Move to Jagran APP

लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय-खाय के साथ आरंभ, लोहंडा-खरना आज

लोक आस्था का महापर्व छठ आज नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। इस बार काफी वर्षों के बाद चार दिवसीय अनुष्ठान में ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग बन रहा है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 01:28 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 10:32 PM (IST)
लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय-खाय के साथ आरंभ, लोहंडा-खरना आज
लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय-खाय के साथ आरंभ, लोहंडा-खरना आज
पटना [जेएनएन]। लोक आस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान रविवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। व्रती सुबह में गंगा सहित नदी घाटों पर उमड़ पड़े। वहां स्‍नान-ध्‍यान-दान का सिलसिला अपराह्न काल तक जारी रहा।
आगे सोमवार को लोहंडा-खरना होगा। फिर, मंगलवार को भगवान भास्‍कर को सायंकालीन व बुधवार को प्रात:कालीन अर्घ्‍य दिए जाएंगे। व्रती गंगा सहित विभिन्‍न नदियों व तालाबों के घाटों पर अर्ध्‍य प्रदान करेंगी। व्रतियों ने जगह-जगह अपने घरों के बाहर तथा छतों पर भी छठ व्रत करने की तैयारी की है।

सोमवार रात से शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत
'नहाय-खाय' के अवसर पर हर तरफ छठ गीत गूंजते रहे। उधर, छठ की खरदारी को लेकर बाजार गुलजार रहे। अब महापर्व के दूसरे दिन सोमवार को व्रती दिन भर बगैर जलग्रहण किए उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर 'खरना' की पूजा करेंगी। इसके बाद वे दूध और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद खाएंगे। चांद के नजर आने तक जल ग्रहण कर सकेंगी, फिर 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ होगा।
वर्षों बाद ग्रह-गोचरों का ऐसा शुभ संयोग
पंडित बुद्धन ओझा ने कहा कि चार दिवसीय अनुष्ठान में ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग बन रहा है। रविवार को नहाय-खाय से षष्ठी व्रत का आरंभ होना व्रती के लिए शुभ फल देने वाला है। षष्ठी व्रत का आरंभ रवि योग व सर्वार्थ सिद्धि योग में होने से कार्तिक छठ व्रत का महात्म्य और बढ़ गया है।
पंडित ओझा ने कहा कि ऐसा संयोग काफी वर्षो बाद आया है कि रविवार के दिन से चार दिवसीय व्रत का आरंभ हो रहा है। सायंकालीन अर्घ्य  मंगलवार को उतरा खाड नक्षत्र में गंड एवं अमृत योग में पड़ेगा। बुधवार की सुबह में प्रात:कालीन  अर्घ्य  का समय उदया तिथि में गंड व छत्र योग में पड़ेगा। 
सूर्य को  अर्घ्य  देने से नष्ट होते कई जन्मों के पाप
कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा ने कहा कि सूर्य को  अर्घ्य  देने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही यह निरोगी काया एवं सभी मनोरथ को पूर्ण करने वाला होता है। पंडित झा ने कहा कि भगवान सूर्य को अर्घ्‍य देने के दौरान व्रती पीतल व तांबे के पात्रों का प्रयोग करें। इसके अलावा किसी प्रकार के बर्तनों का प्रयोग करना वर्जित माना गया है। पीतल के पात्रों से दूध का  अर्घ्य  देना सही है, वहीं तांबे के पात्र में जल से अर्घ्‍य देना चाहिए। 
व्रती पर बनी रहती षष्ठी माता की कृपा
छठ व्रत करने वालों पर भगवान सूर्य और षष्ठी माता की कृपा बनी रहती है। मान्यता है कि नहाय-खाए से लेकर पारण तक व्रती पर भगवान सूर्य अपना आशीष प्रदान करते हैं। श्रद्धा पूर्वक व्रत करने वाले व्रती का आशीष लेने के लिए अपने व्यवहार और आचरण को शुद्ध बनाए रखने की जरूरत है।
पंडित बुद्धन ओझा ने स्कंद पुराण के हवाले से कहा कि सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य प्राप्ति के साथ सौभाग्य एवं संतान की कुशलता के लिए रखा जाता है। 
भगवान भास्कर की मानस बहन है षष्ठी देवी
पंडित दीपक ओझा ने बताया कि षष्ठी देवी भगवान भास्कर की मानस बहन  हैं। यही कारण है कि भगवान भास्कर के साथ उनकी बहन षष्ठी देवी की पूजा होती है। आचार्य विनोद झा ने कहा कि ग्रहों के बारे जानकारी देते हुए कहा कि जब तिथियों के बंटवारा हो रहा था तब सूर्य को सप्तमी तिथि प्रदान की गई।
छठ व्रत के दिन व समय
नहाय-खाए  - 11 नवंबर, दिन रविवार 
खरना - 12 नवंबर, दिन सोमवार 
सायंकालीन अर्घ्‍य - 13 नवंबर (मंगलवार), शाम 5.25 बजे तक 
प्रात:कालीन अर्घ्‍य व पारण - 14 नवंबर (बुधवार), सुबह 6.35 से आरंभ 
पूजन सामग्री का है महत्व 
पंडित राकेश झा ने कहा कि भगवान सूर्य को  अर्घ्य  देने के साथ महापर्व छठ में प्रयोग होने वाले सामग्रियों की अपनी विशेषता और महत्ता है। सूर्य को  अर्घ्य  देने एवं पूजन सामग्री रखने के लिए सूप का प्रयोग किया जाता है। बांस से बने सूप का प्रयोग किया जाता है। सूर्य से वंश में वृद्धि होने के साथ उसकी रक्षा के लिए बांस से बने सामग्री का प्रयोग पूजन के दौरान किया जाता है।
वहीं  अर्घ्य  के दौरान ईख को रख कर पूजा की जाती है, जो आरोग्यता का सूचक माना जाता है। प्रसाद के रूप में आटे से बने ठेकुआ समृद्धि के द्योतक हैं तो मौसमी फल मनोकामना प्राप्ति के सूचक माने जाते हैं।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.