जलवायु परिवर्तन का पृथ्वी पर पड़ रहा प्रतिकूल प्रभाव, संकट पर वैज्ञानिक तरीके से काम करने की जरूरत
एनआइटी पटना में तीन दिवसीय इंडियन वाटर वर्क्स एसोसिएशन के 52वें वार्षिक अधिवेशन का आगाज हो गया है। पहले दिन कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने किया।
पटना, जेएनएन। इंडियन वाटर वर्क्स एसोसिएशन के 52वें वार्षिक अधिवेशन का शुक्रवार को एनआइटी पटना में आगाज हुआ। इस कार्यक्रम के तहत ‘जल ज्ञान शिखर सम्मेलन’ का आयोजन किया जा रहा है। तीन दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन देश-विदेश के कई विशेषज्ञ शामिल हुए हैं। कार्यक्रम के विषय ‘बदलते परिवेश में जल संरक्षण और गुणवत्ता प्रबंधन में दक्षता व लचीलापन’ पर बोलते हुए बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने कहा कि जबतक जल है, तब तक जीवन है।
कारगर साबित होगा जल संरक्षण
कार्यक्रम उद्घाटन करते हुए राज्यपाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का पृथ्वी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। बिहार में इसका असर तेजी से बढ़ रहा है। इससे भीषण जल संकट बढ़ रहा है। वैज्ञानिक तरीके से इसपर काम करना बहुत जरूरी हो गया है। राज्यपाल ने कहा कि संकट से बचने के लिए वर्षा जल का संरक्षण कारगर साबित हो सकता है। जल जीवन हरियाली अभियान इसमें कारगर सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि देश-विदेश से आए इंजीनियर इस संकट का समाधान निकालने में सरकार और एजेंसी को सहयोग करें।
जल की चिंता सभी को करने की जरूरत
पीएचईडी विभाग के मंत्री विनोद नारायण झा ने कहा कि जल से ही कई सारी बीमारियों हमें घेर रही हैं। इसकी चिंता सभी को करनी चाहिए। हमारी कोशिश इस साल के अंततक हर घर नल का जल पहुंचाने की है। कोशिश होगी कि राज्य के हर कोने के वासियों तक शुद्ध जल पहुंचाया जा सके। कार्यक्रम के दौरान पूर्व मुख्य सचिव व मुख्यमंत्री के सलाहकार अंजनी कुमार सिंह, सुलभ इंटरनेशन के संस्थापक बिंदेश्वरी पाठक व इंजीनियर केके सिंह आदि ने विचार व्यक्त किए। सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों और सिंगापुर के नेशनल वाटर एजेंसी पब्लिक यूटिलिटी बोर्ड के इंजीनियर, जर्मन कॉरपोरेशन फॉर इंटरनेशनल को-ऑपरेशन जीआइजेड जर्मनी के पदाधिकारी, कनाडा समेत अन्य देश के भी अभियंता भाग ले रहे हैं।