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बिहार में अल्पेश ठाकोर ने बढ़ाई कांग्रेसियों की परेशानी, मंच साझा करने तक से परहेज

गुजरात में बिहारियों के साथ हिंसा के दौरान कांग्रेस के बिहार सह प्रभारी अल्‍पेश ठाकोर के बयान से बिहार में पार्टी बैकफुट पर है। इसका असर आगामी चुनाव पर पड़ना तय माना जा रहा है।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 14 Oct 2018 02:58 PM (IST)Updated: Mon, 15 Oct 2018 10:42 PM (IST)
बिहार में अल्पेश ठाकोर ने बढ़ाई कांग्रेसियों की परेशानी, मंच साझा करने तक से परहेज
बिहार में अल्पेश ठाकोर ने बढ़ाई कांग्रेसियों की परेशानी, मंच साझा करने तक से परहेज

पटना [राज्य ब्यूरो]। गुजरात कांग्रेस के विधायक और बिहार के प्रभारी सचिव अल्पेश ठाकोर प्रकरण ने प्रदेश कांग्रेस की परेशानी बढ़ा दी है। भाजपा की नाकामियों और सवर्णों के पक्ष को केंद्र में रखकर लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस अचानक इस प्रकरण के बाद संशय में है। पार्टी के अंदर खुलकर तो नहीं, लेकिन दबी जुबान से अल्पेश और गोहिल के विरोध की आवाज उठने लगी है।

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कटघरे में खड़ी बिहार कांग्रेस

बिहार के चार प्रभारी अध्यक्षों में से एक ने नाम न छापने के आग्रह के साथ कहा कि अल्पेश प्रकरण ने कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर दिया है। पार्टी के लिए यह बात समझ से परे है कि आखिर इस समस्या का समाधान किस तरीके से निकाला जाए। कल को जब चुनावी सभाएं प्रारंभ होगीं तो पार्टी किस मुंह के साथ जनता के बीच जाएगी और गोहिल, अल्पेश जैसे नेताओं के साथ मंच साझा करेगी। मंच पर इन दो नेताओं के साथ बिहार के कांग्रेसियों पर भी सवाल उठने तय हैं।

एक नेता की गलती से पार्टी को बड़ा नुकसान

उन्‍होंने कहा, एक नेता की गलती की वजह से पार्टी का बड़ा नुकसान हो रहा है। जिसका फायदा सीधे-सीधे राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को मिलता दिख रहा है। एनडीए को बगैर कोई रणनीति बनाए कांग्रेस पर बढ़त बनाने का मौका मिल गया है। समस्या का समाधान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को तत्काल करना होगा। यदि समय पर फैसला नहीं लिया गया तो आने वाले दिनों में कांग्रेस की मुसीबतें और बढ़ेंगी।

बयान की आलोचना कर रहे विरोधी

बता दें कि अल्पेश ठाकोर को प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल के प्रस्ताव के बाद बिहार कांग्रेस में तीसरे प्रभारी सचिव का पद सौंपा गया। बीरेंद्र सिंह राठौर और राजेश लिलौटिया के बाद अल्पेश को यह जिम्मा दिया गया। उन्हें बिहार के प्रभारी सचिव का पद संभाले महीना भर भी नहीं बीता था कि गुजरात में बिहारियों और उत्तर भारतीयों पर हुए हमले को लेकर अपने बयान को लेकर वे विरोधियों के निशाने पर हैं।

कांग्रेस नेताओं पर हो रहे हमले

फिलहाल आलम यह है कि पहले बजरंग दल के कुछ नेताओं ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम पर प्रदर्शन किया। इसके बाद सवर्ण सेना के एक दस्ते ने सदाकत आश्रम में घुसकर कांग्रेस नेताओं के साथ मारपीट की। कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा को भी उनके गृह जिले में विरोध झेलना पड़ा। उनके वाहन को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया।


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