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सीएम नीतीश ने पुराने मित्र नरेंद्र से की मुलाकात, शिकवे-शिकायत किए दूर

इस मुलाकात को पुराने साथियों को जोड़ने की जदयू की मुहिम का हिस्सा माना जा रहा है। मुलाकात राजधानी में एक शादी समारोह के दौरान हुई। इससे पहले मुख्‍यमंत्री ने उनसे फोन पर लंबी बातचीत की। नरेंद्र सिंह ने सीएम से शिकवे-शिकायत भी किए।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Mon, 07 Dec 2020 06:45 PM (IST)Updated: Tue, 08 Dec 2020 09:15 PM (IST)
सीएम नीतीश ने पुराने मित्र नरेंद्र से की मुलाकात, शिकवे-शिकायत किए दूर
बिहार के सीएम नीतीश कुमार की तस्‍वीर ।

पटना, राज्य ब्यूरो । रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह से हुई मुलाकात को पुराने साथियों को जोड़ने की जदयू की मुहिम का हिस्सा माना जा रहा है। यह मुलाकात रविवार रात राजधानी में आयोजित एक शादी समारोह में हुई। शादी नरेंद्र सिंह के रिश्तेदार के यहां थी और उन्होंने कहा कि इसका विशेष अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए।

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क्या आप जदयू में शामिल होने जा रहे हैं? नरेंद्र सिंह का जवाब था कि हम मजदूरों-किसानों की समस्या के निदान के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हमारे विधायक पुत्र सुमित कुमार सिंह राज्य सरकार का समर्थन कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सुमित चकाई के निर्दलीय विधायक हैं।

मुख्‍यमंत्री ने नरेंद्र सिंह ने शिकायत भी की

उन्होंने स्वीकार किया कि मुलाकात से पहले मुख्यमंत्री के साथ टेलीफोन पर उनकी लंबी बातचीत हुई थी। मुख्यमंत्री ने उनसे पूछा कि आप क्या सोच रहे हैं। मैंने उस दिन भी उन्हें यही जवाब दिया था कि उनकी राजनीति शुरू से किसानों-मजदूरों पर केंद्रित रही है। आगे भी उसी दिशा में काम करेंगे। यह बातचीत मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद बधाई देने के सिलसिले में टेलीफोन पर हुई थी। नरेंद्र सिंह ने शिकायत भी कि उनके दोनों पुत्र अमित और सुमित क्रमश: जदयू और भाजपा में थे। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के दोनों घटक दलों ने पुत्रों को इस साल के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनाया। इससे पहले निर्दलीय विधायक सुमित राज्य सरकार के समर्थन की घोषणा कर चुके थे। विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में उन्होंने राजग उम्मीदवार विजय कुमार सिन्हा के पक्ष में मतदान किया था।

पुराने मित्र हैं नीतीश-नरेंद्र

मालूम हो कि नीतीश कुमार और नरेंद्र सिंह जेपी आंदोलन के दिनों के मित्र हैं। नरेंद्र सिंह 2005 में लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। लोजपा विधायक दल में टूट और सरकार बनाने के लिए नीतीश को समर्थन दिलाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। बाद में उन्हें विधान परिषद में भेज कर नीतीश ने अपने कैबिनेट में शामिल किया। वे 2015 तक मंत्री रहे। जीतनराम मांझी के साथ ही नरेंद्र सिंह भी जदयू से अलग हो गए थे।

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