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CM नीतीश बोले: 60 साल से आगे बढ़े रिटायरमेंट की उम्र, अप्रैल से हर पंचायत में नौवीं की पढ़ाई

पटना के ज्ञान भवन में आयोजित शिक्षा दिवस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि रिटायरमेंट कर उम्र बढ़नी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि विद्यार्थी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड का लाभ लें।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 08:04 PM (IST)Updated: Mon, 11 Nov 2019 11:43 PM (IST)
CM नीतीश बोले: 60 साल से आगे बढ़े रिटायरमेंट की उम्र, अप्रैल से हर पंचायत में नौवीं की पढ़ाई
CM नीतीश बोले: 60 साल से आगे बढ़े रिटायरमेंट की उम्र, अप्रैल से हर पंचायत में नौवीं की पढ़ाई

पटना [राज्य ब्यूरो]। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि रिटायरमेंट की उम्र 60 साल से बढ़ा देनी चाहिए। पटना के सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र स्थित ज्ञान भवन में आयोजित शिक्षा दिवस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने यह बात कही। इस मौके पर पुरस्कृत आयकर विभाग के एक रिटायर अधिकारी प्रेम वर्मा के संबोधन का संदर्भ लेते हुए मुख्यमंत्री ने यह बात कही। प्रेम वर्मा ने रिटायर लोगों को बच्चों को पढ़ाने के अपने अभियान से जुड़ने की बात कही थी।

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मुख्यमंत्री ने किसी सेवा का जिक्र किए बिना कहा कि जिस वक्त रिटायरमेंट की उम्र 58 वर्ष थी, उस समय वे केंद्र में थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को वे लगातार कहते रहते थे कि इसे बढ़ा दीजिए। इस उम्र लोग रिटायर हो जाते हैैं। जबकि, उनमें कार्य करने की क्षमता रहती है।

बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे कार्यों की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने हरेक पंचायत में उच्च माध्यमिक विद्यालयों की स्थापना का निर्णय किया है। छह हजार पंचायतों में ऐसे विद्यालय शुरू हो गए हैं। शेष बचे पंचायतों में अगले वर्ष अप्रैल से नौवीं कक्षा की पढ़ाई आरंभ हो जाएगी। शिक्षा विभाग ने यह भी तय किया हैै कि सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम के तहत आठवीं में मौलाना आजाद की जीवनी पढ़ाई जाएगी।

शिक्षा दिवस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने मौलाना आजाद पर शिक्षा विभाग द्वारा तैयार किए गए एक पुस्तक का भी विमोचन किया। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक को सभी स्कूलों तक पहुंचाया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा विद्यार्थी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड का लाभ लें। हम यह चाहते हैैं कि बिहार का ग्रॉस एनरॉलमेंट रेशियो 30 फीसद से कम नहीं हो। कोई मजबूरी में बिहार के बाहर पढऩे के लिए नहीं जाए। उन्होंने इस मौके पर यह संकल्प भी दिलाया कि सभी को पढ़ाएंगे। आपस में प्रेम और भाईचारे का भाव रखेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2007 में बिहार में उनकी सरकार ने मौलाना अबुल कलाम की जयंती पर शिक्षा दिवस का आयोजन शुरू किया। अगले ही वर्ष केंद्र सरकार ने भी शिक्षा दिवस मनाना शुरू किया। देश के पहले शिक्षा मंत्री के साथ-साथ आजादी की लड़ाई में भी मौलाना आजाद का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वे देश के विभाजन के पक्ष में नहीं थे। सर्वधर्म समभाव के पक्षधर थे। उनकी अपील पर विभाजन के बाद देश से बाहर जाने का सिलसिला बंद हो गया। अपने आप में यह बहुत बड़ी चीज थी। पहले शिक्षा मंत्री के रूप में देश में शिक्षा के विकास व महिला शिक्षा के विकास उन्होंने जो काम किया उसे भुलाया नहीं जा सकता है।


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