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Shravani Mela 2020: विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला पर कोरोना का संकट, तीन जुलाई से होने वाला है शुरू

Shravani Mela 2020 बिहार-झारखंड का विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला तीन जुलाई से शुरू होगा। इस पर भी कोरोना का संकट मंडराने लगा है। सरकारी तैयारी चल रही है पर लोग असमंजस में हैं।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 07:26 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 10:30 PM (IST)
Shravani Mela 2020: विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला पर कोरोना का संकट, तीन जुलाई से होने वाला है शुरू
Shravani Mela 2020: विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला पर कोरोना का संकट, तीन जुलाई से होने वाला है शुरू

पटना, अरुण अशेष। कोरोना का संकट श्रावणी मेला पर भी मंडरा रहा है। सरकारी तैयारी चल रही है, लेकिन कांवरिये और उनकी यात्रा को सुगम बनाने वाले ग्रामीण असमंजस में हैं। वजह यह डर है कि पता नहीं कोरोना का संकट कब समाप्त होगा। इस साल श्रावणी मेला पांच जुलाई को शुरू होगा। तीन अगस्त तक चलेगा। सुल्तानगंज से देवघर के बीच करीब 100 किलोमीटर की कांवर यात्रा में रोजाना कम से कम डेढ़ लाख लोग शामिल होते हैं। इतनी भीड़ रहती है कि शारीरिक दूरी बनाकर चलना संभव ही नहीं है। शाम के समय तो धक्का-मुक्की की नौबत रहती है। जाहिर है, कोरोना काल में यह यात्रा संभव नहीं है।  

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तैयारी दो स्तर पर होती है। सड़क, पेयजल, चिकित्सा, बिजली और सुरक्षा की व्यवस्था सरकार की ओर से की जाती है। स्थानीय लोग दुकान लगाते हैं। टेंट या घरों में कांवरियों को रात्रि विश्राम की सुविधा देते हैं। आम तौर पर दो महीने पहले से तैयारियां शुरू हो जाती है। कांवरिया पथ के पांच किलोमीटर के दायरे के स्थानीय लोग श्रावणी मेला की तैयारी उत्सव की तरह करते हैं। भागलपुर, मुंगेर और बांका जिले से गुजरते हुए कांवरिया झारखंड के देवघर जाते हैं। 

रोजगार का भी साधन है

कांवरिया पथ से जुड़ी लाखों की आबादी के लिए यह समय कमाई का होता है। रोजाना औसत डेढ़ लाख लोग इस पथ से गुजरते हैं। कांवरिया अगर एक दिन में तीन सौ रुपया भी खर्च करते हैं तो यह राशि साढ़े चार करोड़ रुपये होती है। यह रकम स्थानीय कारोबारियों की जेब में जाती है। हिसाब यह कि कांवर यात्रा नहीं हुई तो इलाके के कारोबारियों को सवा 100 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होगा। मुंगेेर जिला परिषद के पूर्व सदस्य और रणगांव के निवासी निरंजन कुमार मिश्र कहते हैं- स्थानीय कारोबारियों में उत्साह की कमी है। डर है, दुकान पर निवेश करें और कांवरिये नहीं आए तो पूंजी डूब जाएगी। वैसे, जून के मध्य तक तस्वीर साफ हो पाएगी। लक्षण ठीक नजर आए तो तैयारी की जाएगी। 40 वर्ष से कांवर लेकर जा रहे पोस्टल पार्क के रामसेवक प्रसाद को उम्मीद नहीं है कि अगले सावन में देवघर जा पाएंगे।

देवघर में भी मुश्किल

देवघर मंदिर में दर्शन के लिए भीड़ को नियंत्रित करना प्रशासन और मंदिर प्रबंधन के लिए हमेशा मुश्किलों से भरा टास्क रहा है। भीड़ के चलते कई बड़े हादसे भी हुए है। फिर भी हाल के वर्षों में दर्शन सुलभ हुआ है। आकलन यह है कि अगर शारीरिक दूरी बनाकर दर्शन कराया जाए तो 18 घंटे मेें अधिक से अधिक 20 हजार लोगों को दर्शन कराया जा सकता है। 

तैयारी चल रही है: नंदकिशोर

पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने कहा कि कांवर पथों को लेकर हमारी तैयारी चल रही है। पिछली बार शिकायत मिली थी कि पथ पर मोटा बालू के चलते कांवरियों को तकलीफ हुई। इस बार कांवर पथ पर गंगा बालू बिछाने का फैसला किया गया है। हमारा काम चल रहा है। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री विनोद नारायण झा ने कहा कि शौचालय और स्नानागार को दुरुस्त किया जा रहा है। हम यह मानकर चल रहे हैं कि यात्रा पहले की तरह होगी।


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