Coronavirus: कोरोना के नाम पर निजी अस्पतालों में लूट, लापरवाही ऐसी कि फैल सकता संक्रमण
बिहार में कोरोना के 274 संदिग्ध मामले मिल चुके हैं। हालांकि एक भी पॉजिटिव केस नहीं मिला है। इस बीच कुछ निजी अस्पतालों में कोरोना को लेकर लापरवाही के मामले भी सामने आए हैं।
पटना, पवन कुमार मिश्र। विदेशों से लौटे लोग जो स्क्रीनिंग (Screening) की जद में नहीं आए या जिनसे घर पर ही अलग रहने को कहा गया है, वे खतरे का कारण बन सकते हैं। ऐसे लोग बुखार (Fever) या अन्य लक्षण दिखने पर सरकारी अस्पतालों (Government Hospitals) या हेल्पलाइन (Helpline) की मदद लेने के बजाय बड़े निजी अस्पतालों (Private Hospitals) में भर्ती हो रहे हैं। जब तक ये निजी अस्पताल कोरोना के आशंकित मरीज (Suspected case of Corona) को किसी बड़े मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Medical College Hospital) में रेफर करते हैं, तब तक उसे अन्य मरीजों (Patients) के बीच ही रखा जाता है। ऐसी घटना दो दिन पूर्व राजधानी के प्रतिष्ठित अस्पताल में हो भी चुकी है।
निजी अस्पतालों में कोरोना के नाम पर 'लूट' भी हो रही है। आरोप है कि ये अस्पताल इलाज के नाम पर मनमानी रकम की मांग कर रहे हैं।
निजी अस्पताल से एम्स पटना भेजा तब हुई जांच
गैंगरीन से पीडि़त गोपालगंज का एक युवक हाल ही में दुबई (Dubai) से आया है। बीते शुक्रवार तेज बुखार के बाद स्वजनों ने उसे पटना के एक नामी अस्पताल में भर्ती कराया। आशंका होने पर वहां के चिकित्सकों ने उसे पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की इमरजेंसी (Emergency) में रेफर कर दिया। एम्स में चिकित्सकों ने कोरोना की आशंका जताते हुए उसे आइसोलेशन वार्ड (Isolation Ward) में भर्ती कर जांच के लिए नमूना पटना के राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट (RMRI) भिजवाया।
लापरवाही भरी ऐसी व्यवस्था से डॉक्टर भी चिंतित
पद्मश्री डॉ. विजय प्रकाश ने बताया कि उन्होंने कोरोना वायरस के संक्रमण के एकमात्र जांच केंद्र पटना के आरएमआरआइ के निदेशक डॉ. पीके दास से इस बारे में बात की है। उन्होंने मेडिकल कॉलेज अस्पतालों से ही आशंकित मरीजों के नमूने लेने और जांच की बात कही है।
निजी अस्पतालों से कलेक्शन की अनुमति नहीं
पटना के सिविल सर्जन (Civil Surgeon) डॉ. राजकिशोर चौधरी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों को नजदीकी मेडिकल कॉलेज अस्पताल से जोड़ा है। निजी अस्पतालों को अपनी रिपोर्ट के साथ आशंकित मरीज को संबंधित मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजना है। वहां स्क्रीनिंग के लिए गठित मेडिकल बोर्ड को यदि लगेगा तो जांच कराई जाएगी। निजी अस्पतालों से कलेक्शन कराने या उन्हें सीधे आरएमआरआइ में जांच कराने की अनुमति नहीं है।
चिकित्सकों-तकनीशियनों को चाहिए विशेष किट
सैंपल (Sample) लेने वाले चिकित्सक (Doctor) और तकनीशियन (Technician) के लिए बाकायदा प्रोटेक्शन किट (Protection Kit) होती है। इसमें विशेष प्रकार के दास्ताने, टोपी, चश्मा, पांव तक का कोट एवं लंबे जूते शामिल हैं।
सैंपल क्लेक्शन के लिए विशेष ट्यूब की जरूरत
साथ ही खतरनाक वायरस वाले जांच सैपल के ट्रांसपोर्टेशन (Transportation) के लिए विशेष प्रकार का वायरल ट्रांसपोर्ट मीडिया (VTM) यानी कलेक्शन ट्यूब (Collection Tube) चाहिए। इसे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद अपने वायरल डिजीज रिसर्च लैब को मुहैया कराता है।
सैंपल को लैब भेजने के भी विशिष्ट इंतजाम
आशंकित या संक्रमित व्यक्ति के नमूने को विशिष्ट वीटीएम में रख कर बर्फ भरे ऑइस बॉक्स (Ice Box) में केस हिस्ट्री (Case History) और सैंपल शीट (Sample Sheet) के साथ रखा जाता है। इसके बाद इसे तीन लेयर से कवर कर ऊपर बायो हेजार्ड लिख कर चिह्नित वैन और दो स्टॉफ के साथ लैब भिजवाया जाता है।
दिल्ली तक जाती है कोरोना की जांच रिपोर्ट
आरएमआरआइ या अन्य लैब जांच के बाद अपनी रिपोर्ट संबंधित मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी लैब के विभागाध्यक्ष, सिविल सर्जन, आइडीएसपी और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद को मेल से भेजती है।
बिहार में लगातार बढ़ रही संदिग्ध मरीजों की संख्या
विदित हो कि बिहार में कोरोना संक्रमण के संदिग्ध मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अभी तक राज्य में 274 लोगों को सर्विलांस पर लिया जा चुका है। हालांकि, एक भी मामले में कोरोना संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है।