बिहार में कांट्रैक्ट कर्मचारी पंचायत चुनाव में नहीं आजमा पाएंगे किस्मत, जानें किन-किन पर लगी है रोक
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पहली बार मतदाता बनने वाले और चुनाव लड़ने वालों के लिए जरूरी जानकारी है। सरकार में संविदा पर कार्यरत कौन-कौन मुलाजिम चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट कर रखा है।
राज्य ब्यूरो, पटना: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पहली बार मतदाता बनने वाले और चुनाव लड़ने वालों के लिए जरूरी जानकारी है। सरकार में संविदा पर कार्यरत कौन-कौन मुलाजिम चुनाव नहीं लड़ सकते हैं, राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट कर रखा है। यही नहीं, नामांकन करने वाले प्रत्याशियों के प्रस्तावक भी नहीं बन सकते हैं। अगर, प्रस्ताव बने तो पर्चा रद हो जाएगा, और तो और ग्राम कचहरी के पदों के लिए भी चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। मार्च से मई के बीच प्रस्तावित 2021 त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कौन-कौन कर्मचारी अधिकारी चुनाव लड़ सकते हैं और कौन नहीं पद वार आयोग ने स्पष्ट कर रखा है।
देखिए किस-किस के चुनाव लड़ने पर है रोक
आंगनवाड़ी सेविका, विशेष शिक्षा परियोजना, साक्षरता अभियान, विशेष शिक्षा केंद्रों में मानदेय पर कार्यरत अनुदेशक, पंचायत के अधीन मानदेय, अनुबंध पर कार्यरत पंचायत शिक्षा मित्र, न्याय मित्र, विकास मित्र या अन्य कर्मी, पंचायत के अंतर्गत मानदेय पर कार्यरत दलपति, केंद्र या राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकार से पूर्णत: या आंशिक वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक संस्थाओं में कार्यरत, प्रतिनियुक्त पदाधिकारी, शिक्षक, प्रोफेसर, शिक्षकेत्तर कर्मचारी आदि। इसी तरह गृहरक्षक (होमगार्ड) चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। सरकारी वकील (जीपी) लोक अभियोजक (पीपी) सहायक लोक अभियोजक (एपीपी) भी चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। उपरोक्त सभी पदों पर कार्यरत मुलाजिम प्रस्ताव भी नहीं बन सकते हैं। आयोग ऐसे नामांकन पत्र को रद करने के लिए अधिकृत है।
कौन-कौन लड़ सकते हैं चुनाव
बिहार में पंचायत चुनाव में पहली बार मतदाता बनने वाले और चुनाव लड़ने वालों के लिए सरकार में संविदा पर कार्यरत कौन-कौन मुलाजिम चुनाव नहीं लड़ सकते हैं? राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट कर रखा है। सेवानिवृत्त सरकारी सेवक, जन वितरण प्रणाली के लाइसेंस विक्रेता, कमीशन के आधार पर काम करने वाले एजेंट, अकार्यरत गृहरक्षक पंचायत चुनाव लड़ सकते हैं। इसके अलावा सहायक सरकारी वकील एजीपी अपर लोक अभियोजक जो केवल शुल्क पर नियुक्त किए जाते हैं वह भी चुनाव लड़ सकते हैं।