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बिहार: पूर्णिया में कोर्ट के आदेश पर पुलिस कैद से मुक्‍त हुए भगवान राम, माता सीता व लक्ष्‍मण संग पहुंचे मंदिर

बिहार के पूर्णिया में एक मंदिर से भगवान श्रीराम माता सीता व लक्ष्‍मण जी की प्राचीन मूर्तियां चेारी चलीं गईं थीं। इसके बाद पुलिस ने मूर्तियों को बरामद कर अपने पास रखा था।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 02 Sep 2020 08:55 AM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2020 08:57 AM (IST)
बिहार: पूर्णिया में कोर्ट के आदेश पर पुलिस कैद से मुक्‍त हुए भगवान राम, माता सीता व लक्ष्‍मण संग पहुंचे मंदिर
बिहार: पूर्णिया में कोर्ट के आदेश पर पुलिस कैद से मुक्‍त हुए भगवान राम, माता सीता व लक्ष्‍मण संग पहुंचे मंदिर

पटना, जेएनएन। बिहार में भगवान राम, माता सीता व लक्षमण जी को अदालत के आदेश के बाद पुलिस की 'कैद' से मुक्ति मिली। हम बात कर रहे हैं कि पूर्णिया के थाना में करीब छह महीने से बंद उनकी मूर्तियों की। पूर्णिया के एसीजेएम की अदालत के आदेश पर भगवान श्रीराम, माता सीता व लक्ष्‍मण की मूर्तियों को पूर्णिया के प्राचीन राम जानकी ठाकुरबाड़ी मंदिर में स्थापित किया गया। इससे भक्‍तों में उत्‍साह व खुशी मा माहौल है।

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मंदिर से चोरी चली गईं कीं प्राचीन मूर्तियां

विदित हो कि बीते 11 मार्च को पूर्णिया के सहायक खजांची थाना अंतर्गत रजनी चौक के पास प्राचीन ऐतिहासिक राम जानकी ठाकुरबाड़ी से करोड़ों की अष्टधातु की तीन प्राचीन मूर्तियों की चोरी हो गईं थीं। इनमें भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी की प्रतिमाएं शामिल थीं। चोरों ने इन मूर्तियों को खंडित कर दिया था। उनके हाथ-पैर काट डाले गए थे।

पुलिस ने बदामद किया, फिर मंदिर में स्‍थापित

पूर्णिया के एसपी विशाल शर्मा ने बताया कि पुलिस जांच के दौरान दो महीने बाद चोरी गई तीनों मूर्तियों को पुलिस ने बरामद कर लिया। साथ ही पुलिस ने नौ मूर्ति तस्करों को भी गिरफ्तार किया। पुलिस पूछताछ के दाैरान गिरफ्तार मूर्ति चारों ने कई अन्‍य वारदातों की भी जानकारी दी। इसके बाद से मूर्तियां पुलिस सुरक्षा में सहायक खजांची थाना में बंद पड़ीं थीं। अदालत के आदेश पर मंगलवार को इन मूर्तियों को विधि-विधान के साथ मंदिर में स्थापित किया गया।

मूर्तियों की पुनर्स्‍थापना से भक्‍तों में खुशी का माहौल

भगवान श्रीराम व माता सीता तथा लक्ष्‍मण जी की चोरी गई मूर्तियों की बरामदगी व अब उनकी फिर मंदिर में स्‍थापना से भक्‍तों में खुशी का माहौल है। वे इस घटना को भगवान की कृपा मान रहे हैं। मूर्तियों को सथापित करने के पहले उनकी मरम्मत कर पॉलिश की गई, फिर विधि-विधान से उनकी प्राण-प्रतिष्ठा की गई।


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