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बिहार: पहले चरण का थम गया भोंपू, डोर टू डोर जुटे नेताजी, जानें इन चारों सीटों को...

बिहार में लोस चुनाव के पहले चरण की जिन चार सीटों पर 11 अप्रैल को वोटिंग होगी उनकी तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है। इन क्षेत्रों में चुनावी प्रचार थम गए हैं। अब डोर टू डोर संपर्क शुरू

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 07:22 PM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 09:03 PM (IST)
बिहार: पहले चरण का थम गया भोंपू, डोर टू डोर जुटे नेताजी, जानें इन चारों सीटों को...
बिहार: पहले चरण का थम गया भोंपू, डोर टू डोर जुटे नेताजी, जानें इन चारों सीटों को...

पटना [जागरण टीम]। बिहार में लोकसभा चुनाव के पहले चरण की जिन चार सीटों पर 11 अप्रैल को वोटिंग होगी, उनकी तस्वीर बहुत हद तक साफ हो चुकी है। इनमें मगध प्रमंडल की तीन सीटें हैं। चौथा नक्सल प्रभावित जमुई संसदीय क्षेत्र है। पहले दौर में ही राज्य में अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित छह में से दो सीटों (गया और जमुई) के उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला हो जाना है। वोटिंग का काउंट डाउन शुरू हो चुका है। मंगलवार को इन चारों सीटों पर चुनावी भोंपू थम गया है। चुनाव प्रचार बंद हो गए हैं। अब वहां के उम्मीदवारों का डोर टू डोर संपर्क शुरू हो गया है।

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पहले चरण की वोटिंग वाले लोकसभा क्षेत्रों में शाम से चुनाव प्रचार थम गया। अब वहां के उम्मीदवार घर-घर संपर्क करना शुरू कर दिया है। मतदाताओं से अपने लिए पैरवी भी कर रहे हैं। जाहिर तौर पर अब वोटरों की बारी है। वे बेशक खामोश दिख रहे, लेकिन अपना मन बना चुके हैं। मत तय कर चुके हैं। गांव-कस्बों से लेकर शहर तक की दूसरी चर्चाओं के बीच विकास से लेकर राष्ट्रीय मुद्दे भी हावी हैं। मतदाताओं का रुख बहुत कुछ इस पर भी निर्भर करेगा। 

यहां होंगे पहले चरण की वोटिंग 11 अप्रैल को

1. जमुई: कुनबाई रस्साकशी की ढील पर टिका परिणाम   

समाजवादी पृष्ठभूमि वाली जमुई लोकसभा सीट की तासीर करवट ले रही है। विचारधारा की जगह अहम की लड़ाई ने इस निर्वाचन क्षेत्र को चर्चा में ला दिया है। कुनबाई पकड़ की रस्साकशी के बीच दाएं-बाएं से दांव-पेच भिड़ाने वाले चेहरे भी सक्रिय हैं। यहां का चुनाव परिणाम यह बताएगा कि पूर्व से दो सियासी ध्रुवों के बीच तीसरे ने अपनी जड़ें कितनी गहरी की हैं। मतदान का समय आते-आते नाराजगी के स्वर कटुता में बदलते दिख रहे हैं। इस कटुता पर विराम लगाने की कोशिश बहुत हद तक चुनावी डगर को निर्णायक मुकाम की ओर ले जाएगी। मैदान में नौ प्रत्याशी हैं, लेकिन निर्णायक लड़ाई राजग में लोजपा प्रत्याशी चिराग पासवान और महागठबंधन में रालोसपा प्रत्याशी भूदेव चौधरी के बीच है। निवर्तमान सांसद चिराग और 2009 में सांसद रहे भूदेव के कार्यों को लेकर मतदाताओं का अपना गुणा-गणित है। एक तरफ राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमुई में हुई सभा का असर है तो दूसरी ओर आरक्षण जैसे मुद्दे पर कुछ खास वर्गों को अपने तर्क से समझाने की कोशिश जारी है। केंद्रीय योजनाओं की पैठ हर वर्ग में होने की वजह से, विशेषकर लाभान्वित और युवा, मतदाता मुखर हैं। यह मुखरता परस्पर विरोधी प्रत्याशियों के लिए लाभ-हानि का फैक्टर है। प्रत्याशियों के समक्ष एक तरफ इस मुखरता को हवा देने की तो दूसरी ओर इसे विराम की अवस्था में पहुंचाने की चुनौती है। इन चुनौतियों पर फतह और विफलता भी परिणाम पर गहरा असर डालेगी। 

2019 की खास बातें

नौ प्रत्याशी हैं इस बार

कुल मतदाता: 1709356

पुरुष: 905582

महिला: 803740

ट्रांसजेंडर: 34

मतदान केंद्र: 1850

2. गया: कांटे की टक्कर, हावी हैं राष्ट्रीय मुद्दे भी

गया लोकसभा सीट के चुनावी महासमर में टक्कर कड़ी है। मैदान में 13 प्रत्याशी हैं। राजग की ओर से जदयू प्रत्याशी विजय कुमार, जबकि महागठबंधन की ओर से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्यूलर) के जीतनराम मांझी। 2014 के चुनाव में मुकाबला भाजपा और राजद के बीच रहा था, जिसमें भाजपा के हरि मांझी विजयी रहे थे। उस समय जदयू से उम्मीदवार रहे जीतनराम मांझी तीसरे स्थान पर रहे थे। इस बार सीन थोड़ा बदला हुआ है। महागठबंधन का प्रत्याशी होने के कारण राजद, कांग्रेस और रालोसपा का समर्थन जीतनराम मांझी के साथ है। दूसरी ओर राजग में होने के कारण जदयू प्रत्याशी के साथ इस बार भाजपा खड़ी है। कैडर वोटों के साथ कुनबाई समीकरण को भी साध पाने की कड़ी चुनौती है, क्योंकि यहां स्थानीय ही नहीं, राष्ट्रीय मुद्दे भी हावी हैं। इसे मतदाताओं तक पहुंचा पाने में कौन कितनी ज्यादा बाजी मार पाता है, बहुत कुछ इस पर भी निर्भर करेगा। वैसे, यहां कांटे की टक्कर दिख रही है। 

2019 की खास बातें

13 प्रत्याशी हैं मैदान में 

कुल मतदाता: 1698772

पुरुष: 879308

महिला: 819405

ट्रांसजेंडर: 59

मतदान केंद्र: 1772

3. औरंगाबाद: वोटों को समेटने की चुनौती, पहचान भी फैक्टर

औरंगाबाद में सीन थोड़ा साफ है, पर वोटों को समेट पाने की बड़ी चुनौती भी। यहां बहुत कुछ मतदान के प्रतिशत पर भी निर्भर करेगा। मैदान में नौ प्रत्याशी हैं। 2014 में भाजपा प्रत्याशी सुशील कुमार सिंह ने कांग्रेस के निखिल कुमार को पराजित किया था। जदयू के बागी प्रसाद वर्मा तीसरे नंबर पर रहे थे। इस बार राजग से एक बार फिर भाजपा के सुशील कुमार सिंह हैं, जिन्हें जदयू का समर्थन प्राप्त है। महागठबंधन ने हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के उम्मीदवार उपेंद्र प्रसाद को उतारा है, जिन्हें कांग्रेस और राजद का समर्थन प्राप्त है। यहां महागठबंधन के समक्ष राजग के आधार वोट और मुद्दों से जूझने की चुनौती है तो राजग के समक्ष महागठबंधन के समीकरण को तोडऩे की। इलाके में प्रत्याशी की व्यक्तिगत पैठ भी बहुत मायने रखेगी, यह फैक्टर भी यहां दिख रहा है। 

2019 की खास बातें

नौ प्रत्याशी हैं मैदान में 

कुल मतदाता: 1737821 

महिला: 821793 

पुरुष: 915930 

थर्ड जेंडर: 98

मतदान केंद्र: 1965

4. नवादा: टूटते कुनबाई समीकरण को बचाए रखने की जद्दोजहद

नवादा लोकसभा क्षेत्र में कैडर वोटों के साथ बहुत कुछ इस पर भी निर्भर करेगा कि कितने अधिक मतदाता मतदान केंद्रों पर पहुंचते हैं। यहां भी राष्ट्रीय मुद्दे ही हावी हैं। एक ओर राजग है तो दूसरी ओर महागठबंधन। 2014 के चुनाव में भाजपा से गिरिराज सिंह ने चुनाव जीता था। जदयू तीसरे नंबर पर रहा था। राजद से राजबल्लभ प्रसाद निकटतम प्रतिद्वंद्वी थे। इस बार चेहरे बदल गए हैं, पर सीन कमोवेश पुराना ही है। फर्क बस इतना कि राजद को महागठबंधन के घटक दलों कांग्रेस, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और रालोसपा का समर्थन है। राजग में लोजपा प्रत्याशी चंदन सिंह को जदयू और भाजपा का सहयोग। राजद से राजबल्लभ की पत्नी विभा देवी मैदान में हैं। यहां दलीय आधार वोट करीब-करीब स्थिर दिख रहे, पर कई जगहों पर कुनबाई समीकरण टूटते भी दिख रहे। यह किसी के लिए भी भारी पड़ सकता है, जिसे बचाए रखने की चुनौती है। 

2019 की खास बातें

13 प्रत्याशी हैं मैदान में

कुल मतदाता: 189217

महिला: 908871

पुरुष: 983065

थर्ड जेंडर: 81

मतदान केंद्र: 1899


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