बिहार में चलने वाले सदस्यता अभियान को लेकर कांग्रेस काफी सख्त... जानें वजह...
कांग्रेस अब सदस्य बनाने के दौरान होने वाले फर्जीवाड़ा रोकने के लिए कारगर कदम उठा रही है। सदस्यता अभियान अगले महीने से चलेगा। जानें इस खबर में कांग्रेस ने क्या रणनीति बनाई है।
पटना, राज्य ब्यूरो। कांग्रेस अब सदस्य बनाने के दौरान होने वाले फर्जीवाड़ा रोकने के लिए कारगर कदम उठा रही है। सदस्यता अभियान अगले महीने से चलेगा। नई व्यवस्था के तहत पार्टी के नेता अपने गांव से अभियान की शुरुआत करेंगे। शहर के नेताओं को अपने वार्ड से शुरुआत करनी होगी। कोशिश यह होगी कि अभियान उत्सव की तरह हो। इसके लिए शामियाना, कुर्सी, पानी, लाउडस्पीकर के अलावा वीडियोग्राफी का भी इंतजाम होगा। पार्टी से जुडऩे वाले नए सदस्यों की वीडियोग्राफी होगी।
दस्तावेज जरूरी होंगे
सूत्रों ने बताया कि सदस्यता रसीद 15 दिनों के लिए दी जाएगी। 15 वें दिन रसीद की अधकट्टी के साथ शुल्क की राशि जमा करनी होगी। सदस्य के प्रमाण के लिए जरूरी दस्तावेज देने होंगे। सदस्य का मोबाइल या टेलिफोन नंबर भी देना होगा, ताकि पुष्टि की जा सके कि उन्होंने मर्जी से सदस्यता ली है या नेता ने अपने मन से उन्हें सदस्य बना दिया गया।
फर्जी सदस्यता से त्रस्त है पार्टी
असल में कांग्रेस लंबे समय से फर्जी सदस्यता से पीडि़त रही है। लोग वोटर लिस्ट से नाम लेकर सदस्य बना देते थे। जेब से सदस्यता शुल्क जमा कर देते थे। पार्टी के कोष में धन जमा हो जाता था, लेकिन सदस्यों का अता-पता नहीं रहता था। पार्टी इस बीमारी से लंबे अरसे से ग्रस्त थी।
पिछली बार बने थे 16 लाख सदस्य
पिछली बार बताया गया कि 16 लाख सदस्य बने हैं। प्रत्येक सदस्य पांच रुपये की दर से शुल्क के तौर पर खजाने में 80 लाख रुपये जमा हो गए। यह उपलब्धि मानी गई, लेकिन इतने सदस्यों का प्रभाव कभी नजर नहीं आया। राज्य में कांग्रेस किसी मुद्दे पर असरदार आंदोलन नहीं चला सकी। सदस्यों के नमूने की जांच की गई तो पता चला कि आधे से अधिक लोगों को पता ही नहीं था कि वे कांग्रेस के सदस्य बन गए हैं। लिहाजा, इस बार अभियान में सख्ती बरतने का फैसला किया गया है। इसी अभियान के दौरान हासिल सदस्यता के आधार पर अगले साल संगठन का चुनाव होगा।
कहते हैं विधान पार्षद
सदस्यता अभियान की नई प्रणाली कांग्रेस को मजबूत करेगी। आज भी बड़ी संख्या में आम लोग पार्टी से जुडऩा चाहते हैं। लेकिन गांवों में अभियान न चलने के कारण हम उनतक नहीं पहुंच पाते हैं। सही-सही आंकड़ा तो नहीं है। फिर भी इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि सदस्य बनाने में फर्जीवाड़ा होता रहा है।
- प्रेमचन्द मिश्रा, विधान परिषद सदस्य, कांग्रेस