CoronaVirus जांच में पैसे का पेंच: बिहार में प्राइवेट लैब्स मांग रहे 4500, सरकार कह रही-2500 लो
CoronaVirus की जांच के लिए प्राइवेट लैब्स को दी गई अनुंमति के बाद पैसे को लेकर पेंच फंस गया है। लैब्स का कहना है कि 4500 रुपये लेंगे तो वहीं सरकार ने कहा है कि 2500 रुपये ही लीजिए।
राज्य ब्यूरो, पटना। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल साइंस (आइसीएमआर) ने बिहार की दो निजी लैब को कोरोना जांच की अनुमति दी है, लेकिन जांच शुल्क को लेकर मामला फंसता नजर आ रहा है। हालांकि दो में से एक लैब ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन सरकार द्वारा निर्धारित 25 सौ रुपये के स्थान पर यह लैब फिलहाल कोरोना जांच के लिए 45 सौ रुपये वसूल रही है। इस लैब में अब तक 61 कोरोना सैंपल की जांच हुई है।
राज्य सरकार ने आइसीएमआर को बिहार में प्राइवेट लैब को कोरोना जांच की अनुमति देने का प्रस्ताव पिछले महीने ही दिया था। जिसके बाद आइसीएमआर ने दो प्राइवेट लैब पाथ काइंड डायग्नोस्टिक प्राइवेट लि. और डॉ. लाल पैथ लैब को कोरोना जांच की अनुमति दी। इन दो में पाथ काइंड डायग्नोस्टिक प्राइवेट लि. ने जांच प्रारंभ कर दी है।
इस लैब के सूत्रों ने बताया कि अब तक 61 लोग लैब में जांच के लिए आए हैं। जिनसे शुल्क के रूप में 45 सौ रुपये लिए गए। उक्त अधिकारी ने दावा किया कि यह शुल्क सर्वोच्च न्यायालय ने ही तय किया है। उन्होंने कहा राज्य सरकार ने 25 सौ रुपये शुल्क निर्धारित किए हैं ऐसी कोई गाइड लाइन अथवा आदेश संस्थान को नहीं मिला है।
वहीं लाल पैथ लैब के सूत्रों ने बताया कि आइसीएमआर के निर्देश के मुताबिक लाल पैथ लैब को ङ्क्षसगल जांच करने की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि संस्थान ङ्क्षसगल जांच नहीं करता है। एक जांच से ही पुष्ट होता है कि सैंपल कोरोना पॉजिटिव है अथवा निगेटिव।
उक्त अधिकारी ने बताया कि लाल पैथ लैब के नियमों के मुताबिक सैंपल जांच का सही परिणाम देना उनका काम है। इस जांच में न्यूनतम शुल्क 45 सौ रुपये लगते हैं। जबकि सरकार का आदेश है कि लैब ङ्क्षसगल जांच करे। यदि जांच में कोरोना की पुष्टि के संकेत मिलते हैं तो उसे सरकारी लैब में जांच के लिए भेजा जाए।
सिंगल जांच के लिए सरकार ने 25 सौ रुपये का शुल्क निर्धारित किया है। लैब इसका विरोध कर रहा है। उक्त अधिकारी ने बताया कि इस मसले को लेकर स्वास्थ्य विभाग से लैब प्रबंधन की कई राउंड की बात हुई है। गुरुवार को भी प्रधान सचिव से मुलाकात हुई है। उन्होंने कहा जब तक सरकार किसी अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंच जाती प्रबंधन जांच प्रारंभ नहीं कर सकता।