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बिहार में अरसे बाद लगातार सक्रिय दिख रही कांग्रेस, आज फिर निकालेगी मशाल जुलूस

बिहार में काफी सालों बाद एक बार फिर कांग्रेस पार्टी सक्रिय दिख रही है। पिछले कुछ दिनों में कई ज्वलंत मुद्दों पर सक्रियता दिखाते हुए शनिवार को पार्टी मशाल जुलूस निकालेगी।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 27 Dec 2019 01:05 PM (IST)Updated: Fri, 27 Dec 2019 10:54 PM (IST)
बिहार में अरसे बाद लगातार सक्रिय दिख रही कांग्रेस, आज फिर निकालेगी मशाल जुलूस
बिहार में अरसे बाद लगातार सक्रिय दिख रही कांग्रेस, आज फिर निकालेगी मशाल जुलूस

पटना [एसए शाद]। कांग्रेस पार्टी प्रदेश में काफी समय बाद आंदोलन को लेकर सक्रिय दिख रही है। पिछले दो माह में पार्टी ने कई आंदोलन कार्यक्रम चलाए। ज्वलंत मुद्दों को लेकर सड़कों पर पार्टी कार्यकर्ता उतरे। पुलिस की लाठियां भी खाईं। वैसे कांग्रेसी भी हाथ में तख्तियां लिए सड़कों पर दिखे जो खुद को टीवी चैनलों की बहस तक ही सीमित किए हुए थे। पार्टी शनिवार को एक बार फिर सीएए एवं एनआरसी के मुद्दे को लेकर मशाल जुलूस निकालेगी।

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कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि पार्टी पहले से आक्रामक हुई है, आंदोलन के मूड में है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि कांग्रेस को धीरे-धीरे जनसमर्थन प्राप्त हो रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी दोबारा जीत गए मगर इसके बाद इन्हें विभिन्न राज्यों में हार देखने को मिल रही है। महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में कांग्रेस को बढ़त मिली है।

देखा जाए तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं में इस साल फरवरी से ही उत्साह देखने को मिला। तीन फरवरी को गांधी में आयोजित राहुल गांधी की रैली ने कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार किया। मगर इस स्थिति को पार्टी का प्रदेश नेतृत्व भुना नहीं पाया। एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने इसके दो कारण गिनाए।

उनके मुताबिक, लोकसभा चुनाव में कई 'बाहरी नेताओं' को टिकट दे दिया गया, जो दूसरे दलों को छोड़ कांग्रेस में आए थे। इस कारण कार्यकर्ताओं का उत्साह बहुत हद तक हवा हो गया। फिर चुनाव के नतीजे के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया जिसके कारण कार्यकर्ताओं, विशेषकर युवा कार्यकर्ताओं में मायूसी छा गई।

दूसरा कारण प्रदेश नेतृत्व तालमेल को लेकर हमेशा भ्रम में रहा। नतीजे में राज्य में एनडीए सरकार के खिलाफ नरम रुख अपना लिया और प्रदेश में विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस अपनी पहचान नहीं बना पाई। सोनिया गांधी के दोबारा अध्यक्ष बनने के बाद तालमेल को लेकर भ्रम बहुत हद तक दूर हुआ है और पार्टी आंदोलन को लेकर गंभीर हुई है।

पिछले दिनों वाम दलों और फिर राजद द्वारा आहूत बिहार बंद में भी कांग्रेस ने सक्रिय भूमिका निभाई। इससे पूर्व केंद्रीय नेतृत्व के आह्वान पर नवंबर में नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अकेले आक्रोश मार्च निकाला जिस पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, आंसू गैस के गोले छोड़े।


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