Move to Jagran APP

माली की बगिया में कोरोना के कांटे, मैदान पर पसीना बहा रहे कर्मियों को पूरे काम का मिल रहा आधा दाम

कोरोना का असर हर किसी की जिंदगी में पड़ा है। खेल मैदान भी इससे अछूता नहीं रहा। क्यूरेटर से लेकर कोच और स्कोरर तक परेशान हैं। जानें मैदान पर पसीना बहा रहे कर्मियों का हाल।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 10:56 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jun 2020 10:56 AM (IST)
माली की बगिया में कोरोना के कांटे, मैदान पर पसीना बहा रहे कर्मियों को पूरे काम का मिल रहा आधा दाम
माली की बगिया में कोरोना के कांटे, मैदान पर पसीना बहा रहे कर्मियों को पूरे काम का मिल रहा आधा दाम

अरुण सिंह, पटना। दिन-रात एक कर पटना के नंबर वन ऊर्जा स्टेडियम को चमकाने वाले पिच क्यूरेटर सुब्रत माली की जिंदगी कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन में फीकी पड़ गई है। साढ़े तीन साल पूर्व जब बंगाल के ईस्टर्न रेलवे खेल परिसर से सहायक क्यूरेटर की नौकरी छोड़ सुब्रत पटना आए, तो उन्हेंं यह मालूम नहीं था कि आज उन्हेंं घर चलाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। अपने डेढ़ साल के बच्चे के लिए दूध की व्यवस्था का मोहताज होना पड़ेगा।

loksabha election banner

फरवरी तक सब चल रहा था सामान्य

इतनी परेशानी के बावजूद इमानदारी से अपने काम को अंजाम दे रहे सुब्रत बताते हैं कि एक निजी कंपनी से स्टेडियम के अगले साल नवंबर तक अनुबंधित होने से मुझे 19300 रुपये प्रति माह तनख्वाह मिलती है। फरवरी तक सभी कुछ सामान्य चल रहा था। इसके बाद लॉकडाउन होने से मार्च का आधा वेतन मिला। तब से लेकर अब तक एक सहायक के साथ पिच समेत पूरे मैदान को संवारने का काम कर रहा हूं और बदले में आधी तनख्चाह पाता हूं। विद्युत बोर्ड की ओर से क्वार्टर मिलने से रहने की समस्या तो नहीं है, लेकिन इतने कम पैसे में परिवार को चलाना और बंगाल में अंफान तूफान में तबाह हो चुके बुढ़े माता-पिता की देखभाल करना संभव नहीं है। पूरा वेतन देने के लिए कई बार मेल कर चुका हूं पर कोई जवाब नहीं मिला है। अगले तीन माह तक इंतजार करूंगा। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन से बात चल रही है, नहीं तो जीवन यापन के लिए दूसरी राह तलाश करूंगा।

जूझ रहे इशान किशन के बचपन के कोच

लॉकडाउन ने भारत ए टीम के सदस्य इशान किशन के बचपन के कोच संतोष कुमार को भी अर्श से फर्श पर पहुंचा दिया है। पिछले 13 साल से ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही मां के इलाज में पहले ही बेहाल हो चुके संतोष की रही-सही कसर पिछले चार माह से बंद कोचिंग से पूरी हो गई । 2008 में बीसीसीआइ से लेवल-ए कोर्स कर चुके संतोष बताते हैं कि पिछले साल सितंबर में पटना में आई बारिश से तीन माह कोचिंग बंद रही । इसके कुछ माह बाद कोरोना का कहर शुरू हो गया।

लोन चुका नहीं पा रहा बीसीसीआइ का स्कोरर

बीसीसीआइ की ओर से बिहार के एकमात्र स्कोरर नीतीश निशांत को बोर्ड की ओर से एक दिन के मैच में दस हजार रुपये मिलते हैं। कूच बिहार ट्रॉफी, पटना में हुए आमंत्रण अंतरराष्ट्रीय महिला वनडे टूर्नामेंट में स्कोरिंग कर चुके नीतीश ने बैंक से लोन लेकर खेल के सामान की दुकान खोली थी, जो लॉकडाउन में बंद रही और अब लोन चुकाने के लिए उसे हाथ फैलाने पड़ रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.