Move to Jagran APP

CM नीतीश ने सुनाए पढ़ाई वाले दिनों के किस्से, कैंपस में लड़की देख आश्चर्य होता था...

बिहार के सीएम नीतीश कुमार के छात्र जीवन के दौरान कैंपस में लड़की देखकर अाश्‍चर्य होता था। बीसीई-एनआटी के पूर्ववर्ती छात्र सम्‍मेलन में सीएम ने अपने छात्र जीवन के कई किस्‍से सुनाए।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 04 Feb 2018 08:02 PM (IST)Updated: Sun, 04 Feb 2018 10:24 PM (IST)
CM नीतीश ने सुनाए पढ़ाई वाले दिनों के किस्से, कैंपस में लड़की देख आश्चर्य होता था...
CM नीतीश ने सुनाए पढ़ाई वाले दिनों के किस्से, कैंपस में लड़की देख आश्चर्य होता था...
पटना [जेएनएन]। बीसीई-एनआइटी के पूर्ववर्ती छात्रों के सम्मेलन में बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (बीसीई) के छात्र रहे नीतीश कुमार ने अपनी पढ़ाई वाले दिनों के किस्से सुनाए। कई बैचमेट और जूनियर-सीनियर सामने थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज तो एनआइटी की स्थिति बदली-बदली है। लड़कियां भी पढ़ रही हैैं। हमलोग जिस वक्त यहां पढ़ते थे,  उस समय यहां कोई लड़की नहीं पढ़ती थी। कैंपस में सिर्फ पुरुष दिखते थे। अगर कोई लड़की कभी दिख गई तो लड़के क्या टीचर भी देखने लगते थे कि कौन है...। कार्यक्रम का संचालन कर रहीं इंजीनियर आरती सिन्हा से रहा नहीं गया। उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल कर डाला कि लड़कियों के नहीं पढऩे का आपको दु:ख था या फिर आप खुश थे। मुख्यमंत्री जोर से हंसे।
मुख्यमंत्री ने बीसीई को एनआइटी में अपग्रेड किए जाने की कहानी भी बतायी। उन्होंने कहा कि उन दिनों अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और मुरली मनोहर जोशी शिक्षा मंत्री। मैं जोशी जी के पास गया। कहा कि पटना विश्वविद्यालय को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बना दीजिए। जोशी ने कहा कि देर हो गई है। मैंंने तुरंत दूसरा प्रस्ताव दिया कि 1924 में स्थापित देश के पुराने इंजीनियङ्क्षरग कॉलेजों में एक बीसीई, जिसका मैं छात्र हूं, उसे एनआइटी में अपग्रेड कर दीजिए। जोशी जी ने एक टीम गठित की। पर टीम ने अपने अध्ययन के बाद यह कहा कि यह संभव नहीं है। मैं फिर जोशी जी से मिला। पूछा कि कैसी टीम भेजे हैं। इसके बाद जोशी जी ने  बीसीई को एनआइटी करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी।
पर्याप्त धन मिले, इसके लिए केंद्र से बात करेंगे
मुख्यमंत्री ने एनआइटी के निदेशक प्रदीप कुमार जैन से कहा कि कोई जरूरत है तो बताएं। मैं केंद्र के मंत्री से कहूंगा कि पर्याप्त राशि दीजिए।  उन्होंने संस्थान के निदेशक के इस प्रस्ताव पर भी अपनी सहमति दी कि यहां के पूर्ववर्ती छात्र परिसर में आकर संस्थान के विद्यार्थियों से इंटरैक्ट करें। मुख्यमंत्री ने कहा बुलाईए तो।
मानस बिहारी वर्मा को सम्मानित किए जाने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें आज मालूम हुआ कि श्री वर्मा इसी कॉलेज के एल्यूमनाई हैं। ये 1965 बैच के हैं। मैंंने 1967 में नाम लिखवाया। सत्र विलंब होने की वजह से मेरा रिजल्ट 16 महीने विलंब से आया था।
लैब से उत्पाद के अस्तित्व में आने का समय कम करना जरूरी : मानस वर्मा
पद्म पुरस्कार से सम्मानित और फाइटर विमान तेजस के निर्माण से जुड़े रहे मानस बिहारी वर्मा ने कहा कि लैब से उत्पाद के अस्तित्व में आने का समय कम किया जाना जरूरी है। यह सबसे बड़ी तकनीकी चुनौती है। इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। हमारी पीढ़ी को इसे झेलना पड़ा है। पश्चिमी देशों में लैब से उत्पाद के अस्तित्व में आने का गैप सात से दस वर्षों का रहा है। हाल के दिनों में तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो भारत और अमेरिका के बीच यह अंतर कम हुआ है। तेजस की परिकल्पना भी तकनीकी अंतर को कम करने की थी।
इन्होंने भी रखी अपनी बात
एल्यूमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष रविशंकर सिन्हा, प्रो. संतोष कुमार, प्रो. गिरीश चौधरी और एनआइटी के निदेशक प्रदीप कुमार जैन।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.