सवालों के घेरे में बिहार म्यूजियम में संविदा नियुक्तियां
बिहार म्यूजियम में संविदा नियुक्तियां सवालों के घेरे में।
पटना। बिहार म्यूजियम में टिकटों की छपाई से लेकर बिक्री में धांधली और लाइब्रेरी में मनमानी के बाद अब संविदा पर हुई नियुक्तियों पर भी सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में छह माह के लिए छह संविदाकर्मियों की नियुक्ति हुई है। बिना किसी विज्ञापन और साक्षात्कार के नियुक्ति किए जाने की बात अब म्यूजियम के बाहर तक आ चुकी है। विभागीय अधिकारियों और कर्मियों की मानें तो ऑडिट टीम सही से जांच करें तो म्यूजियम में हुई कई अनियमितताएं उजागर हो जाएंगी। सूत्रों के मुताबिक म्यूजियम में इसी माह छह पदों पर छह कर्मियों की तैनाती हुई। इसमें साक्षात्कार तो दूर विज्ञापन तक प्रकाशित नहीं किया गया। सूत्रों की मानें वर्ष 2018 में 12 लाख रुपये की डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने के नाम पर कलाकारों को भुगतान कर दिया गया। इसमें भी किसी प्रकार का टेंडर नहीं किया गया। इस बात की खबर जब विकास आयुक्त को हुई तो एक अधिकारी से स्पष्टीकरण तलब किया गया। पिछले साल ही करीब सवा लाख रुपये का बगैर टेंडर के पेंटिंग स्टैंड के नाम पर भुगतान किया जा रहा था।
सर्विस बुक खुली नहीं, दर्ज हो गया मुकदमा
सूत्रों की मानें तो पिछले साल म्यूजियम के निदेशक युसूफ ने कोतवाली थाने में संचिका गुम होने का केस दर्ज कराया। इस पर पुलिस म्यूजियम में पहुंची। फिर जांच शुरू हुई। 10 दिन गुजरे नहीं कि फिर म्यूजियम से लिखकर दे दिया गया कि संचिका मिल गई। इसके बाद एक कर्मी की सर्विस बुक गुम होने का केस दर्ज कराया था, जबकि उस कर्मी की सर्विस बुक खुली ही नहीं थी।
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सोसाइटी के अधीन है, सरकार का आदेश नहीं होता लागू : युसूफ
निदेशक युसूफ ने कहा कि उनके आने से पूर्व ही म्यूजियम में वित्तीय अनियमितताएं हो रही थीं। उन्होंने गलत होने पर रोका। अभी वे 31 अक्टूबर तक अवकाश पर रहेंगे। म्यूजियम सोसाइटी के अधीन है, इसलिए सरकार का आदेश उन पर लागू नहीं होता है। छुट्टी लेने के लिए किसी से स्वीकृति लेने की जरूरत नहीं है। सिर्फ सूचना देनी पड़ती है और वह दे दी गई है। एक नवंबर को योगदान देंगे। उन्होंने कहा कि जहां तक संविदा नियुक्ति का सवाल है, वह छह माह के लिए किया गया है, जो मेरे अधिकार क्षेत्र में है।