Coronavirus Prevention Tips: वैक्सीन आने के बाद भी जरूरी है सावधानी, बरतें ये सारे उपाय
एम्स-पटना के निदेशक डॉ. प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमण रोकने की वैक्सीन तैयार हो गई है और प्राथमिकता के हिसाब से इसके डोज दिए जा रहे हैं। संक्रमण भी काफी हद तक काबू में है।
पटना, पवन कुमार मिश्रा। देश में कोरोना की एक नहीं दो-दो सुरक्षित व प्रभावी वैक्सीन तैयार हो चुकी हैं। टीकाकरण भी शुरू हो गया है। यह हमारी सजगता का ही परिणाम है कि ठंड और स्मॉग के कारण संक्रमितों की संख्या बढ़ने की आशंका भी निर्मूल साबित हुई है। कोरोना संक्रमण और मृत्युदर में लगातार कमी से लोग इस खतरे से बेपरवाह होने लगे हैं। वे भीड़भाड़ वाली जगहों पर भी शारीरिक दूरी, मास्क, हाथों की सफाई जैसे बचाव के उपायों की अनदेखी कर रहे हैं।
जब तक देश की 70 फीसद आबादी को कोरोना वैक्सीन की दो-दो डोज नहीं दे दी जाती तब तक ये लापरवाही कोरोना को न्योता देने जैसी है। कोरोना संक्रमण से यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि समाज के हर व्यक्ति के सहयोग के बिना इससे नहीं जीता जा सकता है। वैक्सीन बन गई और संक्रमण भी काबू में है, लेकिन कोरोना संक्रमण के प्रति लापरवाह होना घातक है।
कड़ाई का नहीं आने दें मौका: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं’ का नारा दिया था। कोरोना टीकाकरण अभियान की शुरुआत पर उन्होंने ‘दवाई भी, कड़ाई भी’का व्यापक संदेश दिया। इसका अर्थ है कि यदि वैक्सीनेशन के दौरान बचाव नियमों की अनदेखी से कोरोना के मामले तेजी से बढ़े तो सरकार सख्त प्रतिबंध दोबारा लगा सकती है। ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, बेल्जियम जैसे देशों में एक बार हालात नियंत्रित होने के बाद कोरोना जिस तरह बेकाबू हुआ है, उसका कारण वहां के लोगों का कोरोना संक्रमण को समाप्त मानकर बेपरवाह होना ही था। इसलिए हमें संक्रमण की गंभीरता को संज्ञान में लेते हुए बचने के सारे इंतजाम अपनाने हैं।
जरूरी है मास्क व शारीरिक दूरी: कोरोना वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के करीब 14 दिन बाद लाभार्थी के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि वातावरण में फैले कोरोना वायरस उसके शरीर में नहीं जाएंगे। वायरस पहले की तरह उनके शरीर में प्रवेश करेगा, लेकिन मजबूत इम्युनिटी के कारण उसके गंभीर दुष्परिणाम नहीं होंगे। जबकि वह व्यक्ति अपने आसपास दो गज के घेरे में आने वाले दूसरे लोगों को संक्रमित कर सकता है। ऐसे में जब तक 70 फीसद लोगों का टीकाकरण नहीं हो जाता है, वैक्सीन लाभार्थी मास्क, हाथों की सफाई और शारीरिक दूरी का पालन जरूर करें।
वैक्सीन की विश्वसनीयता पर नहीं है शक: देश के वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत से विश्वस्तरीय मानकों का पालन करते हुए दोनों वैक्सीन तैयार की हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) और राष्ट्रीय वायरोलॉजी लैब जैसी प्रतिष्ठित सरकारी संस्थाओं ने जांच में इन्हें सुरक्षित और प्रभावी पाया है। दोनों वैक्सीन के बनाने का तरीका अलग है, लेकिन दोनों ही कोरोना से बचाने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली हैं। ऐसे में किसी भ्रम में नहीं रहें, जब भी आपका नंबर आए कोविशील्ड या को-वैक्सीन जो भी मिले, उसी की दोनों डोज लगवाएं।
70 फीसद के टीकाकरण के बाद अन्य को नहीं देनी पड़ेगी वैक्सीन: देश में कोरोना वैक्सीनेशन के लिए प्राथमिकता सोची-समझी रणनीति के तहत तय की गई है। सबसे पहले सर्वाधिक खतरे में रहने वाले सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के चिकित्सार्किमयों, उसके बाद सबसे अधिक लोगों के संपर्क में आने वाले नगर निगम, पुलिस, सेना आदि के फ्रंट वर्कर, तीसरे चरण में 50 वर्ष से अधिक उम्र और बीमार लोगों को वैक्सीन दी जाएगी। विश्वास है कि इन तीन चरणों में ऐसे 70 फीसद लोगों का टीकाकरण हो जाएगा, जिनको कोरोना संक्रमण का खतरा सबसे अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन 70 फीसद को यदि टीकाकरण कर सुरक्षित कर दिया जाएगा तो शेष 30 फीसद में जो 18 वर्ष से कम उम्र वाले, गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाएं हैं वे स्वत: सुरक्षित हो जाएंगी।
इन बीमारियों से पीड़ित लोग जरूर लें टीका
- यदि बीपी, शुगर, किडनी, हार्ट, कैंसर आदि रोगों से पीड़ित हों
- किसी भी रोग की कोई भी दवा नियमित खा रहे हों
- यदि आप कोरोना संक्रमित हुए थे और ठीक हुए एक माह या उससे अधिक समय हो चुका है तो वैक्सीन लगवा सकते हैं
- डॉक्टर को बताकर कराएं टीकाकरण: यदि गंभीर अस्थमा, किसी दवा या भोजन से गंभीर एलर्जी की शिकायत हो तो डॉक्टर को बताकर उनकी देखरेख में ही टीकाकरण कराएं
इन्हें नहीं लेनी है वैक्सीन
- किसी भी कारण से अस्पताल में भर्ती हों या तेज बुखार आदि हो
- गंभीर बीमारी के कारण तुरंत अस्पताल से डिस्चार्ज हुए हों या किसी अन्य कारण से इम्यून पावर बहुत कमजोर हो गई हो
- 18 वर्ष से कम उम्र के किसी भी किशोर-किशोरी को
- हीमोफीलिया-थैलेसीमिया समेत कोई भी ऐसा खून का रोग जिसमें रक्त रुकता नहीं हो
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं
भीड़भाड़ से रखें दूरी: कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सार्वजनिक स्थल जैसे एयरपोर्ट, स्टेशन, बस-टेंपो स्टैंड, बाजार, शादी-विवाह व अन्य समारोहों में खास सावधानी बरतने की जरूरत है। वर्तमान में संक्रमण के जितने मामले सामने आ रहे हैं, वे इन्हीं स्थानों से हैं। इस दौरान दो गज से अधिक की शारीरिक दूरी के नियम का पालन करना मुश्किल होता है। ऐसे में यदि मास्क और हाथों की सफाई की अनदेखी की जाती है तो संक्रमित होने का खतरा काफी अधिक होता है।
कमजोरी लगे तो भी कराएं जांच: कोरोना संक्रमण से बचाव के उपायों में सबसे अहम है कि कोई भी लक्षण महसूस होते ही आरटी-पीसीआर विधि से जांच कराई जाए। सर्दी-खांसी, बुखार होने पर तो सभी आशंका मिटाने को जांच कराते हैं, लेकिन यदि रात में नींद नहीं आए, अत्यधिक कमजोरी महसूस हो या ऐसी किसी जगह से लौटे हैं, जहां मौजूद कुछ लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है तो आरटी-पीसीआर टेस्ट जरूर कराना चाहिए। बेहतर होगा कि आशंका होने के तुरंत बाद आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट आने तक खुद को स्वजनों से अलग कर लें।
होम आइसोलेशन में डॉक्टर के संपर्क में रहें: देश में कोरोना संक्रमित 85 फीसद लोग होम आइसोलेशन में ही रहकर स्वस्थ हुए हैं, लेकिन, इनमें से जिन लोगों ने डॉक्टर के परामर्श के बिना खुद इलाज करने का प्रयास किया, उनमें से कुछ की हालत गंभीर हो गई थी। ऐसे तमाम लोग अस्पताल आए और लंबे उपचार के बाद उनकी जान बचाई जा सकी। बेहतर होगा कि होम आइसोलेशन में रहने के दौरान लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहें और उन्हीं के परामर्श के अनुसार दवाएं लें।