Crime in Bihar: सॉल्वर गैंग की तलाश में अब पुरानी फाइलों पर जमी धूल साफ कर रही पुलिस
2018 में सिपाही भर्ती की शारीरिक दक्षता परीक्षा में पकड़े गए थे पकड़े गए 15 सौ से अधिक अभ्यर्थी केस दर्ज करने के बाद सॉल्वर की तलाश में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी थी पुलिस पुलिस की सुस्ती से गैंग के हौसले बुलंद
पटना, जेएनएन। होमगार्ड चालक भर्ती की शारीरिक दक्षता परीक्षा के दौरान पकड़े गए 15 अभ्यर्थियों को जेल भेजने के बाद अब पुलिस लिखित परीक्षा के दौरान इन लोगों के सेंटर कहां-कहां थे, इसके बारे में जानकारी जुटा रही है। साथ ही 2018 में सिपाही भर्ती के दौरान शारीरिक दक्षता परीक्षा में पकड़े गए 15 सौ से अधिक फर्जी अभ्यर्थियों के मामलों की पुरानी फाइल भी साफ करना शुरू कर दी है। पुलिस को संदेह है कि शुक्रवार को पकड़े गए 15 अभ्यर्थियों की जगह सॉल्वर लिखित परीक्षा में शामिल हो गए, जिसमें सेंटर से भी चूक हुई। गर्दनीबाग थाना पुलिस सॉल्वर गैंग के नेटवर्क को तोडऩे के लिए वांछित लोगों की सूची भी तैयार कर रही है। गर्दनीबाग थानेदार अरुण कुमार ने बताया कि पुराने केस की समीक्षा की जा रही है। पकड़े गए अभ्यर्थियों का किन लोगों से कनेक्शन यह भी पता किया जा रहा है। साथ ही इन सभी के पते का सत्यापन किया जा रहा है।
पकड़े जाते हैं अभ्यर्थी, सामने नहीं आते सॉल्वर
पहले भी ऑनलाइन परीक्षा में भी पाटलिपुत्र थाने की पुलिस कई सॉल्वर को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। पुलिस को इस बारे में भी जानकारी मिल जाती है कि किसकी जगह यह परीक्षा देने आए थे, लेकिन सॉल्वर गिरोह का सरगना कौन है? और कितने लोग शामिल हैं? इनका ठिकाना कहां है? इसकी जांच नहीं कर पाती है। केस दर्ज कर आरोपित को जेल भेजकर फाइल बंद कर देते है। ऐसा सिर्फ यहीं नहीं, गर्दनीबाग में भी 2018 में जो 15 सौ अभ्यर्थी पकड़े गए थे, वह बायोमीट्रिक जांच, फोटो सत्यापन में संदेह के घेरे में आए थे। तब पता चला कि था इनकी जगह 30 से 50 हजार रुपये लेकर सॉल्वर लिखित परीक्षा दिए थे। पुलिस तब भी इस गिरोह के बारे जानकारी तो दूर जांच करने में भी दिलचस्पी नहीं दिखाई और फाइल बंद हो गयी। पुलिस सूत्रों की मानें तो अधिकांश मामलों में सॉल्वर तो बच कर निकल जाते हैं, लेकिन अभ्यर्थी पकड़े जाते हैं।
विज्ञापन निकलते ही अभ्यर्थियों की सेटिंग शुरू
बैंक, सिपाही, दारोगा या अन्य कोई भी सरकारी नौकरी हो, जैसे ही विज्ञापन निकलता है गिरोह ऐसे अभ्यर्थियों की सेटिंग में जुट जाता है। इसमें एक दो नहीं, बल्कि कई गिरोह सक्रिय हैं। इनमें कई की सेटिंग कोचिंग सेंटरों से भी है। नेटवर्क की जड़े इतनी गहरी हो चुकी हैं कि सॉल्वर गैंग के सरगना को पकडऩे के लिए पुलिस की राह आसान नहीं। पुलिस सूत्रों की मानें तो पकड़े अभ्यर्थी के पास सॉल्वर के बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं होती है और सेटिंग करने वाला गिरोह रुपये लेने के बाद नंबर तक बदल देते हैं। सॉल्वर की अभ्यर्थी से मुलाकात भी नहीं होती है।