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भाजपा का जदयू से बेहतर होगा तालमेल, छोटे पार्टनर तक सीमित रहेंगे हम और रालोसपा

भाजपा की जहानाबाद उपचुनाव को लेकर की गई पहल का असर आगे भी दिखेगा। जदयू के साथ समन्‍वय और बेहतर होगा। वहीं हम और रालोसपा छोटे पार्टनर तक सीमित रहेंगे।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Tue, 20 Feb 2018 01:41 PM (IST)Updated: Wed, 21 Feb 2018 07:17 PM (IST)
भाजपा का जदयू से बेहतर होगा तालमेल, छोटे पार्टनर तक सीमित रहेंगे हम और रालोसपा
भाजपा का जदयू से बेहतर होगा तालमेल, छोटे पार्टनर तक सीमित रहेंगे हम और रालोसपा

पटना [एसए शाद]। भाजपा की पहल पर जदयू उपचुनाव में जहानाबाद सीट पर उम्मीदवार देने पर राजी हुआ है। भाजपा की इस पहल ने जहां जहानाबाद सीट पर हो रहे चुनाव को बहुत महत्वपूर्ण बना दिया है, वहीं इस पहल का आने वाले लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव पर भी असर दिखेगा।

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जदयू का जहानाबाद सीट पर प्रत्याशी देना राजग के दो बड़े दलों के समन्वय को आने वाले दिनों में और बेहतर बनाएगा। यह फैसला जदयू के लिए भी इस मायने में बेहतर रहेगा कि आगामी चुनावों में सीट बंटवारे के समय इसकी दावेदारी बनी रहेगी।

प्रत्याशी खड़ा करने को लेकर पहले तो राजग के दो घटक दलों-रालोसपा और हम, में खींचतान हुई जिसे देख जदयू ने खुद को पीछे कर लिया था। यह तर्क देते हुए कि ये तीनों सीटें सिटिंग सांसद एवं विधायक के निधन के कारण खाली हुई हैं, जदयू ने किसी भी सीट पर प्रत्याशी नहीं देने की घोषणा कर दी थी। इन तीनों में से कोई भी जदयू की सिटिंग सीट नहीं थी। हालांकि जहानाबाद सीट पर राजग की ओर से जदयू ही प्रत्याशी देता रहा है।

2015 में हालांकि राजद के साथ तालमेल के कारण इस सीट पर जदयू की जगह राजद ने प्रत्याशी दिया था।

राजग में जदयू सबसे बड़ा दल है। जदयू के इस समय 70 विधायक हैं, जबकि भाजपा के 52 विधायक हैं। वहीं रालोसपा, लोजपा और हम के क्रमश: दो-दो और एक विधायक हैं। लेकिन लोकसभा की प्रदेश में 40 सीटों में से केवल दो ही जदयू के पास हैं।

भाजपा के 22, लोजपा के 6 और रालोसपा के 3 सांसद हैं। चाहे लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव, सभी दल अपने सांसदों की संख्या के आधार पर भी सीटों पर अपनी हिस्सेदारी मांगेंगे। ऐसे में जदयू के लिए जहानाबाद सीट रालोसपा या हम को इस उपचुनाव में देना अपनी दावेदारी से पीछे हटने के समान था।

दो छोटे घटक दलों की दावेदारी पर आगे की कार्रवाई की बजाय सबसे बड़े दल को आमंत्रण देना खुद स्पष्ट करता है कि राजग के अंदर बहुत सोच विचार के बाद ही जहानाबाद सीट को लेकर यह फैसला किया गया है। यह इस बात का भी संकेत है कि हम और रालोसपा अभी राजग में छोटे पार्टनर की हैसियत में ही रहेंगे, अहम फैसलों में भाजपा और जदयू का ही दखल रहेगा।

जदयू के प्रत्याशी नहीं देने की घोषणा के बाद यह भी चर्चा शुरू हो गई थी कि शायद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लें। परन्तु बदली हुई परिस्थिति में जहानाबाद के स्टार प्रचारकों में उनका नाम पहले स्थान पर है। 

पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू और राजद साथ थे, लेकिन इस उपचुनाव में जदयू प्रत्याशी अभिराम शर्मा का सीधा मुकाबला राजद के कुमार कृष्ण उर्फ सुदय यादव से होगा। सुदय यादव, मुंद्रिका सिंह यादव के पुत्र हैं जिनके निधन के कारण यह सीट खाली हुई है। वैसे भाकपा (माले) ने भी कुंती देवी के रूप में अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा है। 


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