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Chhath 2021: नहाय-खाय के साथ कल आरंभ हो जाएगा छठ, 11 नवंबर को पराक्रम योग में होगा समापन

Chhath 2021 लोक आस्था और सूर्योपासना का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाय के साथ आठ नवंबर से आरंभ होगा। नौ नवंबर को खरना 10 नवंबर को भगवान भास्कर को सायंकालीन अर्घ्‍य 11 नवंबर को उदयीमान सूर्य को अर्घ्‍य दिया जाएगा।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Sat, 06 Nov 2021 06:32 PM (IST)Updated: Sun, 07 Nov 2021 03:11 PM (IST)
Chhath 2021: नहाय-खाय के साथ कल आरंभ हो जाएगा छठ, 11 नवंबर को पराक्रम योग में होगा समापन
कल से शुरू होगा चार दिवसीय महापर्व छठ। सांकेतिक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददता। Chhath 2021 लोक आस्था और सूर्योपासना का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाय के साथ आठ नवंबर से आरंभ होगा। नौ नवंबर को खरना, 10 नवंबर को भगवान भास्कर को सायंकालीन और 11 नवंबर को उदयीमान सूर्य को अर्घ्‍य दिया जाएगा। इसके साथ ही व्रती चार दिवसीय अनुष्ठान का समापन करेंगी। चार दिवसीय अनुष्ठान के अवसर पर ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग बना है। ज्योतिष आचार्य पीके युग ने पंचांगों के हवाले से बताया कि नहाय-खाय से लेकर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य तक कई योग बने हैं जो शुभ फल प्रदान करने वाला है। 

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बुधादित्य व वरिष्ठ योग में आठ नवंबर को नहाय-खाय

ज्योतिष आचार्य पीके युग ने पंचांगों के हवाले से बताया कि आठ नवंबर को नहाय-खाय के दिन सूर्य से तीसरे भाव में चंद्रमा होने से वरिष्ठ योग एवं सूर्य व बुध साथ होने से बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में व्रती नहाय-खाय पर गंगा स्नान करने के बाद अरवा चावल, चने के दाल व कद्दू की सब्जी ग्रहण करेंगे। 

रसकेसरी योग में नौ नवंबर बनेगा खरना का प्रसाद

नौ नवंबर को छठ व्रती रसकेसरी व बुधादित्य योग में खरना का प्रसाद बना कर चंद्र को अर्घ्‍य देने के बाद शाम में ग्रहण करेंगी। शुक्र और चंद्रमा के योग से रसकेसरी व सूर्य व बुध के योग से बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है। 

गजकेसरी योग में 10 नवंबर को सायंकालीन अर्घ्‍य

10 नवंबर को गुरु चंद्रमा के साथ रहने से गजकेसरी योग में व्रती सायंकालीन अर्घ्‍य देंगी। वहीं चंद्रमा के साथ द्वादश भाव में शुक्र के रहने से अनफा योग का निर्माण होगा। 

पराक्रम योग में 11 नवंबर को उदयीमान सूर्य का अर्घ्‍य 

छठ व्रती 11 नवंबर को पराक्रम योग में उदीयमान सूर्य को अर्घ्‍य देकर व्रत का समापन करेंगी। सूर्य और मंगल की युति से पराक्रम योग का निर्माण हो रहा है। 

भगवान भास्कर की मानस बहन है षष्ठी देवी 

अथर्ववेद के अनुसार भगवान भास्कर की मानस बहन षष्ठी देवी है। जिसे बोलचाल की भाषा में व्रती छठी मैया से संबोधित करती हैं। प्रकृति के अंश से षष्ठी माता उत्पन्न हुई थी। उन्हें बालकों की रक्षा करने वाला बताया गया है। बालक के जन्म के छठे दिन भी षष्ठी मइया की पूजा अर्चना की जाती है। जिससे बच्चों के ऊपर  ग्रह-गोचरों का प्रभाव न पड़े। 

अस्‍ताचलगामी और उगते सूर्य को अघ्र्य देने की परंपरा

लोक आस्था का महापर्व छठ ऐसा पर्व है जिसमें अस्‍ताचलगामी और उदीयमान सूर्य को अर्घ्‍य देने की परंपरा है। षष्ठी तिथि को व्रती पश्चिम दिशा की ओर मुंह कर डूबते सूर्य को अर्घ्‍य प्रदान करती हैं। पश्चिम मुख करके डूबते सूर्य को अर्घ्‍य देने से दुर्भाग्य का अंत होता है वहीं पूर्व मुख करके उदीयमान सूर्य को अर्घ्‍य देने से उन्नति होती है। 

  • आठ नवंबर - नहाय-खाय
  • नौ नवंबर - खरना
  • 10 नवंबर - संध्याकालीन अर्घ्‍य
  • 11 नवंबर - उदीयमान अर्घ्‍य

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