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वायलिन की धुन पर राग मियां मल्हार ने संगीत संध्या को बनाया यादगार

वायलिन और तबले की जुगलबंदी देखते बन रही थी

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Jul 2019 09:48 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jul 2019 09:48 PM (IST)
वायलिन की धुन पर राग मियां मल्हार ने संगीत संध्या को बनाया यादगार
वायलिन की धुन पर राग मियां मल्हार ने संगीत संध्या को बनाया यादगार

पटना। वायलिन और तबले की जुगलबंदी देखते बन रही थी। तबले और वायलिन से निकलते स्वर श्रोताओं का मन मोह रहे थे। मंच पर आसीन रायपुर के मशहूर वायलिन वादक साकेत साहू ने शास्त्रीय संगीत में रागपुरिया धनाश्री, विलंबित एक ताल द्रुत तीन ताल में 'पायलिया झनकारी मोरी' पर धुन पेशकर सुर संध्या में चार-चांद लगा दिया। स्वरों के उतार-चढ़ाव और वाद्ययंत्रों से निकलते स्वर को सुनकर श्रोता तालियां बजाते नजर आ रहे थे। यह नजारा शनिवार को बिहार संग्रहालय परिसर में देखने को मिला। अर्थशिला की ओर से शास्त्रीय संगीत की महफिल में चार चांद लगाने ग्वालियर घराने के युवा गायक समहीन कशालकर की प्रस्तुति ने समारोह को यादगार बना दिया। गायन-वादन कार्यक्रम की शुरुआत वाद्ययंत्रों से हुई।

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राग पुरिया सुनाकर कलाकारों ने लूटी महफिल -

रायपुर के कलाकार साकेत साहू ने तान, सरगम, अलाप, राग यमन, बिहागश्री सहित विभिन्न प्रकार के धुन को पेश करते हुए राग पुरिया धनाश्री में वायलिन की प्रस्तुति कर श्रोताओं का मन जीता। जैसे-जैसे कार्यक्रम आगे की ओर बढ़ता जा रहा था, सभागार शास्त्रीय संगीत से गुलजार हो रहा था।

राग मियां मल्हार सुनकर आनंदित हुए श्रोता -

समारोह के दौरान ग्वालियर घराने से तालुक रखने वाले युवा कलाकार और पंडित उल्हास कशालकर के पुत्र समहीन कशालकर ने शास्त्रीय संगीत को प्रस्तुत कर श्रोताओं का ध्यान खींचा। समहीन ने कार्यक्रम की शुरुआत राग मियां मल्हार में 'रे अत धुमद रहो रे आवे रे बदिरया' एवं द्रुत तीन ताल में 'अब घन बरसे' को पेशकर तालियां बटोरीं। सावन माह के मौके पर राग मियां मल्हार की प्रस्तुति पर श्रोताओं ने कलाकारों को खूब दाद दी। जैसे -जैसे कार्यक्रम समापन की ओर बढ़ रहा था, कलाकार एक से बढ़कर एक गीतों की प्रस्तुति करते नजर आ रहे थे। समीहन ने राग मेल मल्हार में 'जुगल वर झूलत' पर प्रस्तुति दे समारोह को यादगार बना दिया। समीहन की प्रस्तुति में ग्वालियर घराने से लेकर बनारस घराने के अंदाज खूब दिख रहा था। गीतों को जीवंत बनाने में संगत कलाकारों ने भी अपना खूब योगदान दिया। संगत कलाकारों में तबले पर संजय अधिकारी, हारमोनियम पर विनय मिश्र, तानपुरा पर जूहिका बनर्जी, देव ज्योति घोष ने सहयोग दिया। समारोह के दौरान शहर के चेतना झा, विजय श्री दांगड़े, विनोद कुमार, शैलेंद्र, त्रिपुरारी शरण, प्रो. तरूण कुमार, सत्यदर्शी, अनीश अंकुर, विनीत, जय प्रकाश व अन्य लोगों ने कार्यक्रम का आनंद उठाया।


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