Chhath Puja 2020: सभा में बैठने योग्य बेटा और समाज को दिशा देने वाली बेटी की याचना करती हैं महिलाएं, जानें महत्व
Chhath Puja 2020 News छठ गीतों में स्वच्छता शिक्षा स्वास्थ्य और संक्रमण के प्रति सतर्क रहने के संदेश छिपे हैं। सूर्य उपासना का यह लोकपर्व बिहार में खास तौर से मनाया जाता है। साथ ही छठ पर्व को पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है।
दिलीप ओझा, पटना। छठ महापर्व पर पारंपरिक गीतों का बहुत महत्व है। इन गीतों में स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और संक्रमण के प्रति सतर्क रहने के संदेश छिपे हैं। सूर्य उपासना का यह लोकपर्व बिहार में खास तौर से मनाया जाता है। गीतों के माध्यम से व्रती महिलाएं समाज को दिशा देने वाली बेटियों के साथ सभा में बैठने के काबिल बेटों की मांग करती हैं।
साफ-सफाई का संदेश
छठ पर्व को पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है। छठ गीतों में भी साफ-सफाई के संदेश छिपे हैं। छठ घाट को साफ करने से लेकर रास्ते को धोने तक की परंपरा चली आ रही है। सूर्य देवता को भी साफ-सफाई पसंद है। वे व्रतियों से कहते हैं- 'कोपी-कोपी बोलेले सुरुज देव, सुन ए सेवक लोग, मोरे घाटे दुबिया उपजि गइले, मकड़ी बसेरा लेले, विनती से बोलेले सेवक लोग सुन ए सुरुज देव, रउआ घाटे दुबिया छटाई देब, मकड़ी भगाई देबी।
संक्रमण से परहेज
जूठे फलों को छठ का प्रसाद नहीं बनाया जा सकता। 'केरवा जे फरेला घवद से ओह पर सुग्गा मेडऱाय, उ जे खबरि जनइबो आदित से, सुगा देले जुठियाय, सुगवा के मरबो धनुष से सुगा गइले मुरछाय। यानी पक्षियों का जूठा फल भी प्रसाद नहीं बन सकता। वैज्ञानिक दृष्टि से यह गीत संक्रमण से बचाव करने का संदेश दे रहा है। कठिन बात यह कि ऐसा करने पर पक्षियों के लिए दंड का भी प्रावधान है। यानी संक्रमण फैलाना एक दंडनीय अपराध की तरह है।
नारी सशक्तीकरण और शिक्षा का संदेश
व्रतियों की ओर से एक गीत गाया जाता है-रुनुकी-झुनुकी एगो बेटी मांगिले, पढ़ल पंडितवा दामाद, ए छठी मइया करेनी बरतिया तोहार। इस गीत में एक ओर जहां बेटियों का तो दूसरी ओर शिक्षा के महत्व को दर्शाया गया है। रुनुकी-झुनुकी एगो बेटी मांगिले, अर्थात समाज को दिशा देने वाली बेटी की मांग छठी मइया से व्रती कर रही है। ऐसी बेटी जो अपने सुकर्र्मोंं से समाज में झंकार पैदा करे, नई दिशा दे। आदर्श के रूप में सामने आए। इसी तरह से दामाद पढ़ा-लिखा हो, विद्वान हो। ऐसी कामना व्रती छठी मइया से करती है।
इसके अलावा बेटा, सुहाग, धन, ससुराल और नइहर में सुख और समृद्धि की कामना भी छठ गीतों में देखने को मिलता है। 'सभवा बइठन के बेटा मांगिले यानी हे छठी मइया ऐसा बेटा देना जो सामाजिक हो, समाज की सेवा करे। सभा में बैठने के काबिल हो। 'ससुरा में मांगिले अनधन सोनवा, नइहर में मांगिले भाई-भतीजा, इस गीत में महिलाएं ससुराल के साथ ही नइहर को भी सुखी देखना चाहती हैं। 'हम करेली छठ वरतिया हो उनके लागी-यानी अपने पति के दीर्घायु होने के लिए मैं यह व्रत कर रही हूं।