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मिशन 2019: कांग्रेस को राजद का एेतराज मंजूर नहीं, अनंत सिंह-पप्पू यादव भी चलेंगे

बिहार में कांग्रेस को राजद का ये एेतराज मंजूर नहीं है कि बाहुबली नेताओं को टिकट नहीं दिया जाए। कांग्रेस को जिताऊ उम्मीदवार चाहिए, चाहे वो अनंत सिंह हों या पप्पू यादव हों।

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 06 Feb 2019 07:42 PM (IST)Updated: Thu, 07 Feb 2019 08:15 PM (IST)
मिशन 2019: कांग्रेस को राजद का एेतराज मंजूर नहीं, अनंत सिंह-पप्पू यादव भी चलेंगे
मिशन 2019: कांग्रेस को राजद का एेतराज मंजूर नहीं, अनंत सिंह-पप्पू यादव भी चलेंगे

पटना [अरुण अशेष]। शराफत के नाम पर जो लोग कांग्रेस से उम्मीद कर रहे हैं कि वह पप्पू यादव और अनंत सिंह को अपना उम्मीदवार नहीं बनाएगी, उन्हें निराशा हाथ लग सकती है। कांग्रेस उन्हें उम्मीदवार बनाने के लिए ठोस तर्क गढ़ रही है। वह है-जीतने वाला चेहरा चाहिए। चमक वाले चेहरों से कांग्रेस को क्या मिला? देश भर में सिर्फ 44 सीटें मिली थीं। असल चीज है संसद और विधानसभा में ताकत बढ़ाना। इसके लिए सब जायज है।

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कांग्रेस अपने दावे की सीटों का मसला भी दो दिन बाद हल कर लेगी। नौ फरवरी को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव की चर्चा के लिए प्रदेश अध्यक्षों और विधान मंडल दल के नेताओं की बैठक बुलाई है। प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल, प्रदेश अध्यक्ष डा. मदन मोहन झा और विधायक दल के नेता सदानंद सिंह और संचालन समिति के अध्यक्ष डा. अखिलेश प्रसाद सिंह इसमें शामिल होंगे।

बिहार के लिए बैठक का मुद्दा है-कांग्रेस लोकसभा की किन सीटों पर जीतने की हालत में है। राजद के सामने कितनी सीटों का दावा किया जाए। कितनी सीट मिलने पर राजी हुआ जाए।

सूत्रों की माने तो पार्टी 10-12 सीटों पर वह मान जाएगी। 2014 के लोकसभा चुनाव में उसे 12 सीटें मिली थीं। तब उतने उम्मीदवार उसे दल में नहीं मिले थे। इस बार भी वह एक दर्जन से अधिक सीटों की मांग करेगी। ताकि सौदेबाजी के दौरान जरूरत भर सीटें मिल जाएं। 20 फरवरी तक कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों की सूची बन जाएगी।

एक समस्या पप्पू यादव को लेकर पैदा हो रही है। राजद के नेता तेजस्वी यादव को उनके नाम पर एतराज है। लेकिन, मंगलवार को पप्पू यादव और राहुल गांधी के बीच मुलाकात के बाद यह तय हो गया है कि कांग्रेस परवाह नहीं करेगी। उसने राजद के एतराज का भी काट खोज लिया है।

राजद को कहा जा सकता है कि आप भी उन तमाम लोगों से मिलते हैं, जिन्हें कांग्रेस से परहेज है। उदाहरण के तौर पर यूपी प्रकरण की चर्चा की जा सकती है। अखिलेश यादव और मायावती ने कांग्रेस से किनारा कर लिया। फिर भी तेजस्वी यादव उन दोनों के साथ दोस्ताना रिश्ता निभा रहे हैं।

इसी तरह अनंत सिंह के लिए भी जवाब है-उनकी बराबरी वाले कई दबंग राजद टिकट के दावेदार हैं। गोहिल पहले ही इस तर्क के साथ अनंत सिंह सिंह के पक्ष में खड़े हैं कि उनके बड़े भाई दिलीप सिंह राज्य की राबड़ी सरकार में मंत्री थे। अनंत सिंह जदयू के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। 

कहा-कांग्रेस के प्रवक्ता प्रेमचंद्र मिश्रा ने 

हम नहीं समझते हैं कि महागठबंधन में सीटों को लेकर कोई तकरार है। सबका लक्ष्य केंद्र से नरेंद्र मोदी और राज्य से नीतीश कुमार की सरकार को हटाना है।

प्रेमचंद्र मिश्रा, कांग्रेस प्रवक्ता एवं विधान परिषद सदस्य।


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