Patna Lockdown गाड़ियों के चक्के थमने और फैक्ट्रियां बंद होने से साफ हुई हवा, आधे हुए धूलकण
लॉकडाउन के दौरान गाड़ियों की कम आवाजाही और फैक्ट्रियों की चिमनी से उठते धुएं के कम होने से पटना की हवा में धुलकण की मात्रा कम हुई है।
पटना, जेएनएन। कोरोना वायरस से बचाव को लगाया गया लॉकडाउन शहर की सेहत सुधार रहा है। गाड़ियों की कम आवाजाही और फैक्ट्रियों की चिमनी से उठते धुएं के बंद होने से राजधानी की हवा साफ हो गई है। लॉकडाउन के कारण पिछले एक सप्ताह में पेट्रोल-डीजल की खपत में 70 फीसद तक कमी आई है। इन सबके कारण हवा में धूलकण यानी पीएम 2.5 की मात्र आधी से भी कम हो गई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों के अनुसार किसी भी हवा में लोगों को सांस लेने के लिए 60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर सूक्ष्म धूलकण की मात्र होनी चाहिए। इससे अधिक होने पर श्वास से संबंधित परेशानी होने लगती है।
लगातार कम हो रही धूलकण की मात्र
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.नवीन कुमार बताते हैं, लॉकडाउन से पहले 21 मार्च को राजधानी में पीएम 2.5 का स्तर 77.05 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड किया गया था जो 29 मार्च को 21.25 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड हुआ। इसमें लगातार सुधार हो रहा है।
पेट्रोल पंप खाली, निजी वाहन ही आ रहे
कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर देश में हुए लॉक डाउन के कारण पेट्रोल पंप खाली-खाली हैं। इंडियन ऑयल की परियोजना पदाधिकारी बीणा कुमारी ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से पेट्रोल कंपनियों की बिक्री 70 फीसद तक गिर गई है। अगर पिछले साल मार्च के महीने से तुलना करें तो भी स्पष्ट अंतर दिखाई दे रहा। बिहार में सबसे अधिक पेट्रोल पंप वाली इंडियन ऑयल के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 मार्च महीने में राज्य में डीजल की खपत लगभग 96 हजार किलो लीटर हुआ करती थी जो इस बार खपत 78 हजार किलो लीटर ही है। वर्ष 2019, मार्च में राज्य में पेट्रोल की खपत 44 हजार किलोलीटर थी जो इस मार्च में 42 हजार किलो लीटर तक आ गई है।
प्रदूषण की स्थिति
तारीख- पीएम 2.5
21 मार्च - 77.05
22 मार्च- 55.26
23 मार्च- 38.54
24 मार्च- 37.21
25 मार्च- 54.08
26 मार्च- 44.97
27 मार्च- 43.02
28 मार्च - 25.78
29 मार्च - 21.25
मात्रा : माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर