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बिहार में 12 वर्षों से हो रहा है सौ पशु अस्पतालों का निर्माण, कार्य अब भी प्रगति पर ...अब सीएम नीतीश के वादे से आस

बिहार के गांवों में बेहद घीमी रफ्तार से सरकारी पशु अस्पताल बन रहे हैं । कहीं पर धन है तो जमीन नहीं भवन बना तो बिजली गायब है। सीएम नीतीश कुमारने चुनावी सभाओं में वादा किया है कि बड़े पैमाने पर राज्‍य में पशु अस्‍पताल खोलेंगे बढ़ी उम्‍मीद

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 08:20 AM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 09:08 AM (IST)
बिहार में 12 वर्षों से हो रहा है सौ पशु अस्पतालों का निर्माण, कार्य अब भी प्रगति पर ...अब सीएम नीतीश के वादे से आस
सीएम नीतीश कुमार और खेत में हल चलाते हुए किसान की तस्‍वीर, जागरण ।

पटना, राज्य ब्यूरो। किसानों से कहा जा रहा है कि वे आमदनी बढ़ाने के लिए पशुपालन पर जोर दें। इसके लिए सरकार अनुदान दे रही हैं। बैंक कर्ज दे रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी चुनावी सभाओं में वादा किया है कि वह बड़े पैमाने पर पशु अस्पताल खोलेंगे। इधर सरकारी अस्पतालों का हाल यह है: करीब सौ पशु अस्पतालों का निर्माण 12 वर्षों से चल ही रहा है। कहीं भवन बन गए हैं तो इलाज की आधारभूत संरचना नहीं है। किसी-किसी अस्पताल में तो महज बिजली कनेक्शन न रहने के चलते इलाज नहीं हो रहा है। पशुओं से संबंधित कई दवाएं हैं, जिन्हें निश्चित तापमान में रखना पड़ता है। इसके लिए बिजली जरूरी है।

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पत्र से पशु अस्‍पतालों की बदहाली की जानकारी

भवन निर्माण विभाग के अभियंता प्रमुख के एक पत्र से पशु अस्पतालों की बदहाली का पता चलता है। उन्होंने सभी कार्यपालक अभियंताओं से पशु अस्पतालों के निर्माण का अद्यतन ब्यौरा मांगा है। पत्र में 29 ऐसे अस्पतालों के बारे में जानकारी मांगी गई है, जिनका आधा-अधूरा निर्माण हुआ है या काम बंद है। सूची में उन 69 अस्पतालों का भी जिक्र है, जिनका निर्माण कार्य शुरू ही नहीं हुआ है। मोकामा प्रखंड के मरांची में में प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय के निर्माण की स्वीकृति आठ अक्टूबर 2013 को दी गई थी। साढ़े 36 लाख रुपये का आवंटन किया गया। जमीन भी उपलब्ध है। निर्माण नहीं हो पाया। कैमूर जिला के मोहनिया में तो 17 दिसंबर 2008 को ही अस्पताल निर्माण की स्वीकृति दी गई थी। करीब 30 लाख रुपये का आवंटन उसी समय कर दिया गया था।

2008 से कार्य प्रगति पर है

दरभंगा जिला के हनुमाननगर में प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय का निर्माण 2008 में शुरू हुआ। भवन बन गया है। भवन की फिनिशिंग नहीं हुई है। बिजली, शौचालय, जलापूर्ति और मेन गेट का काम नहीं हुआ है। यह हालत पिछले छह-सात वर्षों से है। मधुबनी जिला के कलुआही में 2008 में स्वीकृत एक अस्पताल की मौजूदा हाल के बारे में अभियंता प्रमुख के पत्र में लिखा गया है-कार्य प्रगति पर है।


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