CoronaVirus: पटना AIIMS के डॉक्टरों ने खाेजी तकनीक, अब संक्रमण नहीं फैला सकेंगे वेंटीलेटर वाले रोगी
CoronaVirus पटना एम्स के डॉक्टरों की एक टीम ने वेंटीलेटर से कोरोना संक्रमण राकने की तकनीक विकसित की है। इससे कोरोना के संक्रमण रहित इलाज में बड़ी मदद मिलेगी।
पटना, पवन मिश्र। वेंटीलेटर (कृत्रिम श्वसन सिस्टम) में रखे गए कोरोना के गंभीर रोगी (Critical Patient) अब हवा में संक्रमण (Infection) नहीं फैला सकेंगे। अब सांस के साथ निकले वायरसों को डिसइंफेक्टेंट (Disinfectant) भरे बैग से गुजारकर निष्क्रिय (Inactive) कर दिया जाएगा। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), पटना के डॉक्टरों ने वेंटीलेटर (Ventilator) मशीन में कई सुधार कर यह तरीका खोजा है। एम्स में कार्डियोथोरैसिक सर्जरी के प्रोफेसर डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि कोरोना के बाद भी संक्रमण रोकने में इस प्रकार के वेंटीलेटर काफी उपयोगी होंगे।
क्यों पड़ी जरूरत
वर्तमान में जो वेंटीलेटर हैं वे ऑक्सीजन (Oxygen) को तेजी के साथ फेफड़े (Lungs) में पहुंचाते हैं और शरीर से निकलने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड (Carbon Di-oxide) को खुले वातावरण में फेंकते हैं। इससे डॉक्टरों व चिकित्साकर्मियों में संक्रमण (Infection) की आशंका काफी बढ़ जाती है। वहीं वेंटीलेटर में रखे कोरोना मरीज (Corona Virus patient) को एक अस्पताल (Hospital) से दूसरे या एक वार्ड (Ward) से दूसरे में ले जाने की स्थिति में कई लोग इससे संक्रमित हो सकते हैं।
क्या किया संशोधन
एम्स के डॉ. अमरजीत कुमार, डॉ. अजीत कुमार, डॉ. नीरज कुमार, डॉ. चांदनी सिन्हा और डॉ. अभ्युदय कुमार ने इसके लिए वेंटीलेटर के वॉल्व से बाहर निकलने वाली हवा को एक लंबे पाइप की मदद से ऐसे बैग (Bag) से जोड़ दिया, जिसमें एक प्रतिशत सोडियम हाइपोक्लोराइट (Sodium Hypoclorate) मिला पानी (Water) भरा रहता है। ऐसे में शरीर से निकली कोरोना वायरस युक्त कार्बन डाई ऑक्साइड सीधे इसमें जाकर निष्क्रिय हो जाती है। अमेरिका की शीर्ष शोध पत्रिका जरनल ऑफ क्लीनिकल एनेस्थीसिया में भी यह तकनीक प्रकाशित की जा रही है।
कोरोना संक्रमण रोकने में मिलेगी मदद
माना जा रहा है कि इस तकनीक (Technique) के वेंटीलेटर में उपयोग से वेंटीलेटर वाले कोरोना रोगी से संक्रमण का प्रसार नहीं होगा। इस महामारी का सुरक्षित इलाज संभव हो सकेगा। एम्स के डॉक्टर इसे लेकर बहुत उत्साहित हैं।