी की गई है।
क्या इस बार भी तटबंध कुतरेंगे चूहे
सरकारी दावे जो भी हों, हर साल ऐसे दावों के बीच तटबंध टूटते रहे हैं। बीते साल तटबंधों के टूटने पर जल संसाधन मंत्री ने इसके लिए चूहों को जिम्मेदार बताया था। इसके पहले जब मालखाना से जब्त शराब गायब हुई थी तो पुलिस ने दावा किया था शराब चूहे गटक गए। ऐसे में सवाल यह है कि क्या इस बार भी ये चूहे तटबंधों को कुतरेंगे या सरकार समय रहते उनकी मरम्मत करा लेगी।