बिहार के सरकारी स्कूलों में बच्चे रूचि के हिसाब से हुनर की भी पढ़ाई करेंगे
बिहार के बेसिक से लेकर उच्च शिक्षा में बड़ी क्रांति को लेकर तैयार हो रहा रोडमैप । प्रत्येक विद्यार्थी को व्यवसाय से जुड़े कौशल सीखने की होगी व्यवस्था । इससे स्कूल और कॉलेज से पास होने के बाद ही हर छात्र के पास एक वोकेशनल स्किल होगा।
पटना, दीनानाथ साहनी। बिहार में शिक्षा में बड़ी क्रांति का रोडमैप तैयार किया जा रहा है। बेसिक से लेकर उच्च शिक्षा में गुणात्मक बदलाव एवं सुधार की व्यवस्था हो रही है। भावी पीढ़ी को बेरोजगारी से बचाने के लिए 50 फीसद विद्यार्थियों को व्यवसायिक शिक्षा की ओर मोडऩे एवं जोडऩे का लक्ष्य है। पढ़ाई के साथ-साथ विद्यार्थियों को रूचि हिसाब से हुनरमंद भी बनाने का भी लक्ष्य तय किया गया है। प्रदेश की जमीनी हकीकत और नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक बच्चे को कम से कम किसी एक व्यवसाय से जुड़े कौशल को सीखना अनिवार्य किया जाएगा। रूचि के हिसाब से वह एक से ज्यादा व्यवसायों से जुड़ा प्रशिक्षण भी ले सकता है।
शिक्षकों की कमी होगी दूर
नीतीश सरकार शिक्षा को सिर्फ डिग्री तक सीमित नहीं रखना चाहती है बल्कि शहरों से दूर गांव-देहात के उन बच्चों तक भी रोजगारपरक शिक्षा की पहुंच बनाने की जतन में जुटी है। स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक हों, इसके लिए 1.20 लाख शिक्षकों की और बहाली सुनिश्चित होगी। फिलहाल इस माह 94 हजार शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित होगी। मौजूदा समय में प्रदेश के 72 हजार प्रारंभिक में 3 लाख 34 हजार शिक्षक कार्यरत हैं।
हर माध्यमिक विद्यालय बनेगा स्किल डेवलपमेंट सेंटर
नए साल में हरेक पंचायत में माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 12वीं तक पढ़ाई शुरू हो जाएगी। 2021 में 2348 माध्यमिक विद्यालयों में 12वीं तक की पढ़ाई की तैयारी है। फिलहाल 5820 माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाई हो रही है। छठी कक्षा से विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा से जोडऩे की तैयारी चल रही है। इसके लिए अलग पाठ्यक्रम तय होगा, जिसमें उन्हेंं रूचि के हिसाब से हुनर यानी कौशल विकास की ट्रेनिंग दी जाएगी। खेलों को भी बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए शिक्षकों की भी अलग ट्रेनिंग होगी।
इनोवेशन और रिसर्च को बढ़ावा
बदलते वक्त की जरूरतों को पूरा करने के लिए, शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए, इनोवेशन और रिसर्च को बढ़ावा देने तथा बिहार को ज्ञान एवं हुनर के बुते विकसित प्रदेश बनाने के लिए रोडमैप को अंतिम रूप से तैयार किया जा रहा है। शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार के मुताबिक रोडमैप में यही प्रयास है कि जब स्कूल-कॉलेज से बच्चा निकलेगा, तो हर बच्चे के पास एक वोकेशनल स्किल होगा।
कक्षा 6 से बच्चों में प्रोजेक्ट बेस्ड लॄनग
प्रदेश के 2 करोड़ 36 लाख विद्यार्थियों के लिए प्रायोगिक शिक्षा पर जोर होगा। छठी क्लास से ही बच्चों की प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग होगी। कोडिंग सिखाई जाएगी। एनसीईआरटी की मदद से राज्य शिक्षा, शोध एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा स्कूलों के सिलेबस में बदलाव किया जाएगा। नए सिरे से पाठ्यक्रम तैयार किए जाएंगे। नए शिक्षा केंद्रों की स्थापना की जाएगी। बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में मूल्यांकन सिर्फ शिक्षक ही नहीं लिख पाएंगे। एक कॉलम में बच्चा खुद मूल्यांकन करेगा और एक में उसके सहपाठी मूल्यांकन करेंगे।