Corona Virus Update: कोरोना जांच के सैंपल कलेक्शन में हो रही चूक, अब डॉक्टर करेंगे निगरानी
Corona Virus Update News राजधानी में अधिकांश केंद्रों पर एएनएम के हवाले हैं सैंपल कलेक्शन सही रिपोर्ट नहीं आने के बाद डॉक्टरों को सौंपी गई निगरानी की जिम्मेदारी अन्य राज्यों की अपेक्षा काफी कम संक्रमित मिलने के बाद हुआ यह बदलाव
पटना, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के अधिक से अधिक जांचें जरूरी हैं। लेकिन, इससे भी जरूरी है सही तरीके से सैंपल कलेक्शन ताकि जांच के लिए पर्याप्त मात्रा हो और रिपोर्ट सही आए। इसके विपरीत प्रदेश में सैंपल कलेक्शन का काम एएनएम के हवाले है। भारत सरकार के सैंपल कलेक्शन में एहतियात बरतने के निर्देश के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का ध्यान इस ओर गया है। सोमवार को सिविल सर्जन कार्यालय से सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारियों को इसकी निगरानी करने की बाबत निर्देश जारी किए गए हैं।
डॉक्टर सिखाएंगे एएनएम को सैंपल लेने का सही तरीका
सिविल सर्जन डॉ. विभा कुमारी सिंह के हस्ताक्षर से निर्गत आदेश के अनुसार सभी चिकित्सा पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे सभी डॉक्टरों को सैंपल कलेक्शन कार्य की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपें। ये डॉक्टर सैंपल कलेक्शन की जगह का औचक निरीक्षण कर पूरी प्रक्रिया ध्यान से देखेंगे और गलती होने पर उसमें सुधार कराएंगे।
संक्रमितों की संख्या कम होने का कारण गलत ढंग से सैंपलिंग तो नहीं
स्वास्थ्य अधिकारियों ने मंथन में पाया कि एक ओर जब देश के कई राज्यों में संक्रमितों की संख्या बेतहाशा बढ़ रही तब प्रदेश में हालात इसके उलट कैसे हैं। इसके बाद अधिकारियों का ध्यान भारत सरकार के प्रापर सैंपलिंग की बाबत जारी निर्देश पर गया, जिसमें ईएनटी विशेषज्ञों से कलेक्शन कराने की बात कही गई थी। हालांकि, कलेक्शन के लिए प्रशिक्षित और कुशल लोगों की कमी को देखते हुए लैब टेक्निशियन व एएनएम को प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया गया था। माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉक्टरों के अनुसार कोरोना जांच की पहली अहम कड़ी सैंपल कलेक्शन है। यदि उसमें ही चूक होगी तो सही रिपोर्ट की आशा बेमानी है।
सिर्फ नाक से स्वाब, वह भी गलत तरीके से
डॉक्टरों के अनुसार कोरोना जांच के लिए नाक व गले दोनों से स्वाब लिया जाना चाहिए। प्रदेश में सिर्फ नाक से स्वाब लिया जाता है और उसमें भी मानक का पालन नहीं किया जाता है। स्वाब नाक के करीब नौ सेंटीमीटर अंदर का लिया जाना चाहिए जबकि प्रदेश में तीन से चार सेंटीमीटर में लिया जा रहा है। ऐसे में पॉजिटिव की रिपोर्ट भी निगेटिव आ सकती है।