Move to Jagran APP

CoronaVirus: लापरवाही जान पर पड़ रही भारी-लक्षण होने पर जांच न कराने से डॉक्टर समेत कई की मौत

अनलॉक में मिली छूट को देखते हुए कोरोना जांच से पटना के लोग कतराने लगे हैं। ऐसे में संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 07:23 PM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 07:23 PM (IST)
CoronaVirus: लापरवाही जान पर पड़ रही भारी-लक्षण होने पर जांच न कराने से डॉक्टर समेत कई की मौत
CoronaVirus: लापरवाही जान पर पड़ रही भारी-लक्षण होने पर जांच न कराने से डॉक्टर समेत कई की मौत

पटना, जेएनएन। पांच माह के बाद सड़कों-बाजारों के गुलजार होने से लोग कोरोना जांच के प्रति लापरवाह होते जा रहे हैं। पहले जहां घंटों कतार में खड़े होकर या सिफारिश लगवा कर लोग जांच करा रहे थे, आज बाजार-मोहल्ले में आए स्वास्थ्यकर्मियों से बचने का प्रयास कर रहे हैं। कोरोना जांच से बचने की लोगों की यह प्रवृत्ति किसी भी दिन उनकी जान पर भारी पड़ सकती है। डॉक्टरों के अनुसार, कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है। साल-दो साल तक इसका खतरा रहेगा। इतने लंबे समय तक देश की तमाम गतिविधियां नहीं रोकी जा सकतीं इसलिए मजबूरी में अनलॉक किया गया है। 

loksabha election banner

कोरोना जांच शर्म नहीं, अपनों की सुरक्षा का मामला 

सिविल सर्जन डॉ. राजकिशोर चौधरी के अनुसार, तमाम लोग कोरोना को एचआइवी जैसा शर्मनाक रोग मानकर जांच कराने से बच रहे हैं। उनका भ्रम मिटाने के लिए स्वास्थ्य विभाग लोगों को जागरूक करने के लिए प्रचार-प्रसार कर रहा है। लोगों को यह समझना होगा कि कोरोना जांच उनकी और उनके अपनों की सुरक्षा के लिए है। ऐसे कई मामले आए हैं जिनमें लोगों ने गंभीर हालत में पहुंचने पर जांच कराई और उसके परिणाम घातक रहे। कोरोना हो या नहीं लेकिन जब जांच का मौका मिले उसे कराने में ही समझदारी है। 

गंभीर होने पर कराई जांच, एम्स में बेड नहीं मिलने से हुई मौत 

पटना : मीठापुर निवासी शिशु रोग विशेषज्ञ पूरे कोरोना काल में टीकाकरण समेत अन्य इलाज सुचारू रूप से करते रहे। गले में खरास, सर्दी व हल्के बुखार के बावजूद उन्होंने अपनी कोरोना जांच नहीं कराई। अचानक एक दिन तबीयत बिगड़ी तो ऑक्सीजन लगाकर कार से जांच कराने पहुंचे। रिपोर्ट आने तक उनकी हालत और गंभीर हो गई। एम्स आदि में बेड खाली नहीं थे। जब तक एसीएमओ डॉ. विभा कुमारी सिंह तक मामला पहुंचा उनकी मौत हो गई। 

जान बच गई पर एक माह में पूरी तरह नहीं हुए स्वस्थ  

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी कोरोना की रोकथाम में लगातार लगे थे। कई दिनों से तबीयत खराब थी पर काम करते रहे। बुखार तेज हुआ तो अवकाश पर चले गए, लेकिन अधिकारियों के बार-बार कोरोना जांच कराने को कहने पर भी टालते रहे। पांच-छह दिन बाद जब हालत बिगड़ी तो जांच कराई और पॉजिटिव आए। इसके बाद एम्स में भर्ती हुए। कोरोना मुक्त तो हो गए लेकिन एक माह बीतने के बाद भी पूरी तरह ठीक नहीं हुए हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.