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Third Wave Alert: त्योहारों के उल्लास में लोगों की बेपरवाह भीड़ पर कोरोना की नजर...

Third Wave Alert पटना के AIIMS के कार्डियक सर्जरी के एडीशनल प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डा. संजीव कुमार ने बताया कि लोग त्योहार के उल्लास में कोविड गाइडलाइन का पालन भूलेंगे और यह गलती बढ़ा सकती है तीसरी लहर का खतरा...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 13 Oct 2021 02:58 PM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 02:58 PM (IST)
Third Wave Alert: त्योहारों के उल्लास में लोगों की बेपरवाह भीड़ पर कोरोना की नजर...
वातावरण में नमी बढ़ने से संक्रमित के ड्रापलेट्स अधिक समय तक हवा में रहेंगे।

पवन कुमार मिश्र, पटना। Third Wave Alert कोरोना की दूसरी लहर के चरम के बाद अब देश में संक्रमण दर स्थिर हो गई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोरोना संक्रमण खत्म हो गया है। वह अब भी हमारे आसपास मौजूद है। खुद को जिंदा रखने और संख्या बढ़ाने के लिए जरूरी नई-नई जीवित कोशिकाओं के लिए उसे मौके की तलाश है और इसमें मददगार हो रही है पर्व, त्योहारों पर उमड़ने वाली बेपरवाह भीड़। केरल में ओणम, महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी और दिल्ली में ईद व रक्षाबंधन, हर त्योहार के बाद कोरोना संक्रमितों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है। देश में दुर्गा पूजा के साथ त्योहारी माह की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में हमारी थोड़ी सी चूक तीसरी लहर के लिए आमंत्रण साबित हो सकती है।

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प्रदूषण, ठंड और भीड़ से तीन गुना खतरा : कोरोना वायरस संक्रमित की छींक, खांसी या सांस से निकले ड्रापलेट्स से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचता है। दो गज के दायरे में यदि कोई स्वस्थ जीवित कोशिका नहीं मिलती है तो वायरस जमीन पर गिरकर नष्ट हो जाता है। त्योहारी दिनों में लोग संक्रमण का खतरा भूल जाते हैं और करीब से बात करना और घूमना शुरू कर देते हैं। ध्यान रहे कि मास्क हटाने की आदत संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ा देती है। एक संक्रमित व्यक्ति हजारों लोगों को बीमार कर सकता है। इसके अलावा प्रदूषण बढ़ने से कोरोना संक्रमण के गंभीर परिणाम आने की आशंका भी बढ़ जाती है। यदि सावधानी नहीं बरती गई तो अस्पतालों में दूसरी लहर के चरमकाल जैसा दृश्य दोबारा देखने को मिल सकता है। दूसरी लहर के दौरान सरकारी तो सरकारी निजी अस्पतालों में भी लोगों को बेड नहीं मिल रहे थे।

रिश्तेदारों के बीच भी सावधानी जरूरी : पर्व-त्योहार हों या शादी-विवाह दोनों में लोग घरों में न केवल जमा होते हैं, बल्कि अपनापन और प्यार बांटने में लापरवाह हो जाते हैं। लोग रिश्तेदारों के बीच न केवल आराम से बैठते हैं, बल्कि मास्क पहनना भी आवश्यक नहीं समझते हैं। बच्चे तो ऐसे में किसी नियम को मानते ही नहीं हैं। बेहतर होगा कि त्योहार की खुशियां इस वर्ष भी डिजिटल प्लेटफार्म पर मनाई जाएं। वहीं स्कूल हो या रिश्तेदारों का घर, बच्चों को मास्क पहनकर ऐसे खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित करें जिनमें वे दो गज की दूरी बनाकर रखें।

शासन-प्रशासन पर्व में कराएं ये व्यवस्थाएं

  • पूजा पंडालों में शारीरिक दूरी का पालन कराने को एक ओर से प्रवेश और दूसरी ओर से निकासी की व्यवस्था की जाए
  • प्रसाद को पैकेट में दिया जाए ताकि लोग घर जाकर हाथ धोकर उसे सुरक्षा के साथ ग्रहण कर सकें
  • मेलों के आयोजन पर रोक लगाने के साथ स्ट्रीट फूड काउंटर पर भीड़ व साफ-सफाई को सुनिश्चित कराया जाए
  • बाहर से आने वालों को चिह्नित कर उनकी कोरोना जांच कराई जाए
  • पाजिटिव के संपर्क में आए लोगों की पहचान कर उनकी जल्द जांच कराई जाए
  • गंभीर परिणामों से बचाव के लिए जल्द से जल्द पात्र लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज दे दी जाएं
  • कोरोना से बचाव के नियमों का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए या लोग खुद उसे आदत बना लें

मास्क ठीक से पहनें : लोग अब भी मास्क की अहमियत नहीं समझ पाए हैं। करीब आधे लोग बिना मास्क के ही घर से निकल जाते हैं। जो लोग मास्क पहनते भी हैं, उनमें से 50 फीसद उसे मुंह से नीचे रखते हैं। मास्क कोरोना समेत कई वायरल संक्रमण से सुरक्षा देता है, बशर्ते कि वह मुंह व नाक को अच्छी प्रकार से कवर करता हो। एन-95 मास्क सबसे बेहतर माना जाता है।

बीमार व बुजुर्ग घर में रहें तो बेहतर : अच्छा रहेगा कि लंबे समय से बीमार और बुजुर्ग लोग घर से न ही निकलें। बीमार और बुजुर्गों को अलग एक ऐसे कमरे में रखा जाए, जहां बाहर से आने वाले स्नान व कपड़े बदलने के बाद ही जाएं। इसके अलावा उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए घर में बना पौष्टिकआहार दें और आवश्यक रूप से वैक्सीन की दोनों डोज लगवा दें।

सिंगल डोज वाले जल्द लें दूसरी डोज : वैक्सीन कोई भी हो, कोविशील्ड, को-वैक्सीन या स्पुतनिक। वैक्सीन लेने में लापरवाही न करें। दोनों डोज लेने से ही कोरोना के विरुद्ध एंटीबाडी विकसित होती है। को-वैक्सीन व स्पुतनिक की सिंगल डोज लेने से दूसरी डोज के लिए निर्धारित समय यानी 28 दिन तक और कोविशील्ड से तीन माह तक कुछ हद तक एंटीबाडी विकसित होती हैं। पहली डोज के बाद यदि निर्धारित समय पर दूसरी डोज नहीं ली गई तो कुछ कम एंटीबाडी विकसित होती हैं। जो लोग वैक्सीन की पहली डोज ले चुके हैं और दूसरी नहीं ली तो हो सकता है कि वे कोरोना से संक्रमित हो जाएं लेकिन उनमें कोराना के गंभीर लक्षण न उभरें। ऐसे में वे अनजाने में दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं। वहीं दोनों डोज लेने वालों में से महज दस फीसद ही संक्रमित हो सकते हैं और तीन फीसद में ही गंभीर लक्षण उभरते हैं। मौत की आशंका तो 0.3 फीसद संक्रमितों में होती है। इसलिए बचाव के साथ वैक्सीन की दोनों डोज जरूर लें।

(लेखक कोरोना नोडल अधिकारी हैं)


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