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पटना की सीएनएलयू में अब सामाजिक विज्ञान से भी कर सकेंगे पीएचडी, नहीं देना होगा कोई इंट्रेंस टेस्‍ट

पटना के चाणक्‍य राष्‍ट्रीय विधि विश्‍वविद्यालय (सीएनएलयू) में अब सामाजिक विज्ञान से भी पीएचडी करना हुआ संभव पीएचडी के लिए 30 अप्रैल तक आवेदन 23 मई को इंट्रेंस टेस्ट परिणाम 15 जून को होगा जारी बगैर इंट्रेंस टेस्‍ट दिए भी मिलेगा मौका

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 10:20 AM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 10:20 AM (IST)
पटना की सीएनएलयू में अब सामाजिक विज्ञान से भी कर सकेंगे पीएचडी, नहीं देना होगा कोई इंट्रेंस टेस्‍ट
बिहार के इस प्रतिष्ठित विवि से कर सकते हैं पीएचडी। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। Chankya National Law University: बिहार में डॉक्‍टरेट की उपाधि हासिल करने की ख्‍वाहिश रखने वाले लोगों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। पटना में स्थित चाणक्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (सीएनएलयू) से अब सामाजिक विज्ञान के विषयों से भी अभ्यर्थी पीएचडी कर सकेंगे। इस वर्ष सीएनएलयू ने छह संकायों में पीएचडी के लिए अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे हैं। विवि की कुलपति जस्टिस मृदुला मिश्रा (Justice Mridula Mishra) ने बताया कि अब सीएनएलयू से पहली बार सामाजिक विज्ञान के अभ्यर्थी पीएचडी कर सकेंगे। इसके तहत राजनीति विज्ञान, इतिहास, अर्थशास्त्र एवं मैनेजमेंट के छात्र पीएचडी करेंगे। पीएचडी इन साइंस विथ लॉ के तहत अभ्यर्थियों को साइंस से पीजी होने पर उन्हें लॉ के बेस पर पीएचडी कराई जाएगी।

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पीएचडी के लिए 30 अप्रैल तक कर सकते हैं आवेदन

इसके साथ-साथ पीएचडी इन लॉ, पीएचडी इन ह्यूमैनिटीज एवं डीफिल के लिए अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं। पीएचडी के लिए अभ्यर्थी 30 अप्रैल तक सीएनएलयू के काउंटर पर प्रॉस्पेक्टस ले सकते हैं और आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए प्रवेश परीक्षा और साक्षात्‍कार की प्रक्रिया से गुजरना होगा। 23 मई को इंट्रेंस टेस्ट होगा। परिणाम 15 जून को जारी होगा। साक्षात्कार जुलाई में होगा। संवाददाता सम्मलेन में कुलपति के अतिरिक्त कुलसचिव एमपी श्रीवास्तव, डीन सोशल साइंस प्रो. एसपी सिंह, डीन रिसर्च डॉ. एससी राय भी थे।

विशेष व्‍यवस्‍था में बगैर इंट्रेंस टेस्ट भी कर सकेंगे पीएचडी

सीएनएलयू ने एक विशेष प्रकार की पीएचडी कराने की व्यवस्था की है। इसमें बगैर इंट्रेंस टेस्ट के ही कोई भी योग्य अभ्यर्थी पीएचडी कर सकता है। लेकिन, इस पीएचडी का वे अकादमिक लाभ नहीं ले सकते हैं। हां, वे नाम के आगे डॉक्ट्रेट जरूर लगा सकते हैं। इस कोर्स का नाम डीफिल दिया गया है। बीते सत्र में नागपुर के 87 वर्षीय डीपी लालवानी, सीबीआइ के सरकारी वकील सह केरल के केसी सुरेश भी डीफिल कर चुके हैं।


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