Move to Jagran APP

Upper caste reservation: सीएम नीतीश ने लिया बड़ा फैसला, असमंजस में राजद

देश की राजनीति में हलचल मचा देने वाले सवर्ण आरक्षण विधेयक पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बड़ा फैसला ले लिया है। अब बिहार में भी लागू हो जाएगा। कब लागू होगा पढ़ें इस खबर में।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 10:08 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 08:42 PM (IST)
Upper caste reservation: सीएम नीतीश ने लिया बड़ा फैसला, असमंजस में राजद
Upper caste reservation: सीएम नीतीश ने लिया बड़ा फैसला, असमंजस में राजद

पटना, राज्य ब्यूरो। देश की राजनीति में हलचल मचा देने वाले सवर्ण आरक्षण विधेयक पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बड़ा फैसला ले लिया है। अब बिहार में भी सवर्ण आरक्षण विधेयक लागू हो जाएगा। नीतीश सरकार 11 फरवरी से शुरू होने वाले विधानमंडल के बजट सत्र में सवर्ण आरक्षण विधेयक लाएगी। महाधिवक्ता से कानूनी परामर्श लेने के बाद उन्होंने निर्देश दिया कि बजट सत्र में इसके लिए विधेयक लाया जाए। साथ ही उन्होंने यह भी सुनिश्चित कर लेने को कहा कि इसकी सभी प्रक्रियाएं फरवरी माह में ही पूरी कर ली जाएं।

loksabha election banner

कानूनी परामर्श के बाद फैसला

सीएम ने सवर्ण आरक्षण के संबंध में मुख्य सचिव दीपक कुमार, महाधिवक्ता ललित किशोर, सामान्य प्रशासन विभाग के अपर सचिव आमिर सुबहानी, अपने प्रधान सचिव चंचल कुमार और सचिव मनीष कुमार वर्मा के साथ मंगलवार को बैठक की। महाधिवक्ता ललित किशोर ने कानूनी परामर्श दिया।

अलग अधिनियम की जरूरत नहीं 

महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया कि सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने को लेकर अलग से अधिनियम बनाया जाना जरूरी है। एग्जिक्यूटिव ऑर्डर से यह संभव नहीं। सीएम ने सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव को इस बारे में निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी प्रक्रियाएं फरवरी माह में ही पूरी कर ली जाएं। 

दो विकल्पों पर चल रही थी बात

दरअसल इस मसले पर एक हफ्ते से मंथन चल रहा था। दो विकल्पों पर बातें हो रही थीं। एक विकल्प यह था कि इसे एग्जिक्यूटिव ऑर्डर से लागू किया जाए, जबकि दूसरा विकल्प यह था कि इसके लिए विधानमंडल में विधेयक लाया जाए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के पक्षधर रहे हैं। उनका कहना है कि सवर्ण अगर गरीब हैं, तो उन्हें आरक्षण का लाभ क्यों नहीं मिलना चाहिए? 

राजद में बह रही हैं दो धाराएं 

उधर सवर्ण आरक्षण पर राजद में दो धाराएं बह रही हैं। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सवर्ण आरक्षण का खुलकर विरोध किया था और तंज कसते हुए कहा था कि 85 प्रतिशत वाली आबादी वालों को 90 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। उन्होंने इसे लेकर 7 जनवरी को ट्वीट भी किया था कि 'अगर 15 फीसदी आबादी को 10 प्रतिशत आरक्षण तो फिर 85 फीसदी आबादी को 90 प्रतिशत आरक्षण हर हाल में मिलना चाहिए। 10 प्रतिशत आरक्षण किस आयोग और सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर दिया जा रहा है? सरकार विस्तार से बताएं।' इतना ही नहीं, सांसद मनोज झा तो राज्यसभा में झुनझुना लेकर पहुंच गए थे और सवर्ण आरक्षण को महज 'झुनझुना' बताया था। 

किरकिरी हुई तो रघुवंश सिंह आए सामने 

विरोधी ही नहीं, महागठबंधन में भी जब किरकिरी हुई तो राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह सवर्ण आरक्षण के पक्ष में आए। उन्होंने सवर्ण आरक्षण को सही ठहराते हुए कहा कि इसमें आय सीमा को सुधारने की जरूरत है। उन्होंने मंगलवार को भी मुजफ्फरपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि राजद की भी पहले से सवर्ण आरक्षण की मांग रही है। राजद के चुनावी मेनिफेस्टो में भी इसका जिक्र है। 

कांग्रेस और हम ने किया स्वागत

बता दें कि महागठबंधन में शामिल कांग्रेस और हम पार्टी ने भी सवर्ण आरक्षण का स्वागत किया है। कांग्रेस जहां बिहार में इसे जल्द लागू करने की मांग कर रही है, वहीं   हम की ओर से कहा जा रहा है कि सवर्णों को 10 नहीं, बल्कि 15 प्रतिशत आरक्षण देने की जरूरत है। हम के मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी लगातार कह रहे हैं कि उनकी पार्टी सवर्णों को 15 प्रतिशत आरक्षण देने के पक्षधर है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.